वेतन रिपोर्ट के खिलाफ 27 को यूनियनों का काला दिवस

900 पेज की वेतन आयोग की रिपोर्ट डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों से जुड़े श्रम संगठनों ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केंद्रीय कर्मचारियों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए विभिन्न यूनियनों व महासंघों के मेल से बनी संस्था-नेशनल
ज्वाइंट काउंसिल (एनजेसीए) ने रिपोर्ट के विरोध में 27 नवंबर को काला दिवस मनाने तथा राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का एलान किया है।
एनजेसीए के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने बयान में सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को एकदम वाहियात और कर्मचारियों के हितों के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा रिपोर्ट खास तौर पर इसलिए और भी आपत्तिजनक है क्योंकि जहां पीएसयू व बैंकों का वेतन पांच साल में पुनरीक्षित होता है वहीं केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन पुनरीक्षण दस साल में होता है।
इसके बावजूद आयोग ने यूनियनों की एक बात नहीं सुनी है। एक तो न्यूनतम वेतन महज 18 हजार रखा गया है, उस पर न्यू पेंशन स्कीम, जीपीएफ, सीजीईआइजीएस आदि की कटौतियां लागू की गई हैं जिनसे वास्तविक वेतन ऋणात्मक बनेगा।
जनता को 23.5 फीसद की वृद्धि कहकर गुमराह किया जा रहा है। जबकि वास्तविक बढ़ोतरी केवल 14.29 फीसद की बनती है। न्यूनतम वेतन महज 18 हजार रखा गया है, जबकि सचिव स्तर के अधिकारियों का वेतन सवा दो लाख और कैबिनेट सचिव का वेतन ढाई लाख रुपये कर दिया गया है।
इस तरह न्यूनतम व अधिकतम वेतन के बीच लगभग चौदह गुने का अंतर हो गया है। जबकि काउंसिल ने आयोग को इस अंतर को आठ गुना से ज्यादा न रखने की सलाह दी थी। हाउस रेंट एलाउंस की दरें घटा दी गई हैं और अनेक अन्य भत्तों को खत्म करने की सिफारिश की गई है। केंद्रीय कर्मचारी पूरी तरह क्षुब्ध हैं।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)

======================================================
ट्रेड यूनियनों ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया है। भाजपा और वाम दलों से संबंधित यूनियनों ने प्रस्तावित वेतनवृद्धि पिछले कई दशक में सबसे कम है और यह मुद्रास्फीति को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव वीरेश उपाध्याय ने कहा कि यह रिपोर्ट निराशाजनक है और हम इसका विरोध करते हैं।

वास्तव में शुद्ध वेतन में 16 प्रतिशत की वृद्धि होगी, 23.55 प्रतिशत की नहीं, जैसा कि बताया जा रहा है। अधिकतम और न्यूनतम वेतन में भारी अंतर है। उन्होंने कहा कि ग्रैच्युटी की गणना के लिए वेतन की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 10 लाख से 20 लाख किया गया है। इसका फायदा केवल वरिष्ठ अधिकारियों को मिलेगा।

भाकपा समर्थित आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का यह कहते हुए विरोध किया है कि मुद्रास्फीति के हिसाब से पिछले तीन दशक में केंद्रीय कर्मियों के वेतन में यह सबसे कम वृद्धि की गयी है।

