गेस्ट जेबीटी, पीजीटी की भी छुट्टी तय , दबाव से गेस्ट टीचर्स नौकरी नहीं बचा सकते: कोर्ट

खापों-नेताओं के दबाव से गेस्ट टीचर्स नौकरी नहीं बचा सकते: कोर्ट, हुड्डा सरकार ने बताया था सरप्लस ,गेस्ट जेबीटी, पीजीटी की भी छुट्टी तय , सरप्लस को हटाने का मामला, हाईकोर्टबेंच ने कहा- हम स्कूल चलाने के लिए आर्मी भी तैनात कर सकते हैं ,गेस्ट टीचर्स केसामने दो रास्ते ,लीगल रिपोर्टर | 
चंडीगढ़-पंजाबएवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को गेस्ट टीचर्स को कड़ी फटकार लगाई। कहा, 'गेस्ट टीचर्स ये उम्मीद रखें कि
वे खाप पंचायतों और राजनीतिक दलों के समर्थन से स्कूलों पर दबाव बनाकर नौकरी बचा लेंगे। यदि ऐसे दबाव बनाने का प्रयास किया तो अदालत स्कूलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए उनके बाहर आर्मी भी तैनात कर सकती है। 
कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी बर्खास्त किए गए गेस्ट टीचर्स की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि गेस्ट टीचर्स अपना पक्ष सिंगल बेंच के समक्ष रखें। इसके बाद गेस्ट टीचर्स ने दो सदस्यीय बेंच के समक्ष दायर याचिका वापस लेने की छूट मांगी। इसे बेंच ने स्वीकार कर लिया।
इसके साथ ही बर्खास्त 4,073 गेस्ट टीचर्स की एक बड़ी उम्मीद खत्म हो गई। सिंगल बेंच पहले ही उनकी याचिका खारिज कर चुकी है। सिंगल बेंच के आदेश पर 4,073 सरप्लस गेस्ट टीचर्स को हटाने के सरकार के फैसले को ही डबल बेंच में चुनौती दी गई थी। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को सही बताते हुए इसमें हस्तक्षेप करने की बात कही। बेंच ने कहा, 'नियमित भर्ती तक गेस्ट टीचर्स की सेवा जारी रखने की दलीलें पुरानी हैं। 2006 से 2015 तक यही प्रयोग हुए हैं, लेकिन अब यह नहीं चलेगा।' बेंच ने गेस्ट टीचर्स को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया। कहा, 'जब ये साबित हो चुका है कि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति पिछले दरवाजे से हुई है। सरकार हलफनामा दे चुकी है कि ये गेस्ट टीचर सरप्लस हैं। फिर किस आधार पर रोक चाहते हो।'
{ अम्बाला के तिलकराज की याचिका पर हाईकोर्ट ने 30 मार्च 2011 को निर्देश दिए कि गेस्ट टीचर्स का कार्यकाल 31 मार्च 2012 के बाद बढ़ाया जाए।
{प्रदेश की हुड्‌डा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी। कोर्ट ने 30 मार्च 2012 को आदेश दिया कि नियमित भर्ती होने तक गेस्ट टीचर्स की सेवाएं जारी रखी जाएं।
{अरुण कुमार बनाम राज्य सरकार के मामले में सरकार ने 322 दिन के भीतर जेबीटी और 434 दिन में पीजीटी की नियमित भर्ती करने की बात कही थी।
{राइट टू एजुकेशन एक्ट-2009 लागू होने के बाद मास्टर वर्ग और सीएंडवी कैडर के 10,357 पदों को पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) में बदल दिया गया। इसी वजह से सरकारी स्कूलों में गणित, सोशल साइंस और हिंदी विषयों के गेस्ट टीचर्स के पद सरप्लस हो गए।
{2012 में हुड्‌डा सरकार ने कोर्ट में शपथपत्र दिया कि ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) के जितने गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं, उनकी संख्या स्वीकृत पदों से ज्यादा है।
4,073 ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) की बर्खास्तगी के बाद अब गेस्ट आधार पर ही लगे 6,210 प्राइमरी टीचर्स (जेबीटी) और 3,000 पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (पीजीटी) की भी छुट्टी होना तय हो गया है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्यों अभी तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की गई और गेस्ट टीचर्स से काम चलाया जा रहा है। सरकार के वकील ने कहा कि इसी माह जेबीटी गेस्ट टीचर्स को रिलीव कर दिया जाएगा और पदोन्नति प्रक्रिया पूरी होते ही पीजीटी को सेवामुक्त कर दिया जाएगा।
1. सिंगल बेंच के समक्ष रिव्यू पिटीशन लगाएं।
2. नई भर्ती प्रक्रिया में शामिल होकर छूट का फायदा लें।
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डबल बेंच से गेस्ट टीचर्स को झटका
हरिभूमि न्यूज. चंडीगढ़
पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने दूसरी बार गेस्ट टीचर को झटका देते हुए उनको राहत देने से इंकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। एकल बेंच के सेवा समाप्त करने के आदेश के खिलाफ 4073 सरप्लस गेस्ट मामले में जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली डबल बेंच में सुनवाई हुई।
अतिथि अध्यापको की तरफ से आधा दर्जन सीनियर वकील पैरवी के लिए आए। दो घंटे की सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने अतिथि अध्यापकों पर कई बार कड़ी टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि कोर्ट के आदेशों का सम्मान करने सीखें गेस्ट टीचर्स। स्कूलों में ताले लगाने, खाप पंचायतों की मदद व राजनितिक पार्टियों के सर्मथन से गेस्ट टीचर्स ये गलतफहमी न पालें कि कोर्ट किसी दबाव में आएगी। कोर्ट स्कूलों में पढ़ाई सुचारु रूप से जारी रखने के लिए हर तरह का आदेश देने में सक्षम है। लेकिन स्कूलों में तालाबन्दी जैसी हरकत सहन नहीं करेगी। बेंच ने कहा कि रेगुलर भर्ती तक गेस्ट टीचर्स को सेवा में रखने की दलील अब सब समझ चुके हैं। बेंच ने पूछा किस आधार पर रोक चाहते हो जब ये साबित हो चुका है कि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति पिछले दरवाजे से हुई है। सरकार ये हल्फनामा दे चुकी है कि ये गेस्ट टीचर सरप्लस हैं।

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