चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए पंजाब व हरियाणा सरकार, दोनों राज्यों के स्कूल शिक्षा बोर्ड, चंडीगढ़ शिक्षा विभाग, सीबीएसई और आइसीएसई को निर्देश दिया है कि वे उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करे, जो बोर्ड और एनसीटीई की किताबों के अलावा प्राइवेट प्रकाशक की पुस्तकों का प्रयोग करते हैं।
हाईकोर्ट ने यह आदेश मंडी गोविंद गढ़ के एक गैर सरकारी संगठन आल इंडिया क्राइम प्रवेंटिगं सोसाइटी के सदस्य विनोद कुमार शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। मामले में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ में अधिकतर प्राइवेट स्कूल बोर्ड और एनसीटीई की किताबों को छोड़कर निजी प्रकाशक की पुस्तक छात्रों को पढ़ाते हैं। यह पुस्तक स्कूल छात्रों पर थोपते हैं, ताकि उनको इन पुस्तकों में मोटा कमीशन मिल सके। याचिकाकर्ता के अनुसार बोर्ड या एनसीटीई की जो पुस्तक सस्ते दाम पर मिलती है, वही निजी प्रकाशक की पुस्तक कई गुना महंगी होती है। नियमों के अनुसार स्कूल केवल बोर्ड या एनसीटीई की पुस्तक ही बच्चों को पढ़ा सकते हैं, लेकिन पैसे के लालच में स्कूल महंगी निजी प्रकाशक की पुस्तक लाने का दवाब बनाते हैं।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वो सरकार को मामले में सख्त कदम उठाने के निर्देश दे। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत पर आधारित बैंच ने पंजाब व हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई को निर्देश दिया है कि वो उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करे जो बोर्ड और एनसीटीई की किताबों के अलावा प्राइवेट प्रकाशक की पुस्तकों का प्रयोग करते हैं। इससे पहले इसी संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों द्वारा अधिक फीस लेने के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के सभी प्राइवेट स्कूलों की फीस व खाते जांचने को सेवानिवृत हाईकोर्ट जजों की कमेटी बनाई थी।
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