अंतिम सांस ले रहे व्यक्ति द्वारा दिया बयान चाहे वह मौखिक हो या फिर लिखित या फिर उसका बयान किसी अन्य तरीके से लिया गया हो, वह सबूत के तौर पर अपने आप में पर्याप्त है और यह मामले में निश्चितता का द्योतक भी है। कहने का तात्पर्य यह है कि मरता हुआ व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता है। यह टिप्पणी करते हुए रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायधीश सुधीर कुमार जैन की अदालत ने हत्या के मामले में दोषी पाए 22 वर्षीय युवक को आजीवन कारावास की सुनाई है। अदालत ने फैसले में कहा कि यह जरूरी नहीं है कि मरता हुआ कोई व्यक्ति जब अपना बयान दे तो उस समय मजिस्ट्रेट की मौजूदगी अनिवार्य हो। अदालत ने दोषी पर चार हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। जुर्माना नहीं भरने पर दोषी को दो महीने अतिरिक्त कैद काटनी होगी।
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