केंद्र सरकार ने पेश की रिपोर्ट, शिक्षा के मामले पिछड़ा हरियाणा
एक तरफ जहां प्रदेश सरकार मेरा "गांव जगमग गांव" योजना को व्यापक स्तर पर लांच कर रही है वहीं प्रदेश के इन "जगमग गांवों" में अशिक्षा का घोर अंधेरा गहराया हुआ है। हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए सामाजिक, आर्थिक व जातिगत सर्वे में हरियाणा के बारे में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं जो एक बार फिर से पूर्ववर्ती सरकारों के नंबर वन हरियाणा के नारे पर सवालिया निशान लगाते हैं। इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि ग्रामीण हरियाणा की शिक्षा हासिल करने योग्य आबादी का 76 फीसदी हिस्सा दसवीं तक भी नहीं पढ़ पाया है।इसमें से 34 फीसदी को पूरी तरह से अनपढ़ ही है। यह सर्वे प्रदेश में शिक्षा पर हर साल खर्च किए जाने वाले भारी भरकम बजट पर भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर इस बजट का किस तरह से कहां इस्तेमाल किया जाता है। इस वित्त वर्ष में हरियाणा सरकार ने शिक्षा, खेल व संस्कृति के लिए करीब 11900 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान रखा था जो सरकारी विभागों में सबसे अधिक है। फिर भी हालात खराब हैं।
ग्रामीण हरियाणा में प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक सब बंटाधार है। पढाई योग्य जनसंख्या में केवल 3.2 फीसदी स्नातक है। यह हालात तब है जब ग्रामीण क्षेत्र में करीब 70 कॉलेज हैं। इन कॉलेजों में पढ़ाने के लिए कॉलेज प्रोफैसर के लिए भी पांच साल की बाध्यता है। फिर भी हालात खराब हैं। प्रदेश में इस समय 14504 सरकारी स्कूल हैं। इसमें 8895 प्राइमरी,2395 मिडल स्कूल,1382 हाई स्कूल व 1828 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। 200 एडिड स्कूल व 200 से अधिक सरकारी व एडिड डिग्री कॉलेज हैं। प्राइवेट स्कूलों की संख्या भी हजारों में है। 6000 गांव हैं। इस साल बजट में 11900 करोड़ आबंटित किए हैं।
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