नई दिल्ली
मोदी सरकार के लिए अब नई चुनौती का सामना करने का वक्त आ गया है। यह है सातवें पे कमिशन को लागू करना। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नया वेतनमान तय करने के लिए गठित पे कमिशन अगले हफ्ते
सरकार को रिपोर्ट देगा।
सूत्रों के अनुसार जस्टिस अशोक कुमार माथुर के नेतृत्व में बना आयोग 10 अगस्त को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने वाला था लेकिन अब इसे हर हाल में अगले हफ्ते पेश कर दिया जाएगा।
रिपोर्ट के अंतिम दौर में पहुंचने के साथ ही लाखों केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ दूसरे राज्यों के कर्मचारियों की भी अपेक्षा बढ़ने लगी है। सामान्य तौर पर पे कमिशन की अनुशंसा को केंद्र के बाद उसी तर्ज पर राज्य सरकारें भी लागू करती हैं।
डेडलाइन जनवरी 2016
सातवें पे कमिशन का गठन तत्कालीन यूपीए 2 सरकार ने किया था। फरवरी 2014 में जस्टिस अशोक कुमार माथुर के नेतृत्व में बने आयोग से 18 महीने में अपनी अनुशंसा पेश करने को कहा था। इसे लागू करने के लिए 1 जनवरी 2016 की तारीख तय की गई।
इसका लाभ देश के 55 लाख मौजूदा केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा रिटायर कर्मियों को भी मिलेगा। सूत्रों के अनुसार आयोग ने तमाम पक्षों से बात करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि 15 से 20 फीसदी सैलरी ग्रोथ उचित होगा।
संसद के मॉनसूत्र सत्र में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी जब पूरक बजट रखा था, तब सैलरी की मद में अगले साल के लिए लगभग 16 फीसदी वृद्धि की बात कही थी। इससे संकेत गया कि सरकार अगले साल इसे तय समय पर लागू कर देगी। लोकसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार अगले वित्त वर्ष में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वेतन पर 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे जबकि इस साल यह खर्च 1 लाख 619 करोड़ है।
तब 35 फीसद बढ़ी थी सैलरी
छठां वेतन आयोग की अनुशंसा अक्तूबर 2008 में लागू की गई थी। तब कर्मचारियों को 30 महीने का एरियर भी दिया गया था। तब वेतन में बढ़ोतरी 35 फीसद तक हुई थी। यूपीए सरकार ने इस बढ़ोतरी का खूब क्रेडिट भी लिया था और बाजार में इसका सकारात्मक असर दिखा था।
अटल सरकार की गलती नहीं दोहराएंगे
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सातवें वेतन आयोग को वक्त पर लागू करवाना चाहते हैं। अटल सरकार के दौरान छठे वेतन आयोग के गठन में देरी हुई थी। इसे 2003 में ही गठित किया जाना था लेकिन अटल सरकार ने इसमें देरी कर दी। 2004 के चुनाव से पूर्व लाखों कर्मचारियों के बीच गलत संदेश गया था।
बाद में यूपीए सरकार ने इसे लागू कर क्रेडिट लिया। सूत्रों के अनुसार सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद पीएमओ और वित्त मंत्रालय के बीच एक मीटिंग भी होगी जिसमें इसे लागू करने की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
मोदी सरकार के लिए अब नई चुनौती का सामना करने का वक्त आ गया है। यह है सातवें पे कमिशन को लागू करना। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नया वेतनमान तय करने के लिए गठित पे कमिशन अगले हफ्ते
सरकार को रिपोर्ट देगा।
सूत्रों के अनुसार जस्टिस अशोक कुमार माथुर के नेतृत्व में बना आयोग 10 अगस्त को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने वाला था लेकिन अब इसे हर हाल में अगले हफ्ते पेश कर दिया जाएगा।
रिपोर्ट के अंतिम दौर में पहुंचने के साथ ही लाखों केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ दूसरे राज्यों के कर्मचारियों की भी अपेक्षा बढ़ने लगी है। सामान्य तौर पर पे कमिशन की अनुशंसा को केंद्र के बाद उसी तर्ज पर राज्य सरकारें भी लागू करती हैं।
डेडलाइन जनवरी 2016
सातवें पे कमिशन का गठन तत्कालीन यूपीए 2 सरकार ने किया था। फरवरी 2014 में जस्टिस अशोक कुमार माथुर के नेतृत्व में बने आयोग से 18 महीने में अपनी अनुशंसा पेश करने को कहा था। इसे लागू करने के लिए 1 जनवरी 2016 की तारीख तय की गई।
इसका लाभ देश के 55 लाख मौजूदा केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा रिटायर कर्मियों को भी मिलेगा। सूत्रों के अनुसार आयोग ने तमाम पक्षों से बात करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि 15 से 20 फीसदी सैलरी ग्रोथ उचित होगा।
संसद के मॉनसूत्र सत्र में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी जब पूरक बजट रखा था, तब सैलरी की मद में अगले साल के लिए लगभग 16 फीसदी वृद्धि की बात कही थी। इससे संकेत गया कि सरकार अगले साल इसे तय समय पर लागू कर देगी। लोकसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार अगले वित्त वर्ष में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वेतन पर 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे जबकि इस साल यह खर्च 1 लाख 619 करोड़ है।
तब 35 फीसद बढ़ी थी सैलरी
छठां वेतन आयोग की अनुशंसा अक्तूबर 2008 में लागू की गई थी। तब कर्मचारियों को 30 महीने का एरियर भी दिया गया था। तब वेतन में बढ़ोतरी 35 फीसद तक हुई थी। यूपीए सरकार ने इस बढ़ोतरी का खूब क्रेडिट भी लिया था और बाजार में इसका सकारात्मक असर दिखा था।
अटल सरकार की गलती नहीं दोहराएंगे
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सातवें वेतन आयोग को वक्त पर लागू करवाना चाहते हैं। अटल सरकार के दौरान छठे वेतन आयोग के गठन में देरी हुई थी। इसे 2003 में ही गठित किया जाना था लेकिन अटल सरकार ने इसमें देरी कर दी। 2004 के चुनाव से पूर्व लाखों कर्मचारियों के बीच गलत संदेश गया था।
बाद में यूपीए सरकार ने इसे लागू कर क्रेडिट लिया। सूत्रों के अनुसार सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद पीएमओ और वित्त मंत्रालय के बीच एक मीटिंग भी होगी जिसमें इसे लागू करने की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
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