एटक के महासचिव गुरदास दासगुप्ता ने कहा यह बिल्कुल निराशाजनक है, पिछले तीन दशक में यह सबसे कम वृद्धि की सिफारिश है। मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए यह असंतोषजनक है। वेतन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के माथुर ने गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली को आयोग की सिफारिशें सौंपी। इन्हें आगामी पहली जनवरी से लागू किया जाना है। आयोग ने वेतन, भत्ते और पेंशन में 23.55 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की है। इससे केंद्र सरकार के 47 लाख कर्मचारियों और 52 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा।
=============================================================
सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नियत अंतराल पर वेतन आयोग गठित होता रहा है। आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी भी की जाती रही है, ताकि उन्हें बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके। इस हिसाब से सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में नई बात क्या हो सकती थी! पर पहली बार किसी वेतन आयोग ने कुछ नए सुझाव भी दिए हैं। मसलन, सातवें आयोग ने कहा है कि कर्मचारियों को कार्य-प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया जाए। इसका तरीका वेतन-वृद्धि या कुछ और भी हो सकता है। इसी तरह केंद्रीय कर्मियों के लिए समान रैंक समान पेंशन की पैरवी आयोग ने की है। इसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी आएंगे। न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग की राय एक मसले पर बंटी रही। केंद्र की नौकरशाही में प्रशासनिक सेवा के अफसरों को पुलिस अधिकारियों और वन अधिकारियों से तरजीह मिलती रही है। अध्यक्ष न्यायमूर्ति माथुर समेत कुछ सदस्य इस वरीयता के फर्क को समाप्त करने के पक्ष में थे, पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई। अब जब तक सरकार रिपोर्ट पर अपना अंतिम निर्णय नहीं सुना देती, इस मसले के पक्ष और विपक्ष में दलीलों का सिलसिला चलता रहेगा। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें पहली जनवरी 2016 से लागू होंगी। इन सिफारिशों के मुताबिक केंद्रीय कर्मियों के वेतन-भत्ते और पेंशनयाफ्ता लोगों के पेंशन में औसतन चौबीस फीसद की बढ़ोतरी होगी। वेतन में सोलह फीसद बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है, भत्तों में तिरसठ फीसद की। केंद्र सरकार में न्यूनतम वेतन अठारह हजार रुपए होगा और अधिकतम वेतन सवा दो लाख रुपए। ग्रेच्युटी सीमा दस लाख रुपए से बढ़ा कर बीस लाख रुपए कर दी गई है। आयोग ने आवास भत्ते का फार्मूला बदलने, तीन फीसद सालाना वेतन वृद्धि और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवान की ड्यूटी के दौरान मौत होने पर सेना की तरह उसे भी शहीद का दर्जा देने का सुझाव दिया है। सिफारिशों के चलते सरकार पर करीब एक लाख करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ेगा। इससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। पहले के आयोगों के अनुभव ऐसे ही थे। छठे वेतन आयोग का तो राजकोषीय स्थिति पर कुछ ज्यादा ही असर पड़ा, क्योंकि तब बढ़ोतरी भी ज्यादा हुई और सिफारिशें पीछे की तारीख से लागू हुई थीं जिससे सरकार को बकाए के तौर पर भी काफी भुगतान करना पड़ा था। इस बार बकाए का कोई झमेला नहीं है। फिर भी राजकोषीय घाटे को पूर्व निश्चित सीमा में लाने की सरकार की योजना फिलहाल खटाई में पड़ सकती है। आम बजट में राजकोषीय घाटे को 2015-16 में जीडीपी के 3.9 फीसद तक और 2017-18 तक तीन फीसद तक लाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अगले दो साल सरकार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के असर से जूझना पड़ेगा। इन सिफारिशों के चलते महंगाई का ग्राफ भी कुछ ऊपर जा सकता है। मगर केंद्रीय कर्मियों के खर्च और निवेश में बढ़ोतरी से बाजार में गतिशीलता आने की भी उम्मीद की जा रही है। सातवें वेतन आयोग के लाभार्थी अपनी बढ़ी हुई आय वाहन, आवास जैसे मदों में लगाना चाहेंगे। लेकिन केंद्रीय कर्मचारी हमारे देश की आबादी का एक बहुत छोटा हिस्सा हैं। उनकी आमदनी में इजाफे से अर्थव्यवस्था को बहुत बड़े पैमाने पर गति नहीं मिल सकती, न वह दीर्घकाल तक टिकाऊ रह सकती है। यह तो तभी हो सकता है जब उन लोगों की भी आय बढ़े, जो हमारे देश की आबादी का विशाल हिस्सा हैं, पर जो क्रयशक्ति के लिहाज से हाशिये पर रहे हैं। 

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Calculate your age

Age Calculator Choose date of birth: OR enter birth details: / / Calculate Age