बिना बीएड-डीएड वाले शिक्षकों को सरकार करेगी प्रशिक्षित, पोर्टल पर कराएं रजिस्ट्रेशन*
पानीपत:शिक्षा विभाग ने सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के लिए अलग से एक कोर्स करवाने का निर्णय लिया है। इसमें बीएड और डीएड को समाहित किया जाएगा। इसके लिए उन्हें खुद ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा। दरअसल पिछले दिनों स्कूलों में प्राइमरी कक्षा तक पढ़ाने वाले अध्यापकों को अब जेबीटी, डीएलएड या इसके समकक्ष कोर्स किया होना जरूरी कर दिया गया था। तय किया था कि अगर यह कोर्स नहीं किया होगा तो इस तरह के अध्यापकों को विभाग की तरफ से 2019 के बाद रिलीव कर दिया जाएगा।
पानीपत:शिक्षा विभाग ने सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के लिए अलग से एक कोर्स करवाने का निर्णय लिया है। इसमें बीएड और डीएड को समाहित किया जाएगा। इसके लिए उन्हें खुद ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा। दरअसल पिछले दिनों स्कूलों में प्राइमरी कक्षा तक पढ़ाने वाले अध्यापकों को अब जेबीटी, डीएलएड या इसके समकक्ष कोर्स किया होना जरूरी कर दिया गया था। तय किया था कि अगर यह कोर्स नहीं किया होगा तो इस तरह के अध्यापकों को विभाग की तरफ से 2019 के बाद रिलीव कर दिया जाएगा।
केंद्र सरकार की तरफ से काफी समय से यह योजना चल रही थी कि स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों को न रखा जाए क्योंकि इनसे बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिल पाती। इसको लेकर कई बार मीटिंग हो चुकी थी और इसके बाद विभाग ने भी कई बार अध्यापकों को निर्देश दिए थे कि जिन्होंने इस तरह के कोर्स नहीं कर रखे हैं वो ये कोर्स कर लें। इस तरह के अध्यापकों की तरफ से सरकार के पास बार-बार डिमांड जा रही थी कि वो अध्यापन कार्य करवाते हुए कैसे इस कोर्स को कर पाएंगे। अध्यापकों की इसी मांग को देखते हुए विभाग ने इन्हें खुद प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है।
स्कूलों से मांगी सूची
स्कूलों के प्रधानाचार्यों या प्रमुखों को इन दिशा-निर्देशों के अनुपालन के संबंध में प्रमाण-पत्र देना होगा नहीं तो यह माना जाएगा कि उनके संबंधित स्कूल में कार्यरत सभी शिक्षक शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता रखते हैं।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में किसी भी प्रकार की गलत जानकारी के लिए संबंधित प्रधानाचार्य एवं प्रमुख को जिम्मेदार माना जाएगा। और सभी स्कूलों को ईमेल के माध्यम से भी भेजे जा रहे हैं।
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पंचकूला: प्राइमरी स्कूलों में शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों के लिए डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) कोर्स की अनिवार्यता गले की फांस बन गई है। इस कोर्स को करने केलिए शिक्षक का बारहवीं में 50 प्रतिशत अंक (आरक्षित शिक्षक को पांच प्रतिशत की छूट) होने जरूरी हैं। अब समस्या यह है कि बहुत से कार्यरत बीए व एमए शिक्षक तोऐसे हैं, जिन्होंने अपने शिक्षण काल में बारहवीं कक्षा नहीं बल्कि प्रेप (पहले 11वीं-12वीं के समकक्ष क्लास) की हुई है।
अब ऐसे शिक्षकों के लिए डीईएलईडी की अनिवार्यता बड़ी टेंशन बन गई है, क्योंकि यदि अप्रैल 2019 तक यह कोर्स नहीं किया गया, तो उन्हें शैक्षणिक कार्य के लिए अयोग्य घोषित करते हुए सेवा में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह अनिवार्यता सरकारी, सहायता प्राप्त व गैरसरकारी सभी स्कूलों के शिक्षकों के लिए तय होगी।
अब ऐसे शिक्षकों के लिए डीईएलईडी की अनिवार्यता बड़ी टेंशन बन गई है, क्योंकि यदि अप्रैल 2019 तक यह कोर्स नहीं किया गया, तो उन्हें शैक्षणिक कार्य के लिए अयोग्य घोषित करते हुए सेवा में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह अनिवार्यता सरकारी, सहायता प्राप्त व गैरसरकारी सभी स्कूलों के शिक्षकों के लिए तय होगी।
सरकार ने आरटीई के तहत जारी किया सर्कुलर
राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 की धारा 23 के तहत एलीमेंट्री शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता घोषित की गई है
जो एलीमेंट्री शिक्षक पहली से पांचवीं कक्षा को पढ़ाते हैं उन्हें डीएलएड कोर्स करना और बारहवीं में 50 फीसद अंक लेना अनिवार्य है
जो एलीमेंट्री शिक्षक छठी से आठवीं कक्षा को पढ़ा रहे हैं। उनके लिए डीएलएड कोर्स के साथ-साथ बीएड और स्नातक होना भी अनिवार्य है
