जागरण संवाददाता, करनाल : पहली से आठवीं कक्षा तक आयोजित होने वाली सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की मासिक परीक्षा पर शिक्षा विभाग की खामियां भारी पड़ रही हैं। एक तरफ तो शिक्षा विभाग का कहना है कि हर माह सतत एवं व्यापक
मूल्यांकन की परीक्षा करवाकर समय पर ऑनलाइन किया जाए, वहीं दूसरी ओर स्कूलों में इंटरनेट, कंप्यूटर सिस्टम खराब हैं व इन्वर्टर व बैटरी धूल फांक रहे हैं। ऐसे में संसाधनों की कमी के कारण समय पर मूल्यांकन कर कैसे परीक्षा के परिणाम को ऑनलाइन किया जा सकता है।1विभाग के तानाशाह फरमान दे चुके अध्यापक इस मामले को लेकर 23 अगस्त को सीएम सिटी में अपनी आवाज को बुलंद करने जा रहे हैं। स्थिति यह बनी हुई कि अध्यापकों को अपनी जेब से पैसे खर्च कर सतत एवं व्यापक मूल्यांकन परीक्षा को आयोजित कर बाहर से ही ऑनलाइन करना पड़ रहा है। हालांकि इससे पहले बोर्ड की परीक्षाओं के फार्म भरने में भी व्यस्त रहे। यही कारण रहा कि कुछ अड़चने भी सामने आई हैं।1
टीचर को भरनी पड़ती दो टेबल1हर महीने आयोजित होने वाली सतत एवं व्यापक मूल्यांकन परीक्षा 20 नंबर की होती है। इस परीक्षा में बच्चे की जो प्रफोरमेंस रहती है उसके नंबर वार्षिक परीक्षा में जोड़े जाते हैं। पहली टेबल में प्रति बच्चे के हिसाब से प्रतिशतता निकाली जाती है। दूसरी टेबल में पूरी कक्षा की प्रतिशतता निकाली जाती है। जिसमें यह तय किया जाता है कि 0 से 33 प्रतिशत की श्रेणी में कक्षा में से कितने बच्चे आते हैं। उसकी प्रकार 34 से 50 प्रतिशत, 51 से 75 प्रतिशत व 75 प्रतिशत से ऊपर के कितने बच्चे इस श्रेणी में आते हैंसेमेस्टर हटाया, डबल बोझ बढ़ाया 1शिक्षकों का कहना है कि एक तरफ तो सरकार ने सेमेस्टर सिस्टम प्रणाली को बंद कर दिया है। वहीं दूसरी ओर हर माह मासिक परीक्षा आयोजित करवाने का बोझ डालकर परेशान किया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इस प्रणाली से ठीक तो सेमेस्टर सिस्टम ही था। वहीं शिक्षा विभाग के पक्ष की तरफ बात की जाए तो विभाग का मानना है कि सरकारी स्कूलों का रिजल्ट बेहतर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। यदि हर महीने बच्चों के टेस्ट लिए जाएंगे तो उसकी स्थिति का पता चल पाएगा। फेल होने की स्थिति नहीं आएगी।
सरकार ने सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर डबल बोझ शिक्षकों पर डाल दिया है। पढ़ाई के साथ-साथ दूसरे कार्यो में भी शिक्षकों को लगाया जा रहा है। स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। ऐसे में विभाग को अच्छे काम की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। शिक्षक संबंधी कई अहम समस्याओं को लेकर सीएम सिटी में 23 अगस्त को शिक्षक आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा। कृष्ण कुमार निर्माण, पूर्व प्रदेश सचिव,हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ।1
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग का फरमान उन्हें थोंपा जा रहा है। नियमानुसार जिस दिन परीक्षा होती है। उसका मूल्यांकन उसी दिन करना होता है। दो दिन के अंदर पूरा परीक्षा परिणाम वेबसाइट पर डालना होता है। ऐसे में मेन पावर की कमी के साथ-साथ सीमित संसाधनों के बीच समय पर परीक्षा परिणाम को ऑनलाइन करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
सरकार ने सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर डबल बोझ शिक्षकों पर डाल दिया है। पढ़ाई के साथ-साथ दूसरे कार्यो में भी शिक्षकों को लगाया जा रहा है। स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। ऐसे में विभाग को अच्छे काम की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। शिक्षक संबंधी कई अहम समस्याओं को लेकर सीएम सिटी में 23 अगस्त को शिक्षक आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा। कृष्ण कुमार निर्माण, पूर्व प्रदेश सचिव,हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ।1
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग का फरमान उन्हें थोंपा जा रहा है। नियमानुसार जिस दिन परीक्षा होती है। उसका मूल्यांकन उसी दिन करना होता है। दो दिन के अंदर पूरा परीक्षा परिणाम वेबसाइट पर डालना होता है। ऐसे में मेन पावर की कमी के साथ-साथ सीमित संसाधनों के बीच समय पर परीक्षा परिणाम को ऑनलाइन करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
खतरा मोल नहीं लेना चाहते 1शिक्षा विभाग का फरमान है कि जिस भी स्कूल में हर माह के अंत तक सभी बच्चों की मासिक परीक्षा आयोजित करवाकर समय पर उनका परीक्षा परिणाम नेट पर नहीं डाला गया तो संबंधित मुख्याध्यापक उसके लिए जिम्मेदार होगा। विभाग के मुताबिक लापरवाही बरतने वाले मुख्याध्यापक को सकेंड तक किया जाने का प्रावधान है। ऐसे में शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने के लिए समय पर काम कर अपनी जेब से पैसे खर्च कर काम करना पड़ रहा है। करनाल जिले की बात की जाए तो समय पर मासिक परीक्षा आयोजित करवाकर परीक्षा परिणाम को ऑनलाइन किया जा रहा है।
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