सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव से हिंदी बेल्ट की बल्ले-बल्ले
अकेले इलाहाबाद में दोगुनी हुई प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों की संख्या
एक्सपर्ट कमेंटअविनाशी श्रीवास्तव इलाहाबाद। लंबे अरसे बाद सिविल सेवा परीक्षा के प्रतियोगियों में उत्साह है। सिविल सेवा-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम सोमवार को घोषित हुआ। परीक्षा प्रारूप में हुए बदलाव
से हिंदी पट्टी के प्रतियोगियों की बल्ले-बल्ले होती दिख रही है। अकेले इलाहाबाद में प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है।
सीसैट लागू होने से पहले इलाहाबाद से 50 से अधिक अभ्यर्थी सिविल सेवा में अंतिम रूप से चयनित होते रहे। 2009 में तो 76 अभ्यर्थी सफल हुए थे। प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों की संख्या तो एक हजार से भी अधिक होती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह संख्या काफी कम हो गई। यहां के प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा की बाधा ही पार नहीं कर पा रहे थे और यह संख्या 200 से 250 के बीच सिमट कर रह गई थी।
सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर करने के बाद इस बार के रिजल्ट में सुधार हुआ है। हॉस्टल, डेलीगेसी तथा कोचिंग संस्थानों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार इलाहाबाद से 500 से अधिक अभ्यर्थियों ने प्रारंभिक परीक्षा पास की है। हॉस्टल और डेलीगेसी में उत्साह साफ नजर आ रहा है। इस रिजल्ट से मुख्य परीक्षा और अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों की सूची में भी बेहतर परिणाम की उम्मीद जगी है।
प्रारंभिक परीक्षा में 2011 में सीसैट लागू होने के बाद से हिंदी पट्टी के प्रतियोगियों की सफलता का ग्राफ लगातार गिरता गया। चौतरफा दबाव बनने के बाद सरकार के फैसले के तहत संघ लोक सेवा आयोग ने इस बार प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग कर दिया। यानी, इसके अंक मेरिट निर्धारण में नहीं जोड़े गए। अब इसका लाभ भी मिलता दिख रहा है। हालांकि सीसैट लागू होने से पहले जैसी सफलता इस बार भी नहीं है। इसके पीछे मेरिट अधिक होने के साथ बड़ी संख्या में प्रतियोगियों के फार्म नहीं भरने को कारण माना जा रहा है। इसके बावजूद पहले के मुकाबले बेहतर परिणाम आने से प्रतियोगी उत्साहित हैं और हिंदी पट्टी में इस प्रतिष्ठित परीक्षा को लेकर एक बार फिर सकारात्मक माहौल बनने लगा है।
सीसैट क्वालीफाइंग होने के साथ सामान्य अध्ययन का पेपर भी ट्रेडिशनल रहा। इसकी वजह से नए प्रतियोगियों को कुछ निराशा मिली है, लेकिन लंबे समय से तैयारी करने वालों को फायदा हुआ। यहां के प्रतियोगियों की वैकल्पिक विषय में अच्छी नॉलेज होती है। इसलिए मुख्य परीक्षा में और बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।
प्रोफेसर जटा शंकर, सदस्य, यूपीएससी विशेषज्ञ पैनलwww.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
अकेले इलाहाबाद में दोगुनी हुई प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों की संख्या
एक्सपर्ट कमेंटअविनाशी श्रीवास्तव इलाहाबाद। लंबे अरसे बाद सिविल सेवा परीक्षा के प्रतियोगियों में उत्साह है। सिविल सेवा-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम सोमवार को घोषित हुआ। परीक्षा प्रारूप में हुए बदलाव
से हिंदी पट्टी के प्रतियोगियों की बल्ले-बल्ले होती दिख रही है। अकेले इलाहाबाद में प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है।
सीसैट लागू होने से पहले इलाहाबाद से 50 से अधिक अभ्यर्थी सिविल सेवा में अंतिम रूप से चयनित होते रहे। 2009 में तो 76 अभ्यर्थी सफल हुए थे। प्रारंभिक परीक्षा पास करने वालों की संख्या तो एक हजार से भी अधिक होती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह संख्या काफी कम हो गई। यहां के प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा की बाधा ही पार नहीं कर पा रहे थे और यह संख्या 200 से 250 के बीच सिमट कर रह गई थी।
सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर करने के बाद इस बार के रिजल्ट में सुधार हुआ है। हॉस्टल, डेलीगेसी तथा कोचिंग संस्थानों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार इलाहाबाद से 500 से अधिक अभ्यर्थियों ने प्रारंभिक परीक्षा पास की है। हॉस्टल और डेलीगेसी में उत्साह साफ नजर आ रहा है। इस रिजल्ट से मुख्य परीक्षा और अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों की सूची में भी बेहतर परिणाम की उम्मीद जगी है।
प्रारंभिक परीक्षा में 2011 में सीसैट लागू होने के बाद से हिंदी पट्टी के प्रतियोगियों की सफलता का ग्राफ लगातार गिरता गया। चौतरफा दबाव बनने के बाद सरकार के फैसले के तहत संघ लोक सेवा आयोग ने इस बार प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग कर दिया। यानी, इसके अंक मेरिट निर्धारण में नहीं जोड़े गए। अब इसका लाभ भी मिलता दिख रहा है। हालांकि सीसैट लागू होने से पहले जैसी सफलता इस बार भी नहीं है। इसके पीछे मेरिट अधिक होने के साथ बड़ी संख्या में प्रतियोगियों के फार्म नहीं भरने को कारण माना जा रहा है। इसके बावजूद पहले के मुकाबले बेहतर परिणाम आने से प्रतियोगी उत्साहित हैं और हिंदी पट्टी में इस प्रतिष्ठित परीक्षा को लेकर एक बार फिर सकारात्मक माहौल बनने लगा है।
सीसैट क्वालीफाइंग होने के साथ सामान्य अध्ययन का पेपर भी ट्रेडिशनल रहा। इसकी वजह से नए प्रतियोगियों को कुछ निराशा मिली है, लेकिन लंबे समय से तैयारी करने वालों को फायदा हुआ। यहां के प्रतियोगियों की वैकल्पिक विषय में अच्छी नॉलेज होती है। इसलिए मुख्य परीक्षा में और बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।
प्रोफेसर जटा शंकर, सदस्य, यूपीएससी विशेषज्ञ पैनलwww.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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