हरियाणा के विभिन्न स्कूलों में सेवा दे रहे अतिथि अध्यापकों का बेड़ा आज दस साल का हो गया। आज ही के दिन 21 दिसंबर 2005 को स्कूलों में नियुक्ति पाने वाले व नए साल की दहलीज पर खड़े इन अध्यापकों ने आज 11वें साल में प्रवेश किया। अध्यापकों ने उम्मीद जताई कि 10 वर्षों के सफल कार्यकाल में राज्य की शिक्षा में भरपूर सहयोग देने वाले अतिथि अध्यापकों को सरकार नियमित करेगी। अध्यापकों का सफर काफी उतार चढ़ाव के बाद दस साल पूरे कर ग्यारहवें साल में प्रवेश कर गया है।
पात्रता परीक्षा को लेकर अतिथि अध्यापकोंं का कहना है की जब 2005 – 06 में उनकी भर्ती की गयी थी तब प्रदेश में कोई पात्रता नाम की परीक्षा नहीं थी। ये पात्रता परीक्षा तो 2008 से शुरू हुई है। ऐसे में उन पर पात्रता परीक्षा का नियम लागू नहीं होता।
इन अध्यापकों के प्रदेश अध्यक्ष व प्रवक्ता अजय लोहान का कहना है कि अतिथि अध्यापक सरकारी स्कूलों की स्थिति व शिक्षा के स्तर को नयी उचाईयों पर लेकर गये हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार सभी अतिथि अध्यापकों से अपने घोषणा पत्र में किया हुआ वादा पूरा करते हुए जल्द से जल्द पालिसी के तहत एक कलम से नियमित कर नववर्ष पर तोहफा देने का काम करे।
ऐसे शुरू हुआ सफर
10 साल पहले शिक्षा का स्तर व स्कूलों का परीक्षा परिणाम बिल्कुल गिर चुका था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर शिक्षा के सुधार के लिए दबाव बढ़ता जा रहा था। ऐसे में सरकार के पास कम समय में नियमित शिक्षक भर्ती कर पाना असंभव था।
10 साल पहले शिक्षा का स्तर व स्कूलों का परीक्षा परिणाम बिल्कुल गिर चुका था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर शिक्षा के सुधार के लिए दबाव बढ़ता जा रहा था। ऐसे में सरकार के पास कम समय में नियमित शिक्षक भर्ती कर पाना असंभव था।
ऐसे में सरकार ने सरकारी स्कूलों में अतिथि अध्यापक पॉलिसी बनाई जो कि शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार के रूप में साबित हुई। सन 2005 में एक मजदूर से भी कम वेतनमान में काम करने वाले गेस्ट फेकल्टी में इन अध्यापकों की भर्ती होते ही पहले ही वर्ष सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या व परीक्षा परिणाम शतप्रतिशत आने लगे। जिससे सरकार भी इन अध्यापकों की मुरीद हो गई।