जागरण संवाददाता, भिवानी : इस सत्र में दसवीं व बारहवीं कक्षा की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं से प्रदेश के लाखों छात्रों को मुक्ति मिल सकती है। पंचायत चुनावों के चलते यह बदलाव हो सकता है। इस संबंध में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के
प्रशासनिक अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर मंथन किया गया। काफी माथापच्ची के बाद बोर्ड प्रशासन ने दो विकल्प तैयार कर राज्य सरकार को अनुमति के लिए भेज दिए हैं। इनमें पहला विकल्प यह है कि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं के संचालन को बंद कर सीधे वार्षिक परीक्षाएं ही संचालित कर ली जाएं। दूसरा विकल्प यह सुझाया गया है कि इन परीक्षाओं को स्थगित कर आगे टहला दिया जाए। लेकिन इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने का डर है। ये दोनों ही सुझाए गए विकल्प प्रदेश सरकार को भेज दिए गए हैं। हालांकि अंतिम फैसला प्रदेश के शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव को लेना है। फिलहाल सेमेस्टर परीक्षाओं को लेकर संशय के बादल छाए हुए हैं। हालांकि उम्मीद है कि जल्द ही इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। दोनों विकल्प को लेकर शिक्षा बोर्ड के एक उच्चाधिकारी ने पुष्टि की है।
हरियाणा पात्रता परीक्षा पर भी संशय बरकरार
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने हरियाणा पात्रता परीक्षा के लिए 7-8 नवंबर व 14-15 नवंबर का दिन निर्धारित कर अनुमति के लिए राज्य सरकार को भेजा हुआ है। हालांकि अभी तक सरकार इसको लेकर कोई फैसला नहीं कर पाई है और इस बीच पंचायत चुनाव भी घोषित कर दिए गए हैं। ऐसे में एचटेट को लेकर भी संशय बना हुआ है। हालांकि प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख से अधिक उम्मीदवारों से फीस भरवाई जा चुकी है और पात्रता परीक्षा की तमाम तैयारियां की जा चुकी हैं। ऐसे में इस परीक्षा का संचालन करवाना भी शिक्षा बोर्ड की मजबूरी है। हालांकि यह परीक्षा शिक्षा बोर्ड व सरकार दोनों के लिए जी का जंजाल बनती नजर आ रही है।
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(Recruitment , vacancy , job , news)हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने हरियाणा पात्रता परीक्षा के लिए 7-8 नवंबर व 14-15 नवंबर का दिन निर्धारित कर अनुमति के लिए राज्य सरकार को भेजा हुआ है। हालांकि अभी तक सरकार इसको लेकर कोई फैसला नहीं कर पाई है और इस बीच पंचायत चुनाव भी घोषित कर दिए गए हैं। ऐसे में एचटेट को लेकर भी संशय बना हुआ है। हालांकि प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख से अधिक उम्मीदवारों से फीस भरवाई जा चुकी है और पात्रता परीक्षा की तमाम तैयारियां की जा चुकी हैं। ऐसे में इस परीक्षा का संचालन करवाना भी शिक्षा बोर्ड की मजबूरी है। हालांकि यह परीक्षा शिक्षा बोर्ड व सरकार दोनों के लिए जी का जंजाल बनती नजर आ रही है।
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