लालू-नीतीश का महाधमाका, नहीं चला मोदी-शाह का जादू, हरियाणा में पांच सीट भी नहीं मिलेगी : हुड्डा

लालू-नीतीश का महाधमाका, नहीं चला मोदी-शाह का जादू
जागरण ब्यूरो, पटना। सारे अनुमान और एग्जिट पोल निराधार साबित हुए। हर आकलन झुठलाते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन ने बिहार की जंग में अप्रत्याशित एवं धमाकेदार जीत दर्ज की। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की जोड़ी ने कांग्रेस के साथ मिलकर 178 सीटें अपने नाम करते हुए दो तिहाई से अधिक बहुमत हासिल कर लिया। लालू प्रसाद
सबसे अधिक 80 सीटें जीतकर फिर से एक बार बिहार की राजनीति में बड़ी ताकत के रूप में उभरे। उन्होंने साबित कर दिया कि उनका करिश्मा बरकरार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का जादू नहीं चला। महागठबंधन ने पहले चार चरणों के मतदान में ही बहुमत का आंकड़ा छू लिया। भाजपा को सबसे तगड़ा झटका उसके सहयोगी दलों ने दिया। भाजपा से 87 सीटें लेकर मैदान में उतरे लोजपा, रालोसपा और हम को सिर्फ पांच सीटें मिलीं। दिलचस्प यह रहा कि सभी दलों के वोट कम हुए पर भाजपा के आठ फीसद बढ़ गए।
महागठबंधन चौथे चरण को छोड़ हर चरण में राजग से बहुत आगे रहा। पहले चरण में ही इसने 49 में से 44 सीटें अपने नाम कर ली। यह बढ़त हर चरण में कायम रही, केवल चौथे चरण में मार्जिन कम रहा। 55 सीटों में से 22 पर राजग विजयी रहा, जबकि 29 सीटें महागठबंधन के नाम रहीं। अंतिम चरण की 57 सीटों पर हुए चुनाव में महागठबंधन ने सबसे अधिक 46 सीटें हासिल कीं। 14 जिलों में तो राजग का खाता भी नहीं खुल पाया। पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी के एआइएमआइएम के अलावा राकांपा, सपा जैसे दल हवा हो गए और हर चरण में राजग और महागठबंधन में सीधी टक्कर देखने को मिली। फिर भी चार निर्दलीय प्रत्याशी बाजी मारने में कामयाब रहे।
पहले चरण से ठीक पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की बात से उठे विवाद का राजग पर प्रतिकूल असर दिखा। 49 में से मात्र पांच सीटें ही राजग को इस चरण में मिल पाईं। दूसरे चरण की 32 सीटों पर हुए मतदान में इसके खाते में मात्र नौ सीटें आईं। दो चरणों के चुनाव के बाद बीफ विवाद और अवार्ड वापसी की होड़ से बने माहौल ने भी लगता है कि भाजपा की दिक्कतें और बढ़ाईं। महागठबंधन के पक्ष में अधिक गोलबंदी दिखी और तीसरे चरण की 50 सीटों में से राजग के हिस्से सिर्फ 12 सीटें आईं। राजग चौथे चरण में थोड़ा संभला, लेकिन इससे बात नहीं बनने वाली थी। इस चरण में इसने 22 सीटें जीतीं। इसी बीच पाकिस्तान में पटाखे फोडऩे संबंधी बयान से उठे बवाल ने भी नुकसान पहुंचाया। नतीजे बताते हैं कि इस बयान ने कोसी और सीमांचल के क्षेत्र में महागठबंधन के पक्ष में ही गोलबंदी कर दी। किशनगंज, सहरसा और मधेपुरा में राजग का खाता भी नहीं खुला और अंतिम चरण में 57 में से मात्र 10 सीटें ही राजग ले पाया। भाजपा के सहयोगियों ने भी राजग को मायूस किया। लोजपा 43, रालोसपा 23 और हम 21 सीटों पर चुनाव लड़े थे, लेकिन इन्होंने कुल पांच सीटें ही हासिल कीं। लोजपा को 2, रालोसपा को 2 और हम को एक सीट मिली। वहीं लालू और नीतीश की सहयोगी बनी कांग्रेस 40 सीटों पर चुनाव लड़ी और इसके 27 उम्मीदवार जीत गए। 1990 के बाद से अब तक कांग्रेस का यह पहला शानदार प्रदर्शन है। चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी बाजी मारी जबकि भाकपा (माले) के तीन उम्मीदवारों को कामयाबी मिली।
कोट्स
यह बिहार की जनता की जीत है। महागठबंधन की एकजुटता को लोगों ने अपना समर्थन दिया। चुनाव को लेकर जो कांटे के टक्कर की बात कही जा रही थी उसे अपने फैसले से लोगों ने यह बता दिया कि उनका मन बना हुआ था। महिलाओं, युवाओं, बहुसंख्यक, अल्पसंख्यक, पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और महादलित सभी का समर्थन मिला। समाज में जो धु्रवीकरण की कोशिश की गई उसे जनता ने नकार दिया- नीतीश कुमार।
पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और उच्च वर्ग के प्रगतिशील गरीब लोगों ने हमारे महागठबंधन के प्रति निष्ठा जताई। अब पूरे देश से भाजपा का सफाया करेंगे। बिहार की जनता 17 महीने में भाजपा सरकार की कथनी-करनी का अंतर समझ गई है। भाजपा बिहारी समाज को बांटना चाहती थी, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकी- लालू प्रसाद।
जहां से पैकेज की घोषणा, वहीं खाता नहीं खुला
भोजपुर जिला जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की, वहां भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया। इसके अलावा 13 अन्य जिलों में राजग कोई सीट नहीं जीत पाई। प्रधानमंत्री ने भागलपुर, मधेपुरा और बक्सर में चुनावी सभाएं की। जनता के बीच विकास के वायदों का हवाला भी दिया, बावजूद भागलपुर और मधेपुरा और बक्सर जिले में भी राजग को बुरी तरह से पराजय मिली।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)


