दोनों की याचिकाएं खारिज र्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला को भुगतनी होगी दस साल कैद

भुगतनी होगी दस साल कैद

जासं, चंडीगढ़ : वर्ष 2000 में जेबीटी भर्ती घोटाले में प्रभावित टीचर की अपील पर जस्टिस सूर्यकांत पर आधारित खंडपीठ ने सुनवाई से इंकार करते हुए मामला चीफ जस्टिस के पास रेफर कर दिया। शिक्षकों ने एकल बेंच के उस फैसले को चुनौती दी है जिसके तहत उसने 2985 टीचर की भर्ती रद कर दी थी। 1

वर्ष 2000 में 3206 जूनियर शिक्षकों की भर्ती हुई। इस भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। इस पर तत्कालीन शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की और भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। कोर्ट ने जांच सीबीआइ को सौंपी। सीबीआइ ने 2008 में इस मामले में 62 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। मामले में संजीव कुमार स्वयं भी लिप्त पाए गए। 1

वर्ष 2000 में 3206 जूनियर शिक्षकों की भर्ती हुई। इस भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। इस पर तत्कालीन शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की और भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। कोर्ट ने जांच सीबीआइ को सौंपी। सीबीआइ ने 2008 में इस मामले में 62 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। मामले में संजीव कुमार स्वयं भी लिप्त पाए गए। 1

सुप्रीमकोर्ट में ओमप्रकाश चौटाला व अजय की याचिका खारिज

15 नवंबर, 1999 : 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था।11 दिसंबर 1999 : एक पखवाड़े में इंटरव्यू लिए गए। 17 दिसंबर, 2000 : चयनित 3206 अभ्यार्थियों की सूची जारी करने के बाद उन्हें ड्यूटी ज्वाइन करा दी गई।112 अक्टूबर 2000 : आइएएस संजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चौटाला पर आरोप जड़ा कि उन पर चयन सूची में बदलाव के लिए दबाव बनाया गया। 125 नवंबर 2003 : जांच सीबीआइ को सौंपी गई। 112 दिसंबर 2003 : सीबीआइ ने जांच शुरू की। 125 मई 2004 : सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच में ओमप्रकाश चौटाला के ओएसडी व आइएएस अधिकारी को दोषी पाते हुए 62 के खिलाफ मामला दर्ज किया। 16 जून 2008 : सीबीआइ ने चार्जशीट दाखिल की। 122 जनवरी 2013 : रोहिणी की सीबीआइ कोर्ट ने चौटाला पिता-पुत्र, संजीव और सात अन्य को 10 वर्ष व 44 को चार और एक को पांच साल कैद की सजा सुनाई।17 फरवरी, 2013: ओपी चौटाला उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय गए। 15 मार्च, 2015 : हाईकोर्ट ने चौटाला पिता-पुत्र व तीन अन्य को 10 वर्ष के कारावास और अन्य 50 की सजा में बदलाव करके उन्हें दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई। 16


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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : हरियाणा शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी करार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उनकी अंतिम उम्मीद भी टूट गई है अब दोनों को दस-दस साल का कारावास भुगतना होगा। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को दोनों की याचिकाएं खारिज कर दी। सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद आइएनएलडी (इनेलो) नेता ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र पूर्व सांसद अजय चौटाला का राजनीतिक भविष्य समाप्त हो गया लगता है। 1 कानून के मुताबिक दोषी करार व्यक्ति सजा भुगतने के छह साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकत और सजा के कारण ही वह पिछले साल विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए थे लेकिन सुप्रीमकोर्ट में अपील लंबित होने कारण जो संभावनाएं थीं वे भी आज क्षीण हो गईं। न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने ओम प्रकाश चौटाला और अजय सिंह चौटाला सहित दोषियों की करीब 12 अपीलें खारिज कर दी। इससे पहले ओम प्रकाश चौटाला के वकील हरीश साल्वे ने सजा को गलत ठहराते हुए दलील दी थी कि शिक्षक भर्ती घोटाले में उनके खिलाफ मामला नहीं बनता है। ये मामला राजनीति से प्रेरित है। 123 जनवरी 2013 को प्रकाशित समाचार
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जेबीटी भर्ती घोटाले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को ओम प्रकाश चौटाला द्वारा दी गई चुनौती के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ओमप्रकाश चौटाला व उनके बेटे अजय चौटाला को बड़ा झटका दिया है। इस दौरान सर्वोच्च अदालत ने उन्हें अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट जाने के निर्देश दिया है। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़े घोटाले के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और तीन अन्य को भ्रष्टाचार के जुर्म में 10 साल की कैद की सजा बरकरार रखा था।
16 जनवरी को एक निचली अदालत ने इनेलो प्रमुख, उनके विधायक पुत्र अजय चौटाला और दो आईएएस अधिकारियों समेत 53 अन्य लोगों को वर्ष 2000 में हरियाणा में 3,206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की अवैध नियुक्ति का दोषी ठहराया था। इनमें दो आईएएस अधिकारी (तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्याधर) और हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेर सिंह बड़शामी के राजनीतिक सलाहकार शामिल थे। सभी 55 दोषियों को भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 120बी (आपराधिक षडयंत्र), 418 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल) के तहत दोषी करार देकर सजा सुनाई गई।
हाईकोर्ट ने 50 दोषियों को राहत दी थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि जो लोग जेल में 2 वर्ष पूरे कर चुके हैं, उन्हें रिहा कर दिया जाए। जनवरी 2013 में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने इनमें से अधिकांश को 4 वर्ष व कुछ को 5 और 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई थी।

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