स्टेट यूनिवर्सिटी नहीं बना सकते राज्य से बाहर स्टडी सेंटर और परीक्षा केंद्रनारनौल : कोई भी स्टेट यूनिवर्सिटी (सरकारी और प्राइवेट) जहां स्थित है, सिर्फ उसी राज्य में अपने परीक्षा केंद्र और स्टडी सेंटर बना सकती है। अपने राज्य से बाहर उसे परीक्षा केंद्र या स्टडी सेंटर बनाने की शक्ति नहीं दी गई है। अगर कोई स्टेट
यूनिवर्सिटी अपने क्षेत्र की सीमाओं से बाहर जाकर अन्यराज्यों में स्टडी सेंटर अथवा परीक्षा केंद्र बनाती हैतो वह डिग्री मान्य नहीं होगी।इसका खुलासा यूजीसी से आरटीआइ के माध्यम से हासिल जानकारी से हुआ है। बाहरी राज्यों द्वारा प्रदेश में दूरवर्ती या पत्रचार माध्यम से दी गई डिग्रियों के आधार पर प्रदेश में हजारों लोग सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं, जिनमें से कई शिक्षा विभाग में भी कार्यरत हैं। यूजीसी के इन नियमों से ऐसे कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आ सकता है।नारनौल निवासी एक युवक द्वारा आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे परीक्षा केंद्रों व स्टडी सेंटरों से हासिल की गई स्नातक एवं स्नातकोत्तर सहित अन्य डिग्रियां मान्य नहीं हैं। ऐसे में युवाओं को ऐसे विश्वविद्यालयों से सावधान होकर ही डिस्टेंस अथवा कॉरेस्पोंडेंस से शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, अन्यथा उनका धन और समय बर्बाद हो सकता है।गौर हो कि दक्षिण भारत के कई विश्वविद्यालय अपने स्टडी सेंटर या परीक्षा केंद्र हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई शहरों में चला रहे हैं और स्नातकव स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के साथ ही प्रोफेशनल कोर्सेज भी करवा रहे हैं। लेकिन ऐसे विश्वविद्यालय डिग्री जारी करते समय उसमें परीक्षा केंद्र का नाम नहीं देते, जिससे लगे कि यह डिग्री संबंधित विश्वविद्यालय के राज्य में बनाए गए परीक्षा केंद्रों से परीक्षा देकर हासिल की गई है। यूजीसी नियमों के अनुसार विश्वविद्यालयों के अलावा निजी शिक्षण संस्थानों का अधिकार क्षेत्र भी अपने मुख्यालय तक ही सीमित होता है। यदि कोई संस्थान मुख्यालय से बाहर कोर्सेज चलाना चाहे, तो उसे मानदंडों का पालन करते हुए वहां नया संस्थान खोलना होगाराज्य से बाहर की डिग्री मान्य नहीं : यूजीसीwww.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
यूनिवर्सिटी अपने क्षेत्र की सीमाओं से बाहर जाकर अन्यराज्यों में स्टडी सेंटर अथवा परीक्षा केंद्र बनाती हैतो वह डिग्री मान्य नहीं होगी।इसका खुलासा यूजीसी से आरटीआइ के माध्यम से हासिल जानकारी से हुआ है। बाहरी राज्यों द्वारा प्रदेश में दूरवर्ती या पत्रचार माध्यम से दी गई डिग्रियों के आधार पर प्रदेश में हजारों लोग सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं, जिनमें से कई शिक्षा विभाग में भी कार्यरत हैं। यूजीसी के इन नियमों से ऐसे कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आ सकता है।नारनौल निवासी एक युवक द्वारा आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे परीक्षा केंद्रों व स्टडी सेंटरों से हासिल की गई स्नातक एवं स्नातकोत्तर सहित अन्य डिग्रियां मान्य नहीं हैं। ऐसे में युवाओं को ऐसे विश्वविद्यालयों से सावधान होकर ही डिस्टेंस अथवा कॉरेस्पोंडेंस से शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, अन्यथा उनका धन और समय बर्बाद हो सकता है।गौर हो कि दक्षिण भारत के कई विश्वविद्यालय अपने स्टडी सेंटर या परीक्षा केंद्र हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई शहरों में चला रहे हैं और स्नातकव स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के साथ ही प्रोफेशनल कोर्सेज भी करवा रहे हैं। लेकिन ऐसे विश्वविद्यालय डिग्री जारी करते समय उसमें परीक्षा केंद्र का नाम नहीं देते, जिससे लगे कि यह डिग्री संबंधित विश्वविद्यालय के राज्य में बनाए गए परीक्षा केंद्रों से परीक्षा देकर हासिल की गई है। यूजीसी नियमों के अनुसार विश्वविद्यालयों के अलावा निजी शिक्षण संस्थानों का अधिकार क्षेत्र भी अपने मुख्यालय तक ही सीमित होता है। यदि कोई संस्थान मुख्यालय से बाहर कोर्सेज चलाना चाहे, तो उसे मानदंडों का पालन करते हुए वहां नया संस्थान खोलना होगाराज्य से बाहर की डिग्री मान्य नहीं : यूजीसीwww.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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