जाटों और 5 अन्य जातियों को आरक्षण पर रोक


जाट और 5 अन्य जातियों को आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक

चंडीगढ़ (ट्रिन्यू): पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने आज आर्थिक रूप से कमजोर (ईबीपी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थाओं के दाखिलों में जाटों और 5 अन्य जातियों को आरक्षण पर रोक लगा दी। जस्टिस महेश ग्रोवर और जस्टिस राज शेखर अत्री की पीठ ने एडवोकेट विजय कुमार और गोबिंद शर्मा द्वारा दायर विकास और अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में ईबीपी श्रेणी के तहत प्रदान किए गये आरक्षण को 2013 की सरकारी अधिसूचना द्वारा 6 जातियों (जाट, बिश्नोई, जाट सिख, रोड़, त्यागी और मुल्ला/मुस्लिम) को बढ़ाये जाने के सरकारी आदेश को चुनौती दी गयी थी। पीठ ने हरियाणा के सचिव (कार्मिक और प्रशिक्षण), अनु.जाति और पिछड़ी जाति कल्याण विभाग के प्रधान सचिव और हरियाणा लोक सेवा आयोग से 14 सितंबर तक जवाब मांगा है।

जाट सहित 6 जातियों को आर्थिक आधार पर दिए जा रहे आरक्षण पर लगी रोक
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने जाटों सहित 6 जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ पाने वाली जातियों की श्रेणी में शामिल करने पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने इन 6 जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ देने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया।
मामले में विकास व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा सरकार के जून 2017 के प्रशासनिक आदेशों को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट वीके जिंदल तथा एडवोकेट गोबिंद शर्मा ने हरियाणा सरकार के इस निर्णय को कानून के विरुद्ध करार दिया। याची ने कहा कि हरियाणा सरकार ने 2013 की नोटिफिकेशन के माध्यम से सामान्य श्रेणी की जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ देने का फैसला लिया था। इस नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट था कि जिस जाति को किसी और श्रेणी में आरक्षण का लाभ मिला है उसे इस श्रेणी में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा।
इसके साथ ही जाटों सहित 6 जातियों को हरियाणा सरकार ने नोटिफिकेशन के माध्यम से चुनौती दी थी। इन 6 जातियों को आरक्षण का लाभ देने पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद एक्ट बनाकर इन जातियों को आरक्षण का लाभ दिया गया था। हाईकोर्ट द्वारा उस एक्ट पर भी रोक लगा दी गई थी और उस एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट फैसला सुरक्षित रख चुका है।
याची की मुख्य दलील यह रही कि जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी तथा मुल्ला जाट/मुस्लिम जाट को एक्ट के माध्यम से आरक्षण प्रदान किया गया है। इस आरक्षण पर रोक है, लेकिन एक्ट अभी भी कायम है इसे खारिज नहीं किया गया है। ऐसे में इस एक्ट के रहते इन 6 जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ दिया ही नहीं जा सकता है।
जस्टिस महेश ग्रोवर और जस्टिस राज शेखर अत्री की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार के जून 2017 के प्रशासनिक आदेशों पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार को 14 सितंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में अब याचिका लंबित रहते नौकरी या शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी तथा मुल्ला जाट/मुस्लिम जाट को आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

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(25.08.2016 news) आय 6 लाख से अधिक तो नहीं मिलेगा आरक्षण
चंडीगढ़, 17 अगस्त (ट्रिन्यू)- हरियाणा में पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए सरकार ने क्रीमीलेयर तय कर दी है। छह लाख रुपये से अधिक सालाना आमदनी वाले पिछड़ा वर्ग के परिवारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इससे नीचे की आय वाले परिवारों के लिए भी कैटेगरी बनायी गयी है और उसी हिसाब से उन्हें आरक्षण का फायदा मिलेगा। बुधवार को राज्य के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग मंत्रालय ने क्रीमीलेयर की अधिसूचना जारी कर दी।
इस अधिसूचना को लेकर सरकार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से 2 बार फटकार पड़ चुकी है। वहीं प्रदेश की खाप पंचायतों ने भी नोटिफिकेशन की मांग को लेकर मंगलवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना दिया था। यह अधिसूचना पिछड़ा वर्ग की उन सभी जातियों पर लागू होगी, जिन्हें आरक्षण की सुविधा मिली हुई है। यही नहीं, जाटों सहित प्रदेश की वे 6 जातियां भी इसमें कवर होंगी, जिन्हें अप्रैल में सरकार ने पिछड़ा वर्ग की तीसरी नयी ‘बीसी-सी’ श्रेणी बनाकर आरक्षण की सुविधा दी हुई है।
आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है और हाईकोर्ट आरक्षण पर अंतिरम रोक भी लगा चुकी है। मंगलवार को भी हाईकोर्ट ने क्रिमीलेयर की अधिसूचना जारी नहीं करने पर सरकार को फटकार लगाई थी। अब आनन-फानन में सरकार ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी। एससी-बीसी विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता द्वारा जारी अधिसूचना की प्रति 24 अगस्त को हाईकोर्ट में सरकार द्वारा पेश की जाएगी
3 लाख से कम आमदनी वालों को होगा फायदा
क्रीमीलेयर में शामिल परिवारों को आरक्षण का लाभ नहीं
3 लाख वार्षिक आय वाले परिवारों के बच्चों को दाखिले में पहले मिलेगा आरक्षण
इसके बाद बचे कोटे का लाभ 3 से 6 लाख तक की आय वाले परिवारों को
प्रथम व द्वितीय श्रेणी के लिए तय साढ़े 4 लाख आय की सीमा भी अब 6 लाख होगी