एलीमेंट्री शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता के लिए अनिवार्य डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) कोर्स करने के लिए बारहवीं में 50 फीसद अंक होना अनिवार्य है।
हरियाणा सरकार ने संबंधित सर्कुलर सभी सरकारी, सहायता प्राप्त व प्राइवेट स्कूलों में प्रेषित कर दिया है।
निर्देशों में कहा गया है कि एलीमेंट्री शिक्षक आरटीई के तहत तय की गई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता डीएलएड कोर्स को अप्रैल 2019 तक कर लें, वरना उन शिक्षकों को सेवा में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सभी स्कूलों के प्राचार्यों को निर्देश है कि वे इस बात का प्रमाण पत्र विभाग को देंगे कि उनके एलीमेंट्री शिक्षकों ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कोर्स डीएलएड कर लिया है, झूठ बोला तो होगी बड़ी कार्रवाई
इन शिक्षकों के लिए टेंशन बना कोर्स
अप्रैल 2019 तक इस कोर्स को करना अनिवार्य है, लेकिन समस्या उन शिक्षकों के लिए जिन्होंने बारहवीं नहीं की, बल्कि प्रेप की थी। हरियाणा में सन 1983-84 से पहले ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा नहीं होती थी। दसवीं के बाद छात्र एक कक्षा (प्रेप) करते थे। उसके बाद सीधे ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू हो जाती थी, लेकिन शैक्षणिक सत्र 1984-85 में प्रेप को खत्म कर दिया गया और ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षा शुरू कर दी गई है।
आज सभी स्कूलों में बहुत से शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने बारहवीं की बजाए प्रेप की है। बहुत से ऐसे भी है, जिनकी प्रेप में भी 50 फीसद अंक नहीं है। अब बड़ी समस्या यह है कि यह शिक्षक डीएलएड कोर्स को कैसे कर पाएंगें। उधर, इस संबंध में निदेशालय एलीमेंट्री एजुकेशन हरियाणा की अतिरिक्त निदेशक वंदना डिसोडिया का कहना है कि न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तो अनिवार्य रहेगी, इस बारे में भी विभाग कुछ हल निकालेगा।
जो एलीमेंट्री शिक्षक पहली से पांचवीं कक्षा को पढ़ाते हैं उन्हें डीएलएड कोर्स करना और बारहवीं में 50 फीसद अंक लेना अनिवार्य है
जो एलीमेंट्री शिक्षक छठी से आठवीं कक्षा को पढ़ा रहे हैं। उनके लिए डीएलएड कोर्स के साथ-साथ बीएड और स्नातक होना भी अनिवार्य है
एलीमेंट्री शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता के लिए अनिवार्य डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) कोर्स करने के लिए बारहवीं में 50 फीसद अंक होना अनिवार्य है।
हरियाणा सरकार ने संबंधित सर्कुलर सभी सरकारी, सहायता प्राप्त व प्राइवेट स्कूलों में प्रेषित कर दिया है।
निर्देशों में कहा गया है कि एलीमेंट्री शिक्षक आरटीई के तहत तय की गई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता डीएलएड कोर्स को अप्रैल 2019 तक कर लें, वरना उन शिक्षकों को सेवा में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सभी स्कूलों के प्राचार्यों को निर्देश है कि वे इस बात का प्रमाण पत्र विभाग को देंगे कि उनके एलीमेंट्री शिक्षकों ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कोर्स डीएलएड कर लिया है, झूठ बोला तो होगी बड़ी कार्रवाई
इन शिक्षकों के लिए टेंशन बना कोर्स
अप्रैल 2019 तक इस कोर्स को करना अनिवार्य है, लेकिन समस्या उन शिक्षकों के लिए जिन्होंने बारहवीं नहीं की, बल्कि प्रेप की थी। हरियाणा में सन 1983-84 से पहले ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा नहीं होती थी। दसवीं के बाद छात्र एक कक्षा (प्रेप) करते थे। उसके बाद सीधे ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू हो जाती थी, लेकिन शैक्षणिक सत्र 1984-85 में प्रेप को खत्म कर दिया गया और ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षा शुरू कर दी गई है।
आज सभी स्कूलों में बहुत से शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने बारहवीं की बजाए प्रेप की है। बहुत से ऐसे भी है, जिनकी प्रेप में भी 50 फीसद अंक नहीं है। अब बड़ी समस्या यह है कि यह शिक्षक डीएलएड कोर्स को कैसे कर पाएंगें। उधर, इस संबंध में निदेशालय एलीमेंट्री एजुकेशन हरियाणा की अतिरिक्त निदेशक वंदना डिसोडिया का कहना है कि न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तो अनिवार्य रहेगी, इस बारे में भी विभाग कुछ हल निकालेगा।
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