नई दिल्ली, एजेंसी : केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने एम्स के रेजीडेंट डाक्टरों की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एम्स द्वारा ली गई परीक्षा को रद करने की मांग की थी। न्यायाधिकरण ने नए सिरे से परीक्षा लेने का आदेश देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि परीक्षा नियंत्रक और परीक्षा लेने वाली कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की ईमानदारी पर संदेह नहीं किया जा सकता। कैट की मुख्य पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति वी के बाली ने कहा कि न्यायालय उन दलीलों से सहमत नहीं हैं कि परीक्षा केंद्रों पर गंभीर कदाचार हुआ। एम्स की ओर से दाखिल हलफनामे में दिए गए स्पष्टीकरण के मद्देनजर परीक्षा नियंत्रक और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की ईमानदारी पर संदेह करने का कोई कारण नहीं पाते। न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि एम्स ने पहले ही मामले की जांच की है और कुछ पाठ्यक्रमों में दोबारा परीक्षा लेने का फैसला किया है। एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स ऑफ एम्स और दो चिकित्सकों की ओर से दायर याचिका में डीएम, एमसीएच में सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए फरीदाबाद के मानव रचना विश्वविद्यालय में 15 मई, 2011 को आयोजित परीक्षा में कदाचार और अनुचित साधनों का इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया गया था।
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