बौने लोगों को सरकारी नौकरियों में मिल सकता है रिजर्वेशन
नई दिल्ली :सरकार राइट टु स्कूल एजुकेशन और सरकारी नौकरियों में बौने लोगों को आरक्षण देने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए डिसएबिलिटीज पर लंबे अरसे से लटके बिल में बौनेपन को एक अक्षमता के रूप में शामिल करने की योजना है। एक कैबिनेट नोट के मुताबिक, राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज बिल, 2014 में अक्षमताओं वाले बच्चों को स्कूल एडमिशन का अधिकार दिया जाएगा।
इसके साथ ही लर्निंग, लोकोमोटर डिसएबिलिटीज (शारीरिक अक्षमताएं) वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार का कोटा होगा। यह कानून यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज को भारत की मंजूरी के अनुसार है। इसे जनरल असेंबली ने 2006 में अपनाया था। कैबिनेट नोट में कहा गया है कि इस कानून से अक्षमताओं वाले बच्चों का न केवल सरकारी शिक्षण संस्थानों, बल्कि सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त सभी शिक्षण संस्थानों में एडमिशन अनिवार्य हो जाएगा। पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी ने इस बारे में सिफारिशें दी थीं।
नौकरियों में आरक्षण को लेकर नोट में कहा गया है, ‘ऑटिज्म, इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटी और दिमागी बीमारी के साथ स्पेशल लर्निंग डिसएबिलिटी को शामिल किया जाएगा। बौनापन लोकोमोटर डिसएबिलिटी के साथ शामिल होगा।’ कानून में राइट टु स्कूल एजुकेशन को लागू करने को सुनिश्चित करने के लिए सर्वे कराना शामिल है। नोट के मुताबिक, ‘प्रस्तावित एक्ट के लागू होने के दो वर्षों के अंदर अक्षमताओं वाले बच्चों की पहचान के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों का शुरुआती सर्वे कराया जाएगा। इस तरह का सर्वे हर पांच साल में करना अनिवार्य बनाया जाएगा।’ बिल पर सोमवार को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने चर्चा की। एक मिनिस्टर ने कहा, ‘छोटे कद वालों को भेदभाव से बचाना जरूरी है। उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार, एक्ट के तहत उनकी शिकायतों के समाधान की कोशिश की जाएगी।’ बिल में लीगल गार्जियनशिप का प्रोसेस आसान बनाने के प्रावधान किया जा रहा है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अलावा लीगल गार्जियनशिप के मामलों में फैसले के लिए एक अतिरिक्त अथॉरिटी भी बनाई जाएगी। डिसएबिलिटीज पर लटके बिल में बौनेपन को अक्षमता के रूप में शामिल करने की योजना बराबरी पर जोर
नौकरियों में आरक्षण को लेकर नोट में कहा गया है, ‘ऑटिज्म, इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटी और दिमागी बीमारी के साथ स्पेशल लर्निंग डिसएबिलिटी को शामिल किया जाएगा। बौनापन लोकोमोटर डिसएबिलिटी के साथ शामिल होगा।’ कानून में राइट टु स्कूल एजुकेशन को लागू करने को सुनिश्चित करने के लिए सर्वे कराना शामिल है। नोट के मुताबिक, ‘प्रस्तावित एक्ट के लागू होने के दो वर्षों के अंदर अक्षमताओं वाले बच्चों की पहचान के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों का शुरुआती सर्वे कराया जाएगा। इस तरह का सर्वे हर पांच साल में करना अनिवार्य बनाया जाएगा।’ बिल पर सोमवार को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने चर्चा की। एक मिनिस्टर ने कहा, ‘छोटे कद वालों को भेदभाव से बचाना जरूरी है। उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार, एक्ट के तहत उनकी शिकायतों के समाधान की कोशिश की जाएगी।’ बिल में लीगल गार्जियनशिप का प्रोसेस आसान बनाने के प्रावधान किया जा रहा है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अलावा लीगल गार्जियनशिप के मामलों में फैसले के लिए एक अतिरिक्त अथॉरिटी भी बनाई जाएगी। डिसएबिलिटीज पर लटके बिल में बौनेपन को अक्षमता के रूप में शामिल करने की योजना बराबरी पर जोर
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