मिड डे मील से लेकर स्वच्छता को परखने के लिए सरकारी स्कूलों में व्यापक अभियान चलेगा। अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। स्टॉक रजिस्टर की जांच कर रिपोर्ट मौलिक शिक्षा निदेशालय भेजी जाएगी। एमडीएम गुणवत्ता
में खोट पाए जाने पर उस स्कूल के इंचार्ज पर गाज गिरेगी।
केंद्र सरकार की योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं तथा छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों को अलग-अलग मेन्यू के हिसाब से दोपहर का भोजन दिया जाता है। मिड डे मील पकाने में कोई चूक तो नहीं हो रही इसे परखने के लिए मौलिक शिक्षा निदेशालय एक विशेष ड्राइव चलाने की योजना तैयार की है। 1 से लेकर 7 सितंबर तक प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में मिड डे मील सप्ताह मनाया जाएगा। भोजन में इस्तेमाल किए जाने वाले राशन-पानी की गुणवत्ता की जांच होगी।
कुकों पर रहेगी नजर
एमडीएम सप्ताह में बच्चों को भोजन परोसने वाली कुकों पर भी नजर रहेगी। मौलिक शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में क्या नियमित अंतराल पर उनका मेडिकल चेकअप कराया जाता है। बच्चों को भी इस दायरे में शामिल करते हैं। ये सब रजिस्टर में मेंटेन होना चाहिए। जो स्कूल इंचार्ज इन गतिविधियों से दूरी बना रखी है निरीक्षण के दौरान उन पर गाज गिरना तय है।
अधिकारी करेंगे औचक निरीक्षण मौलिक शिक्षा निदेशालय से डीईईओ व बीईओ को पत्र जारी कर एक जिले में न्यूनतम 50 स्कूलों में एमडीएम चेक करने की हिदायत दी गई है। स्टॉक रजिस्टर से राशन का मिलान करेंगे। निदेशालय के मॉनिटरिंग अधिकारी भी निरीक्षण कार्य में योगदान देंगे। निरीक्षण की रिपोर्ट ई-मेल से निदेशालय को भेजी जाएगी।
पोर्टल पर एमडीएम का डाटा
सरकारी स्कूलों में कितने बच्चे एमडीएम से लाभान्वित हो रहे इसके लिए अलग से पोर्टल बनाया गया। पोर्टल पर अगस्त 2015 तक का डाटा अनिवार्य रूप से फीड करने की हिदायत दी गई है। राशन में हेराफेरी पर अंकुश के लिए यह पोर्टल कारगर साबित होगा।
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