दोषी जेबीटी अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश..1175 कर्मचारियों को पक्का करने में फंसा पेच

दोषी जेबीटी अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने आज कथित तौर पर गैरकानूनीसाधनों का प्रयोग कर 2009 में नियुक्ति पा गये प्राथमिक
शिक्षकों के मामले में हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड पर 1 लाखका खर्चा डालते हुए दोषी अध्यापकों के खिलाफ आपराधिक


मुकदमा शुरू करने के आदेश दिये हैं। इस मामले की दोबारा शुरू हुईसुनवाई पर हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि 1362 शिक्षकदोषी पाये गये हैं, जबकि 111 अन्य पर परीक्षा के बाद शक जतायागया। खंडपीठ ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट तीन महीने में प्रस्तुतकरने को कहा।सुनवाई की पिछली तिथि को हरियाणा सरकार ने कोर्ट कोबताया था कि गलत साधनों का इस्तेमाल कर प्राथमिक शिक्षकनियुक्त होने वालों को वह आरोप-पत्र देगी। 2009 में लगभग 8200जेबीटी शिक्षकों का चयन किया गया था। इस मामले में जनहितयाचिका दायर होने के बाद शिक्षा बोर्ड द्वारा उनकी जांच-पड़ताल की जा रही है। दलील दी गयी थी कि कई उम्मीदवारोंके हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा सर्टिफेकेट किसी दूसरेको परीक्षा दिलाकर प्राप्त किये गये।
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एडिड स्कूलों में खाली पद भरने काे नहीं मिलेगी मंजूरी
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अम्बाला, 3 अगस्त (निस)
राज्य सरकार ने प्रदेश के 207 एडिड स्कूलों में स्वीकृत पदों परसेवारत लगभग 2100 शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की सेवाओं को डिमिनिशिंग कॉडर में डाल दिया है, जिसका सीधा-सा अर्थ है कि भविष्य में जब भी इन विद्यालयों में कोई भी स्वीकृत पद पर सेवारत शिक्षक व अन्य कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है या किसी अन्य कारण से रिक्त होता है तो शिक्षा विभाग रिक्त हुए पद को भरने की स्वीकृति नहीं देगा व उसका अनुदान भी विद्यालय प्रबन्धन को जारी नहीं किया जायेगा।
हरियाणा एडिड स्कूल हैड्ज एसोसिएशन जिला अम्बाला के महामंत्री रमेश बंसल ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह निर्णय अति दुर्भाग्यपूर्ण है। इस निर्णय से जहां इन विद्यालयों का शिक्षा स्तर प्रभावित होगा, वहीं विद्यालय प्रबन्ध समितियों को
विवश होकर फीसों में वृद्धि करनी पड़ेगी। जिसका अधिक भार सीधे बच्चों के अभिभावकों पर पड़ेगा, यहीं नहीं इस निर्णय से सही अर्थों में इन शिक्षा के मंदिरों पर भविष्य में ताला लगाने की नौबत आ जायेगी और ये विद्यालय हमेशा के लिए गुमनामी के सागर में डूब जायेंगे। जिला महामंत्री रमेश बंसल ने कहा कि कहां तो विधानसभा चुनावों से पूर्व सत्तापक्ष के अनेक नेताओं ने एडिड स्कूलों के स्वीकृत पदों पर सेवारत स्टाफ को राजकीय सेवा में समायोजित करने का भरोसा दिया था बल्कि आश्वासन दिया था कि प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही पहली कलम से इन कर्मचारियों को सम्मानपूर्वक राजकीय सेवा में समायोजित करने का निर्णय लिया जायेगा। परन्तु इस निर्णय से स्तब्ध समूचा शिक्षक वर्ग सरकार से पूछना चाहता है कि आखिर पहली कलम से निर्णय लिखने वाली वह कलम और इच्छाशक्ति यकायक कहां गायब हो गई। शिक्षाविदों का कहना है कि वैसे तो इस मामले में पूर्व हुड्डासरकार भी कम दोषी नहीं है। अपने कार्यकाल के दौरान विगत सरकार ने लगातार चार वर्षों तक राजकीय सेवा में समायोजित करने के खूब सब्जबाग दिखाये और ठीक चुनावों से पूर्व तकनीकी खामी बताते हुए एडिड स्कूलों के कर्मचारियों को ठेंगा दिखादिया।शिक्षक संघ ने कहा-सरकार तुरंत बदले निर्णयएसोशिएशन के जिला प्रधान आज्ञा पाल सिंह ने कहा कि राष्ट्रनिर्माताओं के साथ किये धोखे का खामियाजा पूर्व सरकार केनेताओं को विधानसभा के चुनावों में समय उठाना पड़ा। वर्तमान मेंअधिकतर एडिड स्कूलों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि60-70 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षकों को नियमित वेतन का भुगताननहीं हो पा रहा है। एडिड स्कूलों में विद्यालय प्रबन्ध समितियोंद्वारा ठेके पर शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है।कुल मिला कर इन स्कूलों के शिक्षक अपने अंधकारमय भविष्य को लेकर
भारी चिंतित हैं। शिक्षक संघ प्रदेश सरकार से मांग करती है किडिमिनिशिंग कॉडर के निर्णय को तुरंत प्रभाव से वापिस लें और जबतक कर्मचारियों का समायोजन नहीं किया जाता तब तकविद्यालय प्रबन्ध समितियों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए95 प्रतिशत अनुदान जारी करने का निर्णय लें।



