निकाय चुनाव से पीछे हटी सरकार, टल सकते हैं चुनाव
पंचायत चुनाव के साथ ही निकाय चुनाव कराने से हरियाणा सरकार ने कदम पीछे हटा लिए हैं। ऐसे में चुनाव टल
सकते हैं। दरअसल, पंचायत चुनाव के साथ ही निकाय चुनाव कराने की तैयारी कर रही राज्य सरकार के लिए यह राह आसान नहीं है। फरवरी के पहले पखवाड़े में निकाय चुनाव कराने को लेकर सरकार दुविधा में है।
सरकार के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं ने यह सलाह दी है कि फरवरी के बजाए इस चुनाव को मई तक टाल दिया जाए। अभी तक यह भी नहीं तय हो सका है कि नगर परिषद के चेयरमैन के चुनाव सीधे मतदान से करवाने हैं या पुराने तरीके से। संभावना है कि जल्द ही सरकार इस विषय में निर्णय ले सकती है।
सीधे चुनाव करवाने के पीछे मंशा यह है कि निकाय चुनाव में पार्षदों की खरीद-फरोख्त पर रोक लग जाए। अब वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से आगे का एजेंडा तय किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेताओं ने इस संदर्भ में जल्दबाजी में कोई भी कदम न उठाने की सलाह दी है।
साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने पंचायत चुनाव के बाद ग्राउंड वर्क करने के लिए समय की भी डिमांड की है। लिहाजा अब फरवरी माह में चुनाव करवाने के निर्णय से पीछे हटना सरकार की मजबूरी बन गई है।
साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने पंचायत चुनाव के बाद ग्राउंड वर्क करने के लिए समय की भी डिमांड की है। लिहाजा अब फरवरी माह में चुनाव करवाने के निर्णय से पीछे हटना सरकार की मजबूरी बन गई है।
मालूम हो कि सरकार कैबिनेट की बैठक में निकाय चुनाव में शैक्षणिक शर्त संबंधी निर्णय ले चुकी है। उसका आर्डिनेंस लाने के लिए मंथन चल रहा है। कानूनी सलाह के लिए फाइल एलआर के पास पहुंच गई है।
निकाय चुनाव से पहले पदाधिकारियों की नियुक्ति का सुझाव
संगठन से जुडे़ नेताओं ने सुझाव दिया है कि पंचायत चुनाव के बाद संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्तियां की जाएं। सरकार बोर्ड व निगमों के लिए चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्तियां करे। इसके बाद ही निकाय चुनाव करवाए जाएं
संगठन से जुडे़ नेताओं ने सुझाव दिया है कि पंचायत चुनाव के बाद संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्तियां की जाएं। सरकार बोर्ड व निगमों के लिए चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्तियां करे। इसके बाद ही निकाय चुनाव करवाए जाएं
बिना लड़े ही जीत गए आधे से अधिक उम्मीदवार
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में हो रहे पंचायत चुनाव में पहले चरण में आधे से अधिक उम्मीदवार बिना चुनाव लड़े जीत गए है। करीब 52 फीसदी इन उम्मीदवारों को सर्वसम्मति से चुन लिया गया है। पूरी ग्राम पंचायत के निर्विरोध चुने जाने पर 11 लाख रुपये और सरपंच के निर्विरोध चुने जाने पर पांच लाख रुपये का अनुदान विकास कार्यों के लिए दिए जाने का प्रावधान है।
पंचायती राज संस्थानों के पांचवें आम चुनाव के प्रथम चरण में 51.9 प्रतिशत उम्मीदवार सर्वसम्मति से चुने जा चुके है। पहले चरण का मतदान 10 जनवरी को है। तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू हो जाने की वजह से पहले चरण के लिए 584 पंच पदों के लिए उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए हैं।
विकास एवं पंचायत मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 175 में किए गए संशोधन से खुश है। उनका कहना है कि 10 जनवरी को प्रथम चरण के 30 हजार 468 वार्डों में हो रहे चुनाव में 15 हजार 825 उम्मीदवारों का चयन सर्वसम्मति से होना भाईचारे की मिसाल तो है ही, साथ ही लोगों में जागरूकता भी पैदा कर रहा है।
धनखड़ ने कहा कि हरियाणा सरकार की पहली बार पंचायत व स्थानीय निकायों के चुनाव में शैक्षणिक योग्यता जैसी नई शर्तों को अनिवार्य करने की पहल को सुप्रीम कोर्ट ने भी वाजिब ठहराया है। इसे पूरे देश में अपनाए जाने की आवश्यकता बताए जाने के बाद हरियाणा देश के अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बना है।
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