विश्वविद्यालय स्तर पर विज्ञान के जो विषय अंग्रेजी भाषा में पढ़े-पढ़ाए जाते रहे हैं, उन्हें अब प्रदेश में संस्कृत में पढ़ाया जाएगा। जीव विज्ञान हो या वनस्पति विज्ञान या फिर बीएएमएस ही क्यों न हो। सभी पाठ्यक्रम संस्कृत में होंगे। पढ़ाने वाले और पढ़ने वाले, सिर्फ संस्कृत भाषा में ही वार्तालाप करेंगे।
यह सब होगा जिले के गांव मूंदड़ी में बन रहे महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में। मंगलवार को विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. श्रेयांश द्विवेदी ने अपना कार्यभार संभाल लिया। कैंपस के निर्माण के लिए सभारम्भ समारोह रखा गया, जिसमें संस्कृत के नामचीन विद्वान शामिल हुए ।
डॉ. द्विवेदी ने कहा कि देश में पहले से 16 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं, मगर उनमें दूसरी भाषा में भी विषय पढ़ाए जाते हैं। मगर मूंदड़ी में बनने वाले महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत में पढ़ाई होगी। बता दें कि वर्ष 1956 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना भी संस्कृत एवं शोध विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी, लेकिन अब इसमें संस्कृत को छोड़कर अन्य विषय हिंदी या अंग्रेजी में ही पढ़ाए जा रहे हैं। डॉ. द्विवेदी का कहना है कि दूध का जला छाछ भी फूंक मारकर पीता है।
सभी गुरुकुल होंगे संबद्ध
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश में संस्कृत की शिक्षा प्रदान करने वाले लगभग 70 गुरुकुल हैं। उनकी प्राथमिकता यह होगी कि इन सभी गुरुकुलों को इस विश्वविद्यालय से मान्यता देकर इससे संबद्ध किया जाए। इनसे पास होने वाले सभी विद्यार्थियों की एक परीक्षा ली जाएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगामी सत्र से इस संस्कृत विश्वविद्यालय की कक्षाएं शुरू हो जाएंगी।
20 एकड़ में बनेगा विवि
मुख्यमंत्री ने 2016 में Kaithal में वाल्मीकि जयंती पर प्रदेश स्तरीय समारोह में इस विश्वविद्यालय की घोषणा की थी। मूंदड़ी की पंचायत ने इसके लिए 20 एकड़ जमीन सरकार को दी है। विवि की स्थापना पर 250 करोड़ का बजट प्रदेश सरकार ने निर्धारित किया है।
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