पहला झटका सरकारी स्कूलों में तैनात कांट्रैक्टर कंप्यूटर टीचरों और कंप्यूटर लैब सहायकों के स्थान पर नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक से लगा है।
वहीं गेस्ट टीचरों के मुद्दे पर भी विभाग को बार-बार हाईकोर्ट में सफाई देनी पड़ रही है। इसी मामले में हाईकोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए सेकेंडरी शिक्षा के निदेशक एमएल कौशिक ने बीते सप्ताह हाईकोर्ट को लिखित आश्वासन दिया है कि गेस्ट टीचरों के स्थान पर नियमित टीचरों की भर्ती का काम इस साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
इस आश्वासन के आधार पर सेकेंडरी शिक्षा निदेशक अवमानना की सजा से तो बच गए लेकिन टीचरों की भरती का मुद्दा जस का तस बरकरार है।
इस आश्वासन के आधार पर सेकेंडरी शिक्षा निदेशक अवमानना की सजा से तो बच गए लेकिन टीचरों की भरती का मुद्दा जस का तस बरकरार है।
शिक्षा विभाग को हाईकोर्ट से पहले ही सरप्लस गेस्ट टीचरों को हटाने का फरमान सुनाया जा चुका है, लेकिन विभाग अब तक इनके स्थान पर नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं कर सका है। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि टीचरों की भर्ती प्रक्त्रिस्या में सबसे बड़ी उलझन सरकार के स्तर पर दिखाई दे रही है। राज्य सरकार गेस्ट टीचरों को नौकरी से नहीं हटाने का लगातार भरोसा दे रही है और शिक्षा विभाग को नियमित भर्ती करने के आदेश भी जारी कर रही है।
प्रदेश में चौटाला शासनकाल के दौरान भर्ती किए गए 3206 टीचरों का मामला भी हाईकोर्ट में लंबित है।
प्रदेश में चौटाला शासनकाल के दौरान भर्ती किए गए 3206 टीचरों का मामला भी हाईकोर्ट में लंबित है।
गेस्ट टीचरों की अवधि समाप्त हो जाने के बाद विभाग के सामने नियमित भरती होने तक गेस्ट टीचरों को बनाए रखने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।
यही हाल कांट्रैक्ट कंप्यूटर टीचरों और कंप्यूटर लैब सहायकों के मामले में है। इनका कांट्रैक्ट 31 मई को समाप्त हो जाएगा।
हाईकोर्ट ने इनका कांट्रैक्ट बढ़ाए जाने का मसला शिक्षा विभाग पर ही छोड़ दिया है, लेकिन इन पदों पर नियमित भरती 31 मई तक नहीं हो सकती। ऐसे में अगर विभाग गेस्ट टीचरों और कंप्यूटर टीचरों व लैब सहायकों को हटा दिया जाता है तो सरकारी स्कूलों में इनकी जगह बच्चों को पढ़ाएगा कौन?
हाईकोर्ट ने इनका कांट्रैक्ट बढ़ाए जाने का मसला शिक्षा विभाग पर ही छोड़ दिया है, लेकिन इन पदों पर नियमित भरती 31 मई तक नहीं हो सकती। ऐसे में अगर विभाग गेस्ट टीचरों और कंप्यूटर टीचरों व लैब सहायकों को हटा दिया जाता है तो सरकारी स्कूलों में इनकी जगह बच्चों को पढ़ाएगा कौन?
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