जयपुर. चार लाख बीएड डिग्रीधारी प्रारंभिक शिक्षा की सेकंड ग्रेड शिक्षक (वरिष्ठ अध्यापक) भर्ती से बाहर हो गए हैं। इनके बाहर होने का कारण है इस भर्ती में मांगा गया पांच साल का अध्यापन का अनुभव। बीएड डिग्रीधारियों ने यह कहते हुए इसका विरोध शुरू कर दिया है कि एक महीने पहले एक जून 2011 को माध्यमिक शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी।
इसमें अनुभव प्रमाण पत्र जैसी कोई बाध्यता नहीं थी। जब दोनों ही पद वरिष्ठ अध्यापक हैं तो सरकार को योग्यता भी समान करनी चाहिए। प्रारंभिक शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक के लिए मांगे गए पांच साल के अध्यापन कार्य के अनुभव प्रमाण पत्र के कारण पिछले चार सालों में बीएड करने वाले सभी और इससे पहले बीएड करने वाले वे बीएड डिग्रीधारी इस भर्ती से बाहर हो गए हैं, जिन्होंने बीएड करने के बाद स्कूल में पांच साल तक अध्यापन नहीं कराया।
राजस्थान शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के अध्यक्ष संदीप कलवानिया का कहना है कि जब प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा की सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती में कई समानताएं है। इन समानताओं को देखते हुए सरकार को अध्यापन कार्य का अनुभव वाली योग्यता भी तुरंत हटा लेनी चाहिए। ताकि कई बीएड डिग्रीधारियों के शिक्षक बनने का सपना साकार हो सके।
11 अगस्त है अंतिम तिथि: एक जुलाई को वरिष्ठ अध्यापक भर्ती (प्रारंभिक शिक्षा) का विज्ञापन जारी हुआ था। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 11 अगस्त है। भर्ती 4326 पदों पर हो रही है।
यह रखी है योग्यता
वरिष्ठ अध्यापक (प्रारंभिक शिक्षा): स्नातक या समतुल्य परीक्षा के साथ में राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त शिक्षा में उपाधि या डिप्लोमा, 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव
वरिष्ठ अध्यापक ( मा. शिक्षा): संबंधित विषय में स्नातक या समतुल्य, राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त शिक्षा में उपाधि या डिप्लोमा।
दोनों में यह है समानता
पद का नाम वरिष्ठ अध्यापक,
वेतनमान समान,
फॉर्म भरने की प्रक्रिया,
दोनों भर्ती परीक्षाओं में दो पेपर,
परीक्षा का सिलेबस समान,
पहला पेपर सामान्य ज्ञान,
दूसरा पेपर विषय का, दोनों भर्तियों में एक विषय का चयन जरूरी।
इन पर है असमंजस: भर्ती में 5 साल का अध्यापन का अनुभव मांगा गया है, लेकिन यह नहीं बताया कि यह प्रमाण पत्र कौन जारी करेगा। परीक्षा के दूसरे पेपर के लिए हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, उर्दू, गुजराती, पंजाबी व सिंधी विषयों में से एक चुनना है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि स्नातक में लिया गया विषय बदला जा सकता है या नहीं।
सरकार ने माध्यमिक एवं प्रारंभिक शिक्षा के वरिष्ठ अध्यापक भर्ती के लिए अलग-अलग नियम बना रखे हैं। उनके आधार पर योग्यता रखी गई है। नियम सरकार बनाती है, आयोग उनका अनुसरण करता है। नियम बदलने का हक आयोग को नहीं है। - चिंरजीलाल दायमा, उपसचिव, आरपीएससी
इसमें अनुभव प्रमाण पत्र जैसी कोई बाध्यता नहीं थी। जब दोनों ही पद वरिष्ठ अध्यापक हैं तो सरकार को योग्यता भी समान करनी चाहिए। प्रारंभिक शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक के लिए मांगे गए पांच साल के अध्यापन कार्य के अनुभव प्रमाण पत्र के कारण पिछले चार सालों में बीएड करने वाले सभी और इससे पहले बीएड करने वाले वे बीएड डिग्रीधारी इस भर्ती से बाहर हो गए हैं, जिन्होंने बीएड करने के बाद स्कूल में पांच साल तक अध्यापन नहीं कराया।
राजस्थान शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के अध्यक्ष संदीप कलवानिया का कहना है कि जब प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा की सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती में कई समानताएं है। इन समानताओं को देखते हुए सरकार को अध्यापन कार्य का अनुभव वाली योग्यता भी तुरंत हटा लेनी चाहिए। ताकि कई बीएड डिग्रीधारियों के शिक्षक बनने का सपना साकार हो सके।
11 अगस्त है अंतिम तिथि: एक जुलाई को वरिष्ठ अध्यापक भर्ती (प्रारंभिक शिक्षा) का विज्ञापन जारी हुआ था। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 11 अगस्त है। भर्ती 4326 पदों पर हो रही है।
यह रखी है योग्यता
वरिष्ठ अध्यापक (प्रारंभिक शिक्षा): स्नातक या समतुल्य परीक्षा के साथ में राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त शिक्षा में उपाधि या डिप्लोमा, 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव
वरिष्ठ अध्यापक ( मा. शिक्षा): संबंधित विषय में स्नातक या समतुल्य, राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त शिक्षा में उपाधि या डिप्लोमा।
दोनों में यह है समानता
पद का नाम वरिष्ठ अध्यापक,
वेतनमान समान,
फॉर्म भरने की प्रक्रिया,
दोनों भर्ती परीक्षाओं में दो पेपर,
परीक्षा का सिलेबस समान,
पहला पेपर सामान्य ज्ञान,
दूसरा पेपर विषय का, दोनों भर्तियों में एक विषय का चयन जरूरी।
इन पर है असमंजस: भर्ती में 5 साल का अध्यापन का अनुभव मांगा गया है, लेकिन यह नहीं बताया कि यह प्रमाण पत्र कौन जारी करेगा। परीक्षा के दूसरे पेपर के लिए हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, उर्दू, गुजराती, पंजाबी व सिंधी विषयों में से एक चुनना है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि स्नातक में लिया गया विषय बदला जा सकता है या नहीं।
सरकार ने माध्यमिक एवं प्रारंभिक शिक्षा के वरिष्ठ अध्यापक भर्ती के लिए अलग-अलग नियम बना रखे हैं। उनके आधार पर योग्यता रखी गई है। नियम सरकार बनाती है, आयोग उनका अनुसरण करता है। नियम बदलने का हक आयोग को नहीं है। - चिंरजीलाल दायमा, उपसचिव, आरपीएससी
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