प्रदेश में 2401 मिडल स्कूलों में नहीं हिंदी शिक्षक के पद

अमर उजाला ब्यूरो करनाल। हिंदी भाषीय प्रदेश के सरकारी मिडल 2401 स्कूलों में हिंदी के अध्यापकों के पद ही स्वीकृत नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश के बच्चे हिंदी का ज्ञान किसके सहारे पाएंगे। स्कूली स्तर पर ही हिंदी के अध्यापक नहीं होने के कारण
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को न तो हिंदी का ज्ञान रहा है और न ही अंग्रेजी भाषा का। ऐसे में हिंदी भाषा का अस्तित्व प्रदेश में खतरे में नजर आ रहा है। हाल यह हैं कि सन 1986 के बाद प्राइमरी से जितने भी मिडल स्कूल अपग्रेड हुए उनमें हिंदी भाषा के अध्यापक के पद को ही खत्म कर दिया गया। इससे पहले मिडल स्कूलों में हिंदी अध्यापक का पद स्वीकृत हुआ करता था। हाल यह हैं कि इस समय हिंदी भाषीय प्रदेश में हिंदी भाषा को इन सरकारी स्कूलों में दूसरी भाषा का दर्जा मिला है। पहला दर्जा संस्कृत को है। हैरत की बात तो यह है कि यह हाल उस समय हैं जब कई स्कूलों में संस्कृत के बच्चे ही नहीं हैं। इसके अलावा हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में कुल 2121 पद हैं। इन स्कूलों में हिंदी के 2878 अध्यापक हैं। ऐसे में प्रदेश में हाई और सीनियर सेंकेडरी स्कूलों में 757 पद सरप्लस हैं।
स्कूलों का ब्योरा, जिनमें नहीं हिंदी के अध्यापकों के पद स्वीकृत
हाई और सीनियर सेंकेडरी स्कूलों में 2878 हैं हिंदी अध्यापक स्वीकृत पद हैं 2121
हम हिंदी के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रदेश में लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। करीब 2400 मिडल स्कूलों में हिंदी अध्यापकों के पद ही स्वीकृत नहीं हैं। इसके लिए शिक्षा निदेशालय में महानिदेशक से लेकर शिक्षा मंत्री तक से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिलता। इसीलिए स्कूलों में हिंदी में ही विद्यार्थी पिछड़ रहे हैं।
- जसबीर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ।
बेशक हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में हिंदी अध्यापकों के पद सरप्लस हैं लेकिन जब बेस ही नहीं होगा तो आगे आकर बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे। मिडल स्कूलों में हिंदी अध्यापकों के पदों को स्वीकृत करना होगा। साथ ही सरकार को हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओं के अध्यापकों का वर्क लोड अलग-अलग करके शिक्षकों की भर्ती करनी होगी, तभी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हिंदी भाषा की हालत सुधर सकती है।
- राज सिंह, महासचिव, हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ।
योजना बनाना सरकार का काम है मिडिल स्कूलों में हिंदी के अध्यापक का पद स्वीकृत नहीं है।
- आशा मुंजाल, जिला शिक्षा अधिकारी
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