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हरियाणा विस में पास आरक्षण बिल पर 'खतरा', हाई कोर्ट में चुनौती
चंडीगढ़ । हरियाणा विधानसभा में मंगलवार काे आरक्षण बिल के पास होने के एक दिन बाद ही इस पर पेंच फंस गया। बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा विधानसभा में याचिका दायर कर इस बिल को चुनौती दी गई है। इसमें जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि जाटों को नियमाें के विपरीत आरक्षण दिया गया है।
इससे पहले भाजपा सांसद ने विधानसभा में पारित बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की थी। याचिका में कहा गया है कि बिल में किए गए आरक्षण के प्रावधान से 50 फीसदी से आरक्षण देने की व्यवस्था का उल्लंघन हुआ है। इसलिए इसे रद किया जाए।
सफीदों निवासी शक्ति सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने जाटों के दवाब में उनको आरक्षण दिया है। याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट पहले ही जाटों को आरक्षण देने की नीति को रद कर चुका है।




याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुका है कि जाट पिछड़े नहीं हैं। वे सेना, शिक्षा संस्थानों व सरकारी सेवा में उच्च पदों पर हैं। ऐसे में उनको आरक्षण देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है और कानून के खिलाफ हैं। इसके अलावा इंद्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नही दिया जा सकता लेकिन हरियाणा सरकार ने यह सीमा करीब 70 प्रतिशत तक पहुंचा दी है।
याचिकाकर्ता के वकील सत्यनारायण यादव द्वारा दायर याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में इंद्रा साहनी केस में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2014 में भी जाटों समेत अन्य जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण दिया था और इसे सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश को आधार बनाते हुए रद कर दिया था।
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि आयोग का सर्वे है कि आर्म फोर्स, सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में जाटों का पुख्ता प्रतिनिधित्व है, ऐसे में उन्हें पिछड़ा नहीं माना जा सकता।
याचिका में कहा है कि 29 मार्च को विधानसभा में बिल पारित करके जाटों को बीसी सी में शामिल कर लिया गया।
याचिका में कहा गया है कि हरियाणा में मौजूदा आरक्षण के हिसाब से सरकारी नौकरियों के श्रेणी ए व बी में बीसी ए को 11 प्रतिशत, बीसी बी को 6 प्रतिशत, बीसी सी को 6 प्रतिशत और ईबीपी को 7 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में बीसी ए को 16 प्रतिशत, बीसी बी को 11 प्रतिशत, बीसी सी को 10 और ईबीपी को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। इस लिहाज से प्रदेश में अभी दिया गया आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय आरक्षण की सीमा से कहीं अधिक हो गया है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार ने जल्दबाजी में आरक्षण दिया है। इससे पहले न ही कोई सर्वे करवाया गया, न ही कोई कमेटी गठित की गई और न ही कमीशन के आंकड़े परखे गए। केवल आंदोलन के भय के कारण एक जाति विशेष के दबाव में आकर यह आरक्षण दिया गया है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस पर रोक लगा कर इस कानून को रद करे। हाईकोर्ट संभवत गुरुवार को इस पर सुनवाई करेगा।

