निजी स्कूल संचालक चाहें सरकार से जादू की झप्पी
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रदेश के निजी स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को अपने यहां पढ़ाने में कोई गुरेज नहीं, लेकिन उन्हें इसके लिए प्रदेश सरकार से सहायता राशि चाहिए। यह वही सहायता राशि है जो राज्य सरकार अनुदान के रूप में केंद्र सरकार से हासिल करती है।1निजी स्कूल संचालक चाहते हैं कि सहायता राशि उन्हें देने के बजाय सीधे बच्चे के खाते में
हस्तांतरित की जाए। ऐसा नहीं होने पर निजी स्कूलों को गरीब बच्चों की फीस का खर्चा अन्य बच्चों पर समान मात्र में डालना पड़ेगा। यूं कहिए कि राज्य सरकार द्वारा सहयोग नहीं किए जाने पर निजी स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश सरकार गवर्नमेंट स्कूलों में प्रति बच्चा 28 हजार रुपये सालाना खर्च कर रही है। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) को लागू करने की एवज में राज्य सरकार केंद्र से 18 हजार रुपये वार्षिक हासिल भी कर रही है। प्रदेश सरकार निजी स्कूलों पर शॉप एक्ट और प्रापर्टी टैक्स समेत कई तरह के कर लगाती है। 1शर्मा के अनुसार पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि राज्य सरकार गरीब बच्चों की फीस का भुगतान करे। दो लाख रुपये तक की आय वाला अभिभावक गरीब की श्रेणी में माना गया है। हम ऐसे बच्चों को दाखिला देने को तैयार हैं, लेकिन राज्य सरकार थोड़ा भी सहयोग करने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार स्कूलों को यह राशि नहीं देना चाहती तो उसे 1500 रुपये मासिक के बाउचर सीधे बच्चों अथवा उनके अभिभावकों को दे देने चाहिए। वह इस राशि का कैसे भी इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव किसी ने भी निजी स्कूल संचालकों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया है ।
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हस्तांतरित की जाए। ऐसा नहीं होने पर निजी स्कूलों को गरीब बच्चों की फीस का खर्चा अन्य बच्चों पर समान मात्र में डालना पड़ेगा। यूं कहिए कि राज्य सरकार द्वारा सहयोग नहीं किए जाने पर निजी स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश सरकार गवर्नमेंट स्कूलों में प्रति बच्चा 28 हजार रुपये सालाना खर्च कर रही है। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) को लागू करने की एवज में राज्य सरकार केंद्र से 18 हजार रुपये वार्षिक हासिल भी कर रही है। प्रदेश सरकार निजी स्कूलों पर शॉप एक्ट और प्रापर्टी टैक्स समेत कई तरह के कर लगाती है। 1शर्मा के अनुसार पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि राज्य सरकार गरीब बच्चों की फीस का भुगतान करे। दो लाख रुपये तक की आय वाला अभिभावक गरीब की श्रेणी में माना गया है। हम ऐसे बच्चों को दाखिला देने को तैयार हैं, लेकिन राज्य सरकार थोड़ा भी सहयोग करने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार स्कूलों को यह राशि नहीं देना चाहती तो उसे 1500 रुपये मासिक के बाउचर सीधे बच्चों अथवा उनके अभिभावकों को दे देने चाहिए। वह इस राशि का कैसे भी इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव किसी ने भी निजी स्कूल संचालकों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया है ।
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