*चार लाख छात्रों के फंड घोटाले की जांच करेगा विजिलेंस ब्यूरो*
*सरकारी स्कूलों में फर्जी दाखिले पर फंड हड़पने का मामला*
*कहां गायब हो गए बच्चे : हाईकोर्ट*
*गेस्ट टीचर्स को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। इस दौरान कोर्ट के सामने कुछ चौकाने वाले आंकड़े सामने आए*
चंडीगढ़ : सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले लगभग चार लाख छात्रों के नाम पर मिलने वाले फंड में घोटाले की जांच राज्य विजिलेंस ब्यूरो करेगा। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि विजिलेंस ब्यूरो में एसपी स्तर का अधिकारी मामले की जांच करे। एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने इस मामले में विजिलेंस से जांच कराए जाने की बात कही जिस पर हाईकोर्ट ने सहमति दी। जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के निदेशक को निर्देश दिए कि वे इस मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी को सहयोग करने के लिए दो अधिकारियों की नियुक्ति करे। बुधवार को सुनवाई के दौरान स्कूली शिक्षा विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास कोर्ट में मौजूद रहे। जस्टिस बिंदल ने कहा कि मामले की जांच कराने से साफ है कि मामले में दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके चलते अब इस मामले में हाईकोर्ट को शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर विश्वास नहीं है। पहले हाईकोर्ट ने 13 मई 2016 को इस मामले में स्कूली शिक्षा विभाग को जांच करने को कहा था। विभाग की तरफ से कहा गया कि जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। जांच में देरी के चलते हाईकोर्ट ने स्कूली शिक्षा विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी को तलब किया था।
कहां गायब हो गए बच्चे : हाईकोर्ट
गेस्ट टीचर्स को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। इस दौरान कोर्ट के सामने कुछ चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। कोर्ट ने पाया कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे जबकि 2015-16 में इनकी संख्या घटकर मात्र 18 लाख रह गई थी। हाईकोर्ट ने इस पर सरकार से पूछा था कि अचानक चार लाख बच्चे कहां गायब हो गए जिस पर हरियाणा सरकार कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि चार लाख फर्जी दाखिले कर सरकारी राशि हड़पने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके लिए सरकार अधिकारियों की एक कमेटी बनाए जो देखे कि फर्जी दाखिले फंड को हड़पने के लिए थे या सरप्लस गेस्ट टीचर को बचाने के लिए कोर्ट में गलत जानकारी दी गई।
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