गुड़गांव, 30 नवंबरहरियाणा में अब रटेंगे नहीं, पढ़ेंगे बच्चे….जी हां, अगले सेशन से स्कूलों में पढ़ाई का तरीका बदल जाएगा। राज्य में इसकी शुरुआत पहली से पांचवीं कक्षा तक के सिलेबस में तबदीली से की जा ही है। नए पाठ्यक्रम की खासियत यह
है कि पढ़ाई की शुरुआत वर्णमाला से नहीं, वाक्यों से होगी। 2016-17 शिक्षा सत्र से स्कूलों में ‘एक्टिविटी बेस्ड’ पाठ्यक्रम लागू होगा।
नये पाठ्यक्रम को हरी झंडी
प्रदेश के स्कूलों में बदलाव के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रम को रटने वाली तर्ज से पूरी तरह हटा दिया गया है। लंबे शोध के बाद पाठ्यक्रम को हरी झंडी मिल गयी है। कक्षा पांच तक की सभी विषयों की किताबें लिखी जा चुकी हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की रिव्यू कमेटी ने भी किताबों को छोटे विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर के योग्य पाया है। अब एनसीईआरटी समेत देश के शिक्षा विशेषज्ञों की बाह्य समिति की सिफारिश पर कुछ कमियों को सुधारा जा रहा है।
इसलिए खास हैं किताबें
अब तक पारंपरिक पढ़ाई के तौर पर शिक्षा की शुरुआत अ, आ, इ, ई यानी वर्णमाला से होती थी, लेकिन नये बदलाव के तहत शुरुआत वाक्यों से होगी। यानी पहले वाक्य, फिर शब्द और अंत में अक्षर का ज्ञान विद्यार्थियों को दिया जाएगा। विशेषज्ञों का तर्क है कि जब स्कूल में बच्चे का दाखिला करवाया जाता है तो उसे पूरे वाक्यों का ज्ञान होता है। ऐसे में यदि अक्षर से शुरुआत की जाए तो बच्चे के ज्ञान पर उलटा असर पड़ता है। गणित, विज्ञान व परिवेश अध्ययन की किताबों को भी इसी सोच के साथ तैयार किया गया है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि अंग्रेजी विषय में यह व्यावहारिक दिक्कत बन सकती है, लेकिन इससे निपटने की भी तैयारियां की जा चुकी हैं।
पहले पढ़ेंगे, फिर पढ़ाएंगे
पाठ्यक्रम बदलेगा तो टीचर्स को भी पढ़ाने में दिक्कत आयेगी। इसके लिए एससीईआरटी ने पूरी व्यवस्था की है। चूंकि आठवीं तक की पढ़ाई सर्व शिक्षा अभियान के दायरे में आती है, इसलिए पांचवीं तक के शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था एसएसए के तहत करवाई जाएगी। दिसंबर महीने में पांचवीं कक्षा तक के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि पढ़ाई के दौरान उनको परेशानी न आये।ww.facebook.com/teacherharyana
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(Recruitment , vacancy , job , news)प्रदेश के स्कूलों में बदलाव के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रम को रटने वाली तर्ज से पूरी तरह हटा दिया गया है। लंबे शोध के बाद पाठ्यक्रम को हरी झंडी मिल गयी है। कक्षा पांच तक की सभी विषयों की किताबें लिखी जा चुकी हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की रिव्यू कमेटी ने भी किताबों को छोटे विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर के योग्य पाया है। अब एनसीईआरटी समेत देश के शिक्षा विशेषज्ञों की बाह्य समिति की सिफारिश पर कुछ कमियों को सुधारा जा रहा है।
इसलिए खास हैं किताबें
अब तक पारंपरिक पढ़ाई के तौर पर शिक्षा की शुरुआत अ, आ, इ, ई यानी वर्णमाला से होती थी, लेकिन नये बदलाव के तहत शुरुआत वाक्यों से होगी। यानी पहले वाक्य, फिर शब्द और अंत में अक्षर का ज्ञान विद्यार्थियों को दिया जाएगा। विशेषज्ञों का तर्क है कि जब स्कूल में बच्चे का दाखिला करवाया जाता है तो उसे पूरे वाक्यों का ज्ञान होता है। ऐसे में यदि अक्षर से शुरुआत की जाए तो बच्चे के ज्ञान पर उलटा असर पड़ता है। गणित, विज्ञान व परिवेश अध्ययन की किताबों को भी इसी सोच के साथ तैयार किया गया है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि अंग्रेजी विषय में यह व्यावहारिक दिक्कत बन सकती है, लेकिन इससे निपटने की भी तैयारियां की जा चुकी हैं।
पहले पढ़ेंगे, फिर पढ़ाएंगे
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