फेल नहीं करने की नीति से शिक्षा का स्तर गिरा
परीक्षाएं समाप्त करना बच्चों के हित में नहीं है। इसे जारी रखना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने बताया कि सरकारी स्कूल में एक विद्यार्थी पर 28 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं, बावजूद इसके परिणाम खराब आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गरीब व अमीर के
बच्चों में शिक्षा का जो अंतर है वह समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में अंग्रेजी की ए,बी,सी,डी सीखता है, जबकि निजी स्कूल में नर्सरी से ही अंग्रेजी सीखते हैं। शिक्षामंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा स्कूली बस्तों के वजन को कम करने की जो पहल का स्वागत करते हैं।
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली
यह काफी बेहतर सुझाव है कि बच्चों में न केवल किताबों का बोझ कम हो, बल्कि उनकी शिक्षा-दीक्षा भी तनाव मुक्त एवं खुशहाल हो। इसके लिए हमें स्कूलों में बच्चों को पुस्तकें स्कूल में ही रखने के लिए ढांचागत सुविधा देने, स्कूल के दौरान ही दोहराई एवं गृह कार्य करवाने के लिए नवाचार पर विचार करें।
इस बैठक में हरियाणा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन व स्कूली शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टी.सी.गुप्ता ने भी भाग लिया।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा है कि ‘नो डिटेशन पॉलिसी’ से शिक्षा का स्तर गिरा है। अगर बच्चों को कक्षा एक से आठ तक ऐसे ही उतीर्ण किया जाएगा तो परिणाम खराब ही रहेंगे। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बुधवार को आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 63वीं बैठक में बोलते हुए शर्मा ने ये बातें कही। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने की। रामबिलास शर्मा ने कहा कि शिक्षा का अत्यधिक व्यापारिकरण हो गया है, इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है। स्कूलों में समय-सारणी को इस प्रकार बनाया जाए कि बच्चे एक दिन में तीन विषय ही पढ़ें। शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से ‘नो डिटेशन पॉलिसी’ के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। क्योंकि कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को केवल एक स्तर से दूसरे स्तर पर बिना परीक्षा उत्तीर्ण किया जाता है।
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