चंडीगढ़ : हरियाणा लोक सेवा आयोग के सदस्यों पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की भर्ती में धाधली के आरोप में ट्रायल चलाने के मामले में हरियाणा सरकार को झटका देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रायल रद करने के आदेश
जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि लोक सेवा आयोग के सदस्यों पर ट्रायल के लिए राष्ट्रपति से मंजूरी लेना जरूरी है और इस मामले में ऐसा नहीं किया गया ऐसे में इस ट्रायल की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
आयोग के दो पूर्व सदस्यों युद्धवीर सिंह और छत्तर सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की भर्ती में धाधली का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ पंचकूला की विशेष अदालत में चार्जशीट को मंजूर किया गया है। कोर्ट मुकदमा चला रहा है जबकि इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। हरियाणा सरकार ने इस मामले में राष्ट्रपति के स्थान पर राज्यपाल की मंजूरी ली है जो सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि इस प्रकार की स्थिति में राष्ट्रपति ही ट्रायल की अनुमति देने के लिए अधिकृत हैं। वहीं, हरियाणा सरकार ने कहा कि राज्यपाल की मंजूरी को ट्रायल के लिए काफी माना जा सकता है।
जस्टिस अनीता चौधरी ने कहा कि ऐसे मामलों में राष्ट्रपति को ही सही अथॉरिटी माना जा सकता है राज्यपाल को नहीं। ऐसे में ट्रायल रद किया जाए। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को यह छूट दी कि यदि वह चाहे तो ट्रायल की अनुमति के लिए राष्ट्रपति से संपर्क कर सकती है लेकिन ट्रायल तभी आरंभ किया जा सकता है जब वहा से मंजूरी मिल जाए।
यह था मामला
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में इनवायरमेंट इंजीनियर के चार पदों को भरने के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया और आवेन करने की अंतिम तिथि 16 अक्टूबर तय की गई। आरोप के अनुसार अपने चहेतों को एडजस्ट करने के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया गया।
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