राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए संचालित साक्षर भारत मिशन की ओर से प्रेरकों को लंबे समय से पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा है। शिक्षा प्रेरकों को पिछले सात माह से मानदेय नहीं मिला है। शिक्षा विभाग ने इनके लिए पिछले माह बजट का बंदोबस्त हो जाने का दावा किया था, लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है। 1राज्य में करीब छह हजार शिक्षा प्रेरक हैं। आर्थिक और मानसिक परेशानी से गुजर रहे शिक्षा प्रेरकों ने अपनी समस्या से विभागीय अधिकारियों को कई बार वाकिफ कराया। सीएम और पीएम तक अर्जियां भेजी जा चुकी, मगर हालात अभी नहीं बदले हैं। प्रेरकों द्वारा संचालित लोक शिक्षा केंद्रों पर भी 3 साल बीतने के बाद कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं। नव साक्षरों की परीक्षा के चलते अगस्त में राज्य के प्रेरकों ने इनके बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। तब तक उनका 20 माह का मानदेय रुका हुआ था, लेकिन परीक्षा सुचारू रखने के चलते शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में कुछ पारिश्रमिक जारी कर दिया, लेकिन फिलहाल भी सात माह का रुका हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक लोक शिक्षा केंद्र पर प्रति वर्ष 75 हजार रुपये खर्च करने का प्रावधान है, लेकिन इन केंद्रों पर कोई राशि खर्च नहीं हुई है।राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए संचालित साक्षर भारत मिशन की ओर से प्रेरकों को लंबे समय से पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा है। शिक्षा प्रेरकों को पिछले सात माह से मानदेय नहीं मिला है। शिक्षा विभाग ने इनके लिए पिछले माह बजट का बंदोबस्त हो जाने का दावा किया था, लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है। 1राज्य में करीब छह हजार शिक्षा प्रेरक हैं। आर्थिक और मानसिक परेशानी से गुजर रहे शिक्षा प्रेरकों ने अपनी समस्या से विभागीय अधिकारियों को कई बार वाकिफ कराया। सीएम और पीएम तक अर्जियां भेजी जा चुकी, मगर हालात अभी नहीं बदले हैं। प्रेरकों द्वारा संचालित लोक शिक्षा केंद्रों पर भी 3 साल बीतने के बाद कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं। नव साक्षरों की परीक्षा के चलते अगस्त में राज्य के प्रेरकों ने इनके बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। तब तक उनका 20 माह का मानदेय रुका हुआ था, लेकिन परीक्षा सुचारू रखने के चलते शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में कुछ पारिश्रमिक जारी कर दिया, लेकिन फिलहाल भी सात माह का रुका हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक लोक शिक्षा केंद्र पर प्रति वर्ष 75 हजार रुपये खर्च करने का प्रावधान है, लेकिन इन केंद्रों पर कोई राशि खर्च नहीं हुई हैwww.facebook.com/teacherharyana
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