हरियाणा में पांच सीट भी नहीं मिलेगी : हुड्डा
जागरण संवाददाता, पानीपत : बिहार में महागठबंधन की जीत से उत्साहित पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में भी यदि चुनाव करवाया जाए तो भाजपा को पांच सीट भी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश को तोड़ने वालों की हार व देश को जोड़ने वालों की जीत है।
वह पुलिस लाइन सिवाह के साथ बने आयुष्मान अस्पताल के उद्घाटन अवसर पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा महा गठबंधन के नेताओं नितेश, लालू सहित कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भाजपा की यह हालत घमंड के कारण हुई। बिहार में मतदाताओं ने धर्म व जाति से ऊपर उठकर देश हित में मतदान किया। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि जो वायदा करके वह सत्ता में आई है उसे पूरा नहीं कर रही है। स्वामीनाथन आयोग लागू नहीं किया गया। 15-15 लाख देने की बात करते थे। रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। अब इन्हें जुमला बता रहे हैं। सरकार को जनहित में काम करना चाहिए। कोई भी वर्ग प्रदेश में सरकार से खुश नहीं है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में धान खरीद में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। पानीपत मंडी के दौरे के दौरान भी किसानों ने उन्हें 1450 रुपये समर्थन मूल्य की रसीद दिखाई जबकि किसानों को 1200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब कीमत मिली। यह बीच का जो अंतर है वह मिलीभगत की भेंट चढ़ गया। 1509 धान किस्म की खरीद में घोटाला हुआ। लेवी दिखाई नहीं गई। उन्होंने धान घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की।
इस अवसर पर समालखा के पूर्व विधायक धर्म सिंह छौक्कर, कांग्रेस नेता वीरेंद्र शाह, पार्षद सुनील वर्मा, शशी लूथरा सहित अन्य पार्षद मौजूद रहे। आयुष्मान अस्पताल हेल्थ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रह चुके डॉ. सुखबीर सांगवान ने बनाया है। जीटी रोड पर होने के कारण सड़क हादसों में घायलों को इसका लाभ मिलेगा। अस्पताल में मुख्य रूप से हड्डी रोगों का इलाज होगा।

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