प्रदेश सरकार की प्रमोशन में आरक्षण की नीति से प्रमोट हुए अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के कर्मचारियों को फिलहाल डिमोट नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि खंडपीठ के समक्ष मामला विचाराधीन है। ऐसे में डिमोशन से कोर्ट की कार्रवाई प्रभावित हो सकती है।
शनिवार को मामले की सुनवाई आरंभ होते ही एससी वर्ग के प्रभावित कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि उन्हें रिवर्ट किए जाने के आदेश सरासर गलत है और इन्हें खारिज किया जाना चाहिए।
इस पर याची पक्ष की तरफ से कहा गया कि नियमों के अनुरूप इन कर्मचारियों को मिला प्रमोशन गलत है और ऐसे में इन्हें रिवर्ट किया जाना चाहिए। इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि कुछ अन्य राज्यों में भी यह मामला विचाराधीन है और इससे जुड़ी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
ऐसे में उन पर आने वाले फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस पर याची पक्ष से कहा कि अगली सुनवाई तक वे इन कर्मचारियों और हरियाणा सरकार के खिलाफ चल रही अवमानना याचिका को आगे बढ़ाएं।
कमेटी गठित कर सौंपी थी जिम्मेदारी
हाईकोर्ट की एकल बैंच ने 27 मई को सरकारी नौकरी में एससी वर्ग को प्रमोशन के दौरान 20 प्रतिशत आरक्षण देने की नीति पर रोक का आदेश जारी किया था। दिनेश कुमार अन्य कर्मचारियों की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि सरकार गलत तरीके से प्रमोशन में एससी वर्ग को आरक्षण देने की व्यवस्था कर रही है। इसके लिए सरकार द्वारा 14 फरवरी 2013 को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पी राघवेंद्र की एक कमेटी का गठन किया गया था।
इस कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वे प्रदेश में एससी वर्ग के पिछड़ेपन और उनके प्रतिनिधित्व के बारे में रिपोर्ट तैयार करें क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के अनुसार प्रमोशन के लिए कमेटी का गठन करना जरूरी है।
इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी और इस रिपोर्ट में कहा गया कि प्रदेश में एससी पिछड़े हुए हैं। इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए हरियाणा सरकार ने 15 मई 2015 को नोटिफिकेशन जारी कर एससी वर्ग के लोगों के लिए प्रमोशन में 20 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान कर दिया। इस प्रावधान के तहत उन्हें 1 अप्रैल 2013 से इसका लाभ दिया जाना तय किया गया।