अतिथि अध्यापक का हुआ संस्कार, पुलिस रही तैनात
संवाद सहयोगी, बराड़ा : नौकरी से हटाने के कारण आत्महत्या करने वाले अतिथि अध्यापक गौरव (30) का अंतिम संस्कार भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सोमवार दोपहर सिंहपुरा स्थित श्मशान में कर दिया गया। घटनास्थल से फोरेंसिक विभाग के अधिकारियों ने नमूने लिए।1सोमवार को 11 बजे गौरव का शव पोस्टमार्टम कराने के बाद उनके
निवास स्थान पर लाया गया, तो बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदार और अतिथि अध्यापक पहुंच गए। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में शिक्षक और अतिथि अध्यापक उपस्थित थे। इस मौके पर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा और पुलिस बल भी मंगवाया गया था। 1शव यात्र शुरू हुई तो प्रशासनिक अमले ने अतिथि अध्यापकों को शव वाहन पर नहीं चढ़ने दिया। अतिथि अध्यापक अपने साथी की अर्थी को कं धा देना चाहते थे, लेकिन प्रशासन के आगे उनकी एक न चली। इस मौके पर एसीपी अनिल कुमार, थाना प्रभारी मुलाना सुधीर तनेजा, बराड़ा नरेन्द्र कादियान, तहसीलदार बराड़ा पुण्यदीप, नायब तहसीलदार दर्पण कंबोज आदि भी थे।1मनुमाजरा में थी ड्यूटी1प्रीतनगर कालोनी निवासी गौरव गोयल मनुमाजरा स्थित सरकारी स्कूल में काफी समय से अतिथि अध्यापक के रूप में कार्यरत था। पिछले दिनों पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर 3581 अतिथि अध्यापकों को हटा दिया था। इन हटाए गए अध्यापकों में गौरव भी शामिल था। गौरव के पिता विजय कुमार गोयल ने बताया कि वह काफी समय से परेशान था।1इस तरह हुआ घटनाक्रम 1रविवार को गौरव को अकेले घर छोड़ वह किसी निजी कार्य के लिए घर से बाहर गए हुए थे। जैसे ही वह शाम छह बजे घर पहुंचे तो देखा कि घर का दरवाजा खुला पड़ा है और गौरव कही भी दिखाई नहीं दे रहा। उन्होंने सभी कमरों में गौरव को ढूढ़ा, लेकिन वह कहीं नही मिला।1 विजय कुमार ने बताया कि फिर वह पहली मंजिल पर बने कमरें में उसको देखने के लिए ऊपर जाने लगे तो उन्होंने देखा कि सीढ़ियों का दरवाजा बंद है। छत पर चढ़े और देखा कि छत पर बनें कमरे का दरवाजा अंदर से बंद है। उन्होंने दरवाजा तोड़ा तो देखा कि गौरव पंखें से बंधी रस्सी से झूल रहा था। इसके बाद उन्होंने सहायता के लिए लोगों को आवाज लगाई। शोर सुनकर पड़ोसी मौके पर पहुंचे।1खामियाजा भुगत रहे गेस्ट टीचर1अंतिम संस्कार में पहुंचे अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा शास्त्री और उपाध्यक्ष कुलदीप झरौली ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते अतिथि अध्यापक मरने को मजबूर हो रहे है। उन्होंने कहां कि प्रदेश की मौजूदा सरकार आखें मूंदे बैठी है। सरकार ने प्रदेश में अतिथि अध्यापकों को सरपल्स दिखा बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन सगाई इससे कोसों दूर है। अतिथि अध्यापाकों को हटाए जाने से उनकी सामाजिक तौर पर पहले ही मृत्यु हो चुकी है और अब वह इस अपमान को न सहते हुए आत्म हत्या करने पर उतर आए है, लेकिन अतिथि अध्यापकों की इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा
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