छात्र अब 12वीं के बाद लें आईआईएम में दाखिला +राजस्थान में मदरसा शिक्षा सहयोगियों का मानदेय बढा+मप्र के सरकारी स्कूलों में अब भगवत गीता की शिक्षा

इंदौर। अब आईआईएम में दाखिले की चाह रखने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए ग्रेजुएट डिग्री लेने तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। नई पहल के तहत इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम-आई) इस शैक्षणिक सत्र से पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (पीजीपी) शुरू करने जा रहा है।

इस पाठ्यक्रम के पहले वर्ष में 120 सीट होंगी।

न्यूनतम योग्यता

इस प्रोग्राम में प्रवेश के लिए सेकंडरी या 10वीं में तथा हायर सेकंडरी या 12वीं में कम से कम 60 प्रतिशत अंक होने जरूरी हैं। वहीं, ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए यह प्रतिशत 55 रखा गया है। अंतिम चयन एक एप्टीट्यूड टेस्ट और साक्षात्कार के आधार पर किया जाएगा।

फीस

पहले तीन वर्ष के लिए सालाना 3 लाख रुपए फीस होगी। चौथे और पांचवें वर्ष के लिए यह फीसदी 5 लाख रुपए सालाना होगी। आरक्षित वर्ग के लिए फीस में रियायत नियमों के मुताबिक दी जाएगी। इस आवासीय पाठ्यक्रम में रहने-खाने की फीस अलग होगी।
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मध्यप्रदेश सरकार के स्कूलों में इस शैक्षणिक सत्रा से पहली से लेकर दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भगवत गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा।

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राजस्थान सरकार ने एक आदेश के तहत मदरसा शिक्षा सहयोगियों का न्यूनतम
मानदेय 2 हजार रूपये से बढाकर साढे तीन हजार किया है। आदेश के अनुसार पूर्व कार्यरत अनुभवी मदरसा शिक्षा सहयोगियों के मानदेय में इस वर्ष से क्रमिक वृद्धि की गई है।
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