1175 कर्मचारियों को पक्का करने में फंसा पेच
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 3 अगस्त
स्वास्थ्य विभाग में परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत कार्यरत 1175 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पक्का करने पर तकनीकी पेच फंस गया है। बेशक, इन कर्मचारियों को नियमित करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मंजूरी दे चुके हैं लेकिन वित्त विभाग इस फैसले पर ब्रेक लगा सकता है। कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने वाली सभी नीतियों को हरियाणा मंत्रिमंडल नेहोल्ड पर रखा हुआ है। ऐसे में जब तक मंत्रिमंडल कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने वाली नीति तय नहीं करता, इन कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सकता। याद रहे कि पिछले सप्ताह ही स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने
घोषणा की थी कि स्वास्थ्य विभाग में परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत काम कर रहे 1175 अधिकारियों एवं कर्मचारियों
की सेवाएं नियमित की जाएंगी। तीन वर्ष से अधिक सेवाकाल वाले कर्मचारियों को इस फैसले से लाभ मिलेगा। इन कर्मचारियों में ग्रुप-ए (क्लास-वन) के 8 और ग्रुप-बी (क्लास- टू) के 90 अधिकारियों के अलावा, तृतीय श्रेणी के 1025 तथा ग्रुप-डी यानी चतुर्थ श्रेणी के 52 कर्मचारी शामिल हैं। हरियाणा में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए तीन
नीतियां पहले से चल रही थीं। खट्टर सरकार ने सत्ता में आने के बाद सभी नीतियों पर रोक लगाई जा चुकी है। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तकनीकी रूप से यह फैसला लागू नहीं हो सकता। उनका तर्क है कि पहले सरकार को पुरानी नीतियों को बहाल करना होगा या फिर कर्मचारियों को पक्का करने के लिए नयी नीति बनानी होगी, उसके बाद ही ये कर्मचारी नियमित हो सकेंगे। वहीं सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा के महासचिव सुभाष लाम्बा
का कहना है कि सरकार कर्मचारियों को गुमराह कर रही है। अगर सही मायनों में कर्मचारियों को पक्का करना है तो पहले मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर कर्मचारियों को नियमित करने वाली नीति कोफिर से लागू करना होगा। उनका कहना है कि अकेले परिवार कल्याण कार्यक्रम के कर्मचारी ही नहीं, वे सभी कर्मचारी भी नियमित करने होंगे जो विभिन्न विभागों तथा बोर्ड एवं निगमोंमें पिछले कई बरसों से कार्य कर रहे हैं। इस तरह के कर्मचारियों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है।
यह है 3 वर्षों वाली नीति तीन वर्ष की लगातार सेवा वाले कर्मचारियों को पक्का करने के लिए हुड्डा सरकार ने नीति बनाई थी। इस नीति के अनुसार वे कर्मचारी पक्के होंगे, जिनकी सेवाओं को 28 फरवरी, 2015 तक 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं। नीति के अनुसार ये कर्मचारी विज्ञापन के जरिये भर्ती की पारदर्शी प्रक्रिया के तहत लगे हों। साथ ही इनकीनियुक्ति सरकार की किसी एजेंसी के जरिये की गई हो। वहीं  कर्मचारी पक्के हो सकते हैं, जो स्वीकृत खाली पदों के विरुद्ध लगे हों और वर्तमान में भी वे पद खाली हों। यह है 10 वर्षों वाली नीति सरकार ने उन कर्मचारियों को भी नियमित करने का निर्णय लिया था, जिनकी सेवा को दस वर्ष या इससे अधिक समय हो चुका है। इस नीति में वे कर्मचारी शामिल हो सकते हैं, जिनकी भर्ती प्रक्रिया सही नहीं थी लेकिन वे जिस पद पर लगे हैं, उसकी पूरी योग्यता रखते हैं। इसी तरह से एक यह भी नीति थी कि 10
अप्रैल, 2006 को जिनकी सेवा को 10 वर्ष पूरे हो चुके हैं, उन्हें भी नियमित किया जाएगा। शर्त थी कि कर्मचारी स्वीकृत पदों के विरुद्ध नियुक्त हुए हों।

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