पंचायत चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार, कोर्ट ने नहीं दी राहत ।
पानीपत। हरियाणा पंचायती राज एक्ट में संशोधन के मामले पर लगी रोक को हटाने के लिए हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नए संशोधन पर लगाई गई रोक को हटाने से
मना कर दिया और सोमवार को अगली सुनवाई निर्धारित की है। अब हरियाणा सरकार और राज्य चुनाव आयुक्त के लिए स्थिति असमंजस भरी हो गई है। गौरतलब है कि नामांकन प्रक्रिया जारी है और पहले चरण के चुनाव के लिए 19 सितंबर अंतिम तिथि है। ऐसे में अभी स्थिति साफ नहीं हो रही है कि बिना योग्यता वाले उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे या नहीं।गौरतलब है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के पंचायती राज संशोधन पर रोक लगा दी थी और पुराने नियमों को लागू कर दिया था। इस फैसले पर रोक लगा तो इसका कई विरोधी दलों के नेताओं ने जहां स्वागत किया, वहीं शुक्रवार को सुबह पंचकूला में हरियाणा राज्य चुनाव आयोग की बैठक हुई। इसमें हुए फैसले के मुताबिक हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई, जिसमें संशोधन पर रोक हटाए जाने की मांग थी। काेर्ट ने इससे साफ इनकार कर दिया। सरकार की तरफ से एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पैरवी कर रहे हैं। इस मामले में अब सोमवार को सुनवाई होगी।
हरियाणा सरकार ने पंचायती राज कानून में बदलाव लाने संबंधी संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित किया था। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए चार शर्तें लागू की गई थी। इसमें महिलाओं व एससी वर्ग के लिए शैक्षणिक योग्यता 8वीं और बाकी सभी के लिए 10वीं पास, पर्चा भरने से पहले घर में टॉयलेट होना, सहकारी बैंक का लोन व बिजली बिल समेत सभी सरकारी देनदारियों का भुगतान निपटाना और 10 साल की सजा के प्रावधान वाले मामलों में प्रत्याशी का चार्जशीटेड न होना शामिल हैं। प्रदेश सरकार ने 11 अगस्त को कैबिनेट मीटिंग में ये फैसले लिए थे।
चुनाव आयोग ने कहा, कोई भी करे नामांकन
उधर इस मामले में राज्य चुनाव आयुक्त रजनीश शर्मा ने एक बयान में कहा कि पंचायत चुनाव के लिए कोई भी नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है। बाद में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगर संशोधन के हक में आता है तो अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों के नामांकन रद्द भी किए जा सकते हैं, लेकिन फिलहाल इन लोगों को राहत है।
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