दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू-हरियाणा के उन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है, जो फील्ड में कार्यरत हैं। इन लोगों को अब इमरजेंसी की स्थिति में दिल्ली या चंडीगढ़ भागने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें अपने ही जिले के बड़े प्राइवेट अस्पताल में उपचार की सुविधा मिलेगी। प्रदेश सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को पैनल पर लेने की नीति में बदलाव करने का
फैसला लिया है। वर्तमान में सरकार ने कुल 56 प्राइवेट अस्पतालों को पैनल पर लिया हुआ है। इनमें से 35 अस्पताल अकेले एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के हैं। यही नहीं, इन 35 अस्पतालों में से भी 18 अस्पताल ऐसे हैं, जो दिल्ली में स्थित हैं।
8 अस्पताल ट्राईसिटी (चंडीगढ़, पंचकूला व मोहाली) के हैं और बाकी के अस्पताल हिसार, अंबाला, रेवाड़ी, जींद आदि जिलों के हैं। प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं, जिनका एक भी प्राइवेट अस्पताल सरकार के पैनल पर नहीं है। आमतौर पर अधिकारियों द्वारा ही अस्पतालों को पैनल पर शामिल कर लिया जाता है। इसके लिए अभी तक कोई ठोस नीति नहीं है। इतना ही नहीं, कुल 56 अस्पतालों में से आधे से अधिक हृदय रोग के हैं।
इसके लिए जिला चिकित्सा अधिकारियों से प्राइवेट व मल्टी स्पेशलियिटी अस्पतालों की सूची भी मांग ली गयी है।
विभागों की ओर से किया जाता है भुगतान
इमरजेंसी की स्थिति में अधिकारी-कर्मचारी प्राइवेट अस्पताल में दाखिल होते हैं। इसके लिये पीजीआई व एम्स के रेट के हिसाब से निजी अस्पतालों को भुगतान किया जाता है। यही नहीं, अगर खर्चा अधिक होता है व इन रेट के बाद भी बकाया रहता है तो 75 प्रतिशत सरकार की ओर से दिया जाता है।
इसलिए लिया पॉलिसी बनाने का फैसला
वर्तमान में जो 56 अस्पताल सरकार के पैनल पर हैं, उनमें से कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जिनमें उतनी सुविधाएं नहीं हैं, जितनी की नियमों के अनुसार होनी चाहिए। अस्पतालों को पैनल पर रखने के लिए नियम तो बने हुए हैं लेकिन नियमों से अधिक ‘सैटिंग’ चलती है।
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” अधिकारियों को नीति बनाने के आदेश दिये गये हैं। एनसीआर 3 दर्जन अस्पताल पैनल पर हैं। अगर कर्मचारी की ड्यूटी सिरसा, फतेहाबाद या किसी दूर के जिले में हैं तो उसे दिल्ली तक पहुंचने में ही कई घंटे लग जाएंगे। कोशिश रहेगी कि जिलों में ही उन्हें चिकित्सा सुविधा मिल सके। -अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
फैसला लिया है। वर्तमान में सरकार ने कुल 56 प्राइवेट अस्पतालों को पैनल पर लिया हुआ है। इनमें से 35 अस्पताल अकेले एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के हैं। यही नहीं, इन 35 अस्पतालों में से भी 18 अस्पताल ऐसे हैं, जो दिल्ली में स्थित हैं।
8 अस्पताल ट्राईसिटी (चंडीगढ़, पंचकूला व मोहाली) के हैं और बाकी के अस्पताल हिसार, अंबाला, रेवाड़ी, जींद आदि जिलों के हैं। प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं, जिनका एक भी प्राइवेट अस्पताल सरकार के पैनल पर नहीं है। आमतौर पर अधिकारियों द्वारा ही अस्पतालों को पैनल पर शामिल कर लिया जाता है। इसके लिए अभी तक कोई ठोस नीति नहीं है। इतना ही नहीं, कुल 56 अस्पतालों में से आधे से अधिक हृदय रोग के हैं।
इसके लिए जिला चिकित्सा अधिकारियों से प्राइवेट व मल्टी स्पेशलियिटी अस्पतालों की सूची भी मांग ली गयी है।
विभागों की ओर से किया जाता है भुगतान
इमरजेंसी की स्थिति में अधिकारी-कर्मचारी प्राइवेट अस्पताल में दाखिल होते हैं। इसके लिये पीजीआई व एम्स के रेट के हिसाब से निजी अस्पतालों को भुगतान किया जाता है। यही नहीं, अगर खर्चा अधिक होता है व इन रेट के बाद भी बकाया रहता है तो 75 प्रतिशत सरकार की ओर से दिया जाता है।
इसलिए लिया पॉलिसी बनाने का फैसला
वर्तमान में जो 56 अस्पताल सरकार के पैनल पर हैं, उनमें से कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जिनमें उतनी सुविधाएं नहीं हैं, जितनी की नियमों के अनुसार होनी चाहिए। अस्पतालों को पैनल पर रखने के लिए नियम तो बने हुए हैं लेकिन नियमों से अधिक ‘सैटिंग’ चलती है।
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” अधिकारियों को नीति बनाने के आदेश दिये गये हैं। एनसीआर 3 दर्जन अस्पताल पैनल पर हैं। अगर कर्मचारी की ड्यूटी सिरसा, फतेहाबाद या किसी दूर के जिले में हैं तो उसे दिल्ली तक पहुंचने में ही कई घंटे लग जाएंगे। कोशिश रहेगी कि जिलों में ही उन्हें चिकित्सा सुविधा मिल सके। -अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री
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