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30.03.2016-




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(29.03.2016 )चंडीगढ़। हरियाणा में हुए हिंसक जातीय आंदोलन के बाद सरकार ने जाटों को पिछड़ा वर्ग (बीसी) में अलग सी श्रेणी बनाकर आरक्षण देने का फैसला किया है। बीसी ए और बीसी बी के बाद बनाई गई बीसी सी श्रेणी में जाटों के साथ-साथ जट सिख, रोड़, त्यागी और बिश्नोई को भी 10 फीसद आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। सरकार ने जाट समुदाय के साथ-साथ गैर जाट लोगों का भी पूरा ख्याल रखा है।

Jat reservation bill

सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह तमाम फैसले हुए। बैठक में जाट आरक्षण प्रारूप पर सहमति बनने के बाद मनी बिल राज्यपाल के पास भेज दिया गया है। इस बिल के सोमवार को ही विधानसभा में पेश होने की संभावना थी, लेकिन अब मंगलवार को पेश होगा
गैर जाट मंत्रियों और विधायकों के भारी दबाव के चलते सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण दो फीसद तक बढ़ा दिया है। यह लाभ बीसी ए और बीसी बी श्रेणी के लोगों को भी मिला है। उनके आरक्षण में एक-एक फीसद की बढ़ोतरी की गई हैप्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में बीसी सी की नई कैटेगरी में शामिल पांच जातियों को छह फीसद आरक्षण का लाभ मिलेगा। भविष्य में पिछड़ा वर्ग के लोगों से जुड़ी समस्याओं व मांगों के स्थायी समाधान के लिए सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को वैधानिक दर्जा देने का भी फैसला लिया है।
भाजपा सरकार ने पहले से आरक्षण का फायदा ले रहे लोगों को लुभाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा है। खास बात यह रही कि जाटों को अब संवैधानिक और कानूनी रूप से आरक्षण मिलेगा।
केंद्र को लिखा जाएगा पत्र
अब राज्य में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 67 फीसद हो जाएगी, जो संविधान के अनुसार संभव नहीं है। सरकारें केवल 50 फीसद तक आरक्षण दे सकती हैं। अब मनोहर सरकार आरक्षण विधेयक को विधानसभा में पास करवा कर इसे केंद्र सरकार के पास भेजेगी। केंद्र से आग्रह किया जाएगा कि इस बिल को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए ताकि संवैधानिक तौर पर आरक्षण लागू रहे और किसी तरह की कानूनी अड़चन न पैदा हो।
पांच गैर जाट भाजपा विधायकों ने नौकरियों पर मांगा श्वेतपत्र
हरियाणा में जाट और गैर जाट के आरक्षण को लेकर भाजपा में कलह कम नहीं हो रही है। मंत्रिमंडल की बैठक में जाट आरक्षण विधेयक पर मुहर लगने के बाद इसे मंगलवार को विधानसभा में बिल के रूप में पेश किया जाएगा। वहीं भाजपा के पांच गैर-जाट विधायकों ने स्पीकर कंवरपाल गुर्जर को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव देकर नई मुश्किल खड़ी कर दी है। विधायकों ने प्रदेश में अभी तक दी गई सरकारी नौकरियों पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। ये पांचों विधायक दक्षिण हरियाणा (अहीरवाल) के हैं।
भाजपा की प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक में नौकरियों पर श्वेतपत्र जारी करने का मुद्दा उठ चुका है। प्रदेश कार्य समिति की बैठक में भी इस पर चर्चा होने की संभावना थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने विधायक रणधीर कापड़ीवास को बोलने से रोक दिया था। रेवाड़ी से भाजपा विधायक कापड़ीवास ने नौकरियों पर श्वेत पत्र लाने की मांग के मद्देनजर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दे दिया है। यह स्पीकर के ऊपर निर्भर करेगा कि वे इस प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार करते हैं अथवा खारिज करते हैं।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सोहना से विधायक तेजपाल तंवर, नांगल-चौधरी से विधायक डॉ. अभय सिंह यादव, नारनौल से विधायक ओमप्रकाश तथा बावल से विधायक डॉ. बनवारी लाल के हस्ताक्षर बताए जाते हैं। नियमों में प्रावधान है कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सत्र की कार्यवाही शुरू होने से एक घंटा पहले दिया जा सकता है। विधायकों ने डेढ़ घंटा पहले स्पीकर सचिवालय में प्रस्ताव को जमा करवा दिया।

रणधीर कापड़ीवास का कहना है कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में 1966 से लेकर अब तक लगी नौकरियों का ब्योरा सरकार से मांगा गया है। सरकार यह बताए कि इस अवधि में किस जाति के लोगों को कितनी नौकरी मिली। अगर 1966 तक का रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध नहीं है तो कम से कम पिछले दस से 15 वषोर्ं में दी गई नौकरियों का ब्योरा दिया जाना चाहिए।

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