दाखिले का यह तरीका नहीं चलने देंगे : सिब्बल

नई दिल्ली दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिले के लिए 96 से 100 प्रतिशत तक का कट ऑफ तय करने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह कतई तर्कसंगत नहीं है। यह गलत तरीका है और वह इसे नहीं चलने देंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में वह पूरी तरह छात्रों व उनके अभिभावकों के साथ हैं। दाखिले के लिए सौ प्रतिशत अंक तक कट ऑफ तय करने के मामले को सिब्बल ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में किसी कालेज का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कॉलेजों के इस नजरिए को खारिज जरूर कर दिया। उन्होंने कहा कि आखिर जो छात्र दिन-रात पढ़ाई करके 97, 98 व 99 प्रतिशत तक अंक लाते हैं, फिर भी उन्हें दाखिला न मिले तो यह तकलीफदेह है। उन्होंने कहा कि कॉलेजों के इस दृष्टिकोण को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स का नाम लिए बिना ही कहा कि 100 प्रतिशत कट ऑफ तय करना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन उम्मीद है कि अब आगे से कोई कॉलेज ऐसा नहीं करेगा। सिब्बल ने कहा कि हालांकि यह मामला सीधे तौर पर मांग और आपूर्ति के सिद्धांत से जुड़ा है। शिक्षा में सुधार के कई कानून बनाने की प्रक्रिया चल रही है। जब वे बन जाएंगे और भरपूर संसाधन होंगे तो फिर यह समस्या नहीं रह जाएगी। फिर भी उन्होंने दिल्ली के कालेजों में दाखिले को लेकर पैदा हुई इन स्थितियों पर संज्ञान लेने को कहा है। सिब्बल ने यह भी जोड़ा कि कुलपति ने कॉलजों में दाखिले को व्यावहारिक बनाने के प्रयास किए हैं। इस मौके पर मौजूद दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह ने माना कि कुछ कॉलेजों ने कट ऑफ की पूरी प्रक्रिया को अपनाने में अनदेखी की है। फिर भी छात्रों व अभिभावकों को इससे परेशान नहीं होना चाहिए। अभी चार और कट ऑफ सूची आएंगी। बहुत सीटें हैं। उन्हें भरना है तो अच्छे अंक पाने वाले छात्रों को दाखिला मिलेगा ही। उनके मुताबिक इस साल पैदा हुई समस्या की एक वजह यह भी है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में पिछले साल इंटर में जहां 200 छात्र थे, वहीं इस साल यह संख्या बढ़कर 800 हो गई है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया व जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा कि समस्या की जड़ मांग व आपूर्ति के सिद्धांत में निहित है। स्थिति तभी सुधार सकती है, जब पर्याप्त संसाधन हों। उमर अब्दुल्ला ने 100 प्रतिशत के कट ऑफ का हास्यापद करार दिया। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, डर लगता है कि मैं अपने बच्चे को पढ़ाऊंगा कैसे?

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