Guest teacher and govt

गैस्ट टीचरों की बहाली के मामले में सरकार को फिर लगा झटका।
* हाई कोर्ट ने दिया झटका, फौरी राहत से इंकार।
* हाईकोर्ट ने कहा कि राजनेता क्या कहते है उससे सरोकार नहीं।
* एडवोकेट जनरल से मांगी 2 महीने में रेगुलर भर्ती करने की अंडरटेकिंग।
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने 3581 सरप्लस गेस्ट टीचर जो हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटा दिए गए थे की पुन: बहाली के लिए दायर अर्जी पर तुरन्त सुनवाई का आग्रह किया था। जिस पर आज हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने कोई फौरी राहत देने से साफ इंकार करते हुए सबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। सरकार ने अपनी अर्जी में सरप्लस गैस्ट टीचर्स मामले की 15 दिसम्बर की बजाय जल्द सुनवाई की तारीख निर्धारित करने की गुहार लगाई थी। सरकार ने कहा है कि गैस्ट टीचर्स के बिना स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है और 15 दिसम्बर को सुनवाई होने की स्थिति में पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। सरकार ने अर्जी दायर कर हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वो उन 3581 सरप्लस गेस्ट जो 6 जुलाई के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने हटा दिए थे, सरकार उनको नियमित भर्ती या प्रमोशन होने तक तक सेवा में रखना चाहती है इसके लिए कोर्ट उनको इजाजत दे।
बहस में अधिवक्ता जगबीर मलिक ने जब इस नई एप्लीकेशन के विरोध में तर्क पेश किये तो बेंच ने कहा कि हमे ये सारा मामला पता है और हम इसका संज्ञान ले रहे है। इसके बाद बेंच ने एडवोकेट जनरल बलदेव महाजन से कहा कि, "क्या आप ये अंडरटेकिंग दे सकते हो कि 2 महीने में रेगुलर भर्ती कर दोगे ?"। जिस पर एडवोकेट जनरल ने कहा कि, "मैने एफिडेविट दिया है"। इस पर बेंच ने कहा कि, "हमे एफिडेविट नहीं चाहिए बल्कि आपकी अंडरटेकिंग चाहिए।" जिस पर वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं देते दिखे। पिछले सप्ताह भी सरकार ने एक अर्जी दायर की थी लेकिन कोर्ट ने सरकार व् गेस्ट को तुरन्त राहत न देते हुए सरकार की अर्जी और गेस्ट की अपील पर सुनवाई 15 दिसंबर तक स्थिगत कर दी थी। सरकार की इस पुरे मामले में हाईकोर्ट में बार बार फजीहत हो रही है।
गैस्ट टीचर्स की अपील भी है विचाराधीन : सितंबर माह में हाईकोर्ट की एकल बैंच ने हटाये गए 3581 सरप्लस गेस्ट टीचर की पुनर्विचार याचिका व अन्य सरप्लस गेस्ट टीचरों द्वारा दायर नई याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था। इसके बाद प्रभावित गेस्ट टीचरों ने डिविजन बेंच में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने उस समय अपील कोई राहत न देते हुए सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई 15 दिसंबर तक स्थगित कर दी थी।

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