नयी दिल्ली (एजेंसी) :सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले दो कलर ब्लाइंड (रंगों में फर्क न कर पाने वाले) छात्रों को अगले अकादमिक वर्ष के लिए दाखिला देने का आदेश दिया है। इस आदेश से ऐसे ही छात्रों के लिए रास्ता खुल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कदम को प्रगतिशील बताते हुए कहा कि मामले के खास तथ्यों और परिस्थितियों से उसे संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ी।
दोनों छात्रों ने नीट से पहले, वर्ष 2015 में त्रिपुरा सरकार द्वारा आयोजित कराई गई प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए थे। छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में दाखिला देने से रोकने के संबंध में बिना किसी कानूनी व्यवस्था के कई कॉलेज और भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) कलर विजन डेफिशिएंसी (सीवीडी) यानी कलर ब्लाइंड उम्मीदवारों को मनमाने तरीके से दाखिला देने से इनकार कर देते हैं।
एमसीआई और त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज ने शुरुआत में इन छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में दाखिला देने पर आपत्ति जताई थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम अपीलकर्ता को अकादमिक वर्ष 2018-19 के लिए प्रतिवादी नंबर 2 कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला देने और उस वर्ष के लिए कोटे से दो सीटे कम करने का आदेश देते हैं।’
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