जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2003 के नियम 158 के तहत सिर्फ पहली, छठी, नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश पर ही प्रवेश या वार्षिक शुल्क लिया जा सकता है। दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवीं, सातवीं, आठवीं व बारहवीं कक्षा में प्रवेश पर वार्षिक शुल्क लेने पर जिला अदालत में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) विवेक कुमार अग्रवाल ने एक मामले की सुनवाई करते हुए रोक लगा दी है।
सेक्टर-3 के अग्रवाल पब्लिक स्कूल द्वारा एलकेजी कक्षा में प्रवेश के लिए भी वार्षिक व प्रवेश शुल्क लिया जा रहा था। इसके खिलाफ बच्चों के अभिभावक मनोज यादव ने अदालत में केस दायर किया। जज अग्रवाल ने 4 अप्रैल को सुनाए अपने तीन पेज के फैसले में अग्रवाल पब्लिक स्कूल प्रबंधन पर इस बाबत रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 25 अप्रैल तय की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जब पहली, छठी, नौंवी व ग्यारहवीं कक्षा के अलावा अन्य कक्षाओं में स्कूल को केवल ट्यूशन फीस लेकर ही दाखिला देना चाहिए। इस समय जब निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है तब ऐसा फैसला काफी अहम माना जा रहा है।
हालांकि, हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन कांफ्रेंस का कहना है कि यह फैसला सिर्फ अग्रवाल स्कूल के उसी बच्चे के
अन्य मदों पर भी शिक्षा विभाग दे ध्यान
केवल वार्षिक व प्रवेश शुल्क ही नहीं विभिन्न स्कूल अन्य कई मदों में भी शुल्क ले रहे हैं। इन पर भी शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिए। मेडिकल, बि¨ल्डग, सुरक्षा के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क बेमायने हैं।
-कैलाश शर्मा,अभिभावक एकता मंच, फरीदाबाद।
अदालत में बचाव पक्ष ने एलकेजी के बच्चे को बिना प्रवेश व वार्षिक शुल्क प्रवेश देना मान लिया है। याचिकाकर्ता के साथ स्कूल प्रबंधन ने यह बात अदालत के बाहर भी तय कर ली थी मगर हम चाहते हैं कि यह न्याय केवल अग्रवाल स्कूल के ही नहीं, बल्कि अन्य निजी स्कूलों के सभी बच्चों को भी मिले।
- विनोद यादव, याचिकाकर्ता के वकील।
सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच का निर्णय है कि निजी स्कूल जिन्हें किसी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती, उनके वित्तीय मामलों में दखल नहीं दिया जा सकता। निजी स्कूलों को वित्तीय प्रबंधन की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। अग्रवाल पब्लिक स्कूल बेशक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की जमीन पर बना है मगर स्कूल प्रबंधन को इस आदेश के खिलाफ अपील करनी चाहिए।-सुरेश श्योराण, जिला अध्यक्ष, हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन कांफ्रेंस।
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in Haryana news (Recruitment , vacancy , job , news)
सेक्टर-3 के अग्रवाल पब्लिक स्कूल द्वारा एलकेजी कक्षा में प्रवेश के लिए भी वार्षिक व प्रवेश शुल्क लिया जा रहा था। इसके खिलाफ बच्चों के अभिभावक मनोज यादव ने अदालत में केस दायर किया। जज अग्रवाल ने 4 अप्रैल को सुनाए अपने तीन पेज के फैसले में अग्रवाल पब्लिक स्कूल प्रबंधन पर इस बाबत रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 25 अप्रैल तय की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जब पहली, छठी, नौंवी व ग्यारहवीं कक्षा के अलावा अन्य कक्षाओं में स्कूल को केवल ट्यूशन फीस लेकर ही दाखिला देना चाहिए। इस समय जब निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है तब ऐसा फैसला काफी अहम माना जा रहा है।
हालांकि, हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन कांफ्रेंस का कहना है कि यह फैसला सिर्फ अग्रवाल स्कूल के उसी बच्चे के
अन्य मदों पर भी शिक्षा विभाग दे ध्यान
केवल वार्षिक व प्रवेश शुल्क ही नहीं विभिन्न स्कूल अन्य कई मदों में भी शुल्क ले रहे हैं। इन पर भी शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिए। मेडिकल, बि¨ल्डग, सुरक्षा के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क बेमायने हैं।
-कैलाश शर्मा,अभिभावक एकता मंच, फरीदाबाद।
अदालत में बचाव पक्ष ने एलकेजी के बच्चे को बिना प्रवेश व वार्षिक शुल्क प्रवेश देना मान लिया है। याचिकाकर्ता के साथ स्कूल प्रबंधन ने यह बात अदालत के बाहर भी तय कर ली थी मगर हम चाहते हैं कि यह न्याय केवल अग्रवाल स्कूल के ही नहीं, बल्कि अन्य निजी स्कूलों के सभी बच्चों को भी मिले।
- विनोद यादव, याचिकाकर्ता के वकील।
सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच का निर्णय है कि निजी स्कूल जिन्हें किसी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती, उनके वित्तीय मामलों में दखल नहीं दिया जा सकता। निजी स्कूलों को वित्तीय प्रबंधन की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। अग्रवाल पब्लिक स्कूल बेशक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की जमीन पर बना है मगर स्कूल प्रबंधन को इस आदेश के खिलाफ अपील करनी चाहिए।-सुरेश श्योराण, जिला अध्यक्ष, हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन कांफ्रेंस।
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