सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक पत्र घूम रहा है जो माननीय हाईकोर्ट द्वारा सीडब्ल्यूपी नंबर 22764 of 2017 आदेश की पालना में जारी किया गया है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि 2013 में नियुक्त पीजीटी को 18750 का मूल वेतन मिल गया है।
इस पत्र में 21 नवंबर 2017 की विभाग के आदेश का हवाला देते हुए पीजीटी प्रारंभिक वेतनमान में संशोधन करने की बात कहीं गई है।
21 नवंबर 2017 का वित्त विभाग का आदेश नीलम रानी के केस जनरलाइज करने के लिए जारी किया गया था। जिसमें जूनियर का एग्जांपल देना जरूरी है। दुर्भाग्य से पीजीटी कैडर के लिए प्रदेश भर में ऐसा कोई एग्जांपल नहीं है जिसके आधार पर लाभ दिया जा सके।
सरकार ने 7 फरवरी 2019 छठे वेतन आयोग की अधिसूचना को संशोधित कर प्रदेश के कर्मचारी वेतनमान बैक डेट में संशोधित कर अधिसूचना जारी कर दी थी।
7 फरवरी 2019 की अधिसूचना के अनुसार पीजीटी, टीजीटी और जेबीटी छठे वेतन आयोग के अनुसार प्रारंभिक वेतन घटा कर क्रमशः 16890,14830,13500 कर दिया गया। ऐसे में जब तक 7 फरवरी 2019 की अधिसूचना को रद्द नहीं नहीं करवाया जाता तब तक पीजीटी 18750, पीजीटी को 18460, जेबीटी को 16290 के प्रारंभिक वेतनमान का लाभ 6टे वेतनमान के अनुसार नहीं मिल सकता।
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन की प्रेरणा पर लगभग 100 मास्टरस ने 7 फरवरी 2019 की अधिसूचना को याचिका संख्या 18147 ऑफ 2019 सतबीर सिंह व अन्य बनाम हरियाणा सरकार के माध्यम से चुनौती दी है। माननीय हाईकोर्ट ने किसी सुनवाई के लिए स्वीकार किया हुआ है और मामला माननीय हाईकोर्ट में सारा दिन है। इस रिट पिटिशन का अगर फैसला अध्यापकों के हक में आता है तो पीजीटी को 18750 टीजीटी 18460 ,जेबीटी को 16290 का लाभ मिलेगा अन्यथा नहीं।
👏 रमेश मलिक 👏
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