रोहतक : शिक्षा विभाग की नीतियों का खामियाजा एक बार फिर बच्चों को भुगतना पड़ सकता है। प्रथम सेमेस्टर में आए खराब परिणाम के बाद शिक्षा निदेशालय द्वारा उठाया गया कदम बच्चों व शिक्षकों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। जिन स्कूलों का प्रथम सेमेस्टर में परिणाम अस्सी फीसद से अधिक था, उनके शिक्षकों को खराब परिणाम वाले स्कूलों में दो माह के लिए भेजने के निर्देश जारी कर दिए है। ऐसे में शिक्षकों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। प्रथम सेमेस्टर में खराब परीक्षा परिणाम के बाद रिजल्ट को सुधारने के लिए दिनरात मेहनत करने वाले शिक्षकों को अब नई मुसीबत के साथ दो-चार होना पड़ रहा है। इसमें अधिक परेशानी महिला शिक्षकों को हो रही है, क्योंकि शिक्षा निदेशालय की ओर से परिणाम सुधारने व रेशनेलाइजेशन के नाम पर उन शिक्षकों को खराब परिणाम वाले स्कूलों में भेजने के निर्देश जारी किए है जिन स्कूलों का परिणाम अस्सी फीसद या उससे अधिक रहा था। शिक्षा विभाग की ओर से भी दो माह के लिए शिक्षकों को सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से रिलीव कर दूसरे स्कूलों में भेजने की तैयारी कर ली गई है।
Jbt rationalization rule letters
परीक्षाएं सिर पर है और ऐसे में उन स्कूलों का क्या होगा, जिनका परिणाम अस्सी फीसद या उससे अधिक रहा है। जिन स्कूलों में शिक्षक रिजल्ट सुधार के लिए जुटे हुए थे, वहां पर भी बंटाधार होने की नौबत आकर खड़ी हो गई है। दूसरे स्कूलों में कुछ समय के लिए भेजे जाने के कारण शिक्षकों को खासी परेशानी हो रही है। पहले ही नौंवी से लेकर बारहवीं तक बच्चों को पढ़ाना और उनका पाठ्यक्रम समय पर पूरा करवाने की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है।
विभाग के फरमान के बाद खराब परिणाम वाले स्कूलों में भेजने से प्राध्यापक काफी परेशान है। शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के धक्के खाते हुए आसानी से देखा जा सकता है।
शिक्षा विभाग की नीतियों के कारण शिक्षकों में भारी रोष है। शिक्षकों का आरोप है कि जिलास्तर पर रेशनेलाइजेशन के नाम पर शिक्षा विभाग परिणाम को सुधारने की बजाय और बिगाड़ने पर तुली हुई है।
परीक्षाएं सिर पर है और ऐसे में उन स्कूलों का क्या होगा, जिनका परिणाम अस्सी फीसद या उससे अधिक रहा है। जिन स्कूलों में शिक्षक रिजल्ट सुधार के लिए जुटे हुए थे, वहां पर भी बंटाधार होने की नौबत आकर खड़ी हो गई है। दूसरे स्कूलों में कुछ समय के लिए भेजे जाने के कारण शिक्षकों को खासी परेशानी हो रही है। पहले ही नौंवी से लेकर बारहवीं तक बच्चों को पढ़ाना और उनका पाठ्यक्रम समय पर पूरा करवाने की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है।
विभाग के फरमान के बाद खराब परिणाम वाले स्कूलों में भेजने से प्राध्यापक काफी परेशान है। शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के धक्के खाते हुए आसानी से देखा जा सकता है।
शिक्षा विभाग की नीतियों के कारण शिक्षकों में भारी रोष है। शिक्षकों का आरोप है कि जिलास्तर पर रेशनेलाइजेशन के नाम पर शिक्षा विभाग परिणाम को सुधारने की बजाय और बिगाड़ने पर तुली हुई है।
PGT rationalisation letter
जिन स्कूलों का परिणाम शिक्षकों की मेहनत के कारण अच्छा आया था, उन्हें अचानक दो माह के लिए ऐसे स्कूलों में भेजा जा रहा है जहां पाठ्यक्रम आधा भी नहीं हुआ। अगर ऐसा ही चला तो प्रथम सेमेस्टर में जहां परिणाम 30-40 फीसद रहा था, वह घटकर बीस फीसद पर आ जाएगा। अगर शिक्षा निदेशालय अच्छा परिणाम चाहता है तो अपनी नीतियों को बदले और रेशनेलाइजेशन के नाम पर शिक्षकों का उत्पीड़न बंद करे।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in Haryana news (Recruitment , vacancy , job , news)
जिन स्कूलों का परिणाम शिक्षकों की मेहनत के कारण अच्छा आया था, उन्हें अचानक दो माह के लिए ऐसे स्कूलों में भेजा जा रहा है जहां पाठ्यक्रम आधा भी नहीं हुआ। अगर ऐसा ही चला तो प्रथम सेमेस्टर में जहां परिणाम 30-40 फीसद रहा था, वह घटकर बीस फीसद पर आ जाएगा। अगर शिक्षा निदेशालय अच्छा परिणाम चाहता है तो अपनी नीतियों को बदले और रेशनेलाइजेशन के नाम पर शिक्षकों का उत्पीड़न बंद करे।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in Haryana news (Recruitment , vacancy , job , news)
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