चंडीगढ़। हरियाणा सरकार की रेगुलराइजेशन पालिसी में संशोधन होने के संकेत हैं। सर्व कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी की बुधवार को यहां हुई बैठक में ये संकेत मिले हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता के चलते मुख्य सचिव ने एक भी मांग को फिलहाल मानने से मना कर दिया है, लेकिन दो घंटे से ज्यादा समय तक हुई चर्चा का निचोड़ यह है कि कर्मचारियों को काफी उम्मीदें बंध गई हैं। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद मुख्य सचिव के साथ सर्व कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल की एक बैठक और होगी।संघ के महासचिव सुभाष लांबा, उप महासचिव जीवन सिंह, सरबत पूनिया और वीरेंद्र डंगवाल ने मुख्य सचिव के साथ बैठक में अपनी मांगें रखी। सुभाष लांबा और जीवन सिंह ने बैठक के बाद अमर उजाला को बताया कि पिछले 3 अगस्त को रेगुलराइजेशन पालिसी जारी की गई थी। उसमें कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए कई शर्तें डाल दी गई।इनमें मुख्य तौर पर रोजगार कार्यालय या विभागीय कमेटी से लगाए गए कर्मचारी शामिल किए गए हैं। मुख्य सचिव से मांग की गई है कि रोजगार कार्यालय और विभागीय समिति की शर्त हटाई जाए। यह अधिकार मंत्रिमंडल को है। इसके अलावा कट ऑफ डेट 10 अप्रैल 2006 रखी गई है और उसके लिए भी दस साल के कच्चे कर्मचारी के तौर पर सेवा करने की बात कही गई है। संघ की मांग है कि कट ऑफ डेट 3 अगस्त 2011 रखी जाए और दो साल की कच्ची सेवा वालों को पक्का किया जाए। मौजूदा पालिसी में तमाम शर्तों में छूट चाहते हैं।उन्होंने बताया कि जब संघ ने पूछा कि जो कच्चे कर्मचारी पक्के नहीं हो पाएंगे तो उनका क्या बनेगा? मुख्य सचिव ने कहा कि वे गैरकानूनी माने जाएंगे, लेकिन हटाए नहीं जाएंगे। इस पर संघ ने कहा कि गैर कानूनी भरती किसने किए थे। इसके अलावा जो पालिसी 1993, 1996, 1999 और 2003 के तहत पक्के होने से छूट गए थे, उन्हें नई रेगुलराइजेशन पालिसी में मौका नहीं दिया गया। उन्हें भी मौका दिया जाना चाहिए ताकि छूटे कर्मचारियों को पक्का किया जा सके। नई पालिसी में एक शर्त है कि स्वीकृत पदों के विरुद्ध ही कच्चे कर्मचारी पक्के हो सकेंगे। यह शर्त हटनी चाहिए क्योंकि पार्ट टाइम पर लगाए गए कर्मचारियों को पूरा साल काम नहीं मिलता, इस तरह वे पक्के नहीं हो पाएंगे। अगर पद स्वीकृत नहीं हैं तो उन्हें अब स्वीकृति दे दी जानी चाहिए।जो कर्मचारी प्रोजेक्टों में काम कर रहे हैं, उतने पद स्वास्थ्य विभाग में हैं। उनकी सेवा शर्तों में इस प्रकार का संशोधन किया जाए कि सीधी भरती भी हो और पहले काम कर चुके कर्मचारियों को भी पात्र बनाया जा सके।
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