बाबुओं के असमंजस व गलत निर्णयों *नान प्रेक्टिसिंग भत्ता माना जाएगा वेतन का हिस्सा

फतेहाबाद, मुख्य संवाददाता : बाबुओं के असमंजस व गलत निर्णयों ने एक गुरुजी को उलझन में डाल दिया है। हालत यह है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वह अपना मामला सुलझाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं या आरटीआई से हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। शिक्षा विभाग ने 1996 में स्नातक प्रथम वर्ष पास अध्यापकों को जूनियर ग्रेड प्रदान कर दिया और अदालत गए सभी अध्यापकों को जनवरी 1979 से बढ़ा हुआ वेतन भी दिया। वेतन वृद्धि का लाभ पाने वाले एक अध्यापक को विभागीय बाबुओं ने ऐसा उलझाया कि सेवानिवृत्ति के बाद भी विभागीय लड़ाई लड़नी पड़ रही है। उन्हें 38 माह की तनख्वाह रिकवरी के नाम पर लौटानी पड़ी। बाद में आरटीआई में विभाग ने रिकवरी को तो नाजायज मान लिया, पर इसे लौटाने को अधिकारी अब भी तैयार नहीं हैं। भोडि़याखेड़ा के सेवानिवृत्त शिक्षक सदाराम ने तीन दर्जन से अधिक अध्यापकों के साथ न्यायालय में 1994 में याचिका दायर की। हाइकोर्ट में सुंदरदास बनाम हरियाणा सरकार केस में शिक्षा विभाग ने स्नातक प्रथम वर्ष पास अध्यापकों को जेएसटी ग्रेड दे दिया गया तथा इन अध्यापकों को जनवरी 1979 से ही बढ़े वेतनमान का भुगतान भी कर दिया गया। सदाराम बढ़ा हुआ वेतन मिलने के बाद 1994 में पदोन्नत होकर राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला भोडि़याखेड़ा से एसएस मास्टर राजकीय उच्च विद्यालय बनगांव में तबदील कर दिया गया। 1996 में वेतन निर्धारण के बाद विभाग से आए एक फरमान में सदाराम को हिला कर रख दिया। जिला शिक्षा अधिकारी फतेहाबाद के अनुभाग अधिकारी ने जेएसटी ग्रेड को गलत ठहरा दिया है। साथ ही मुख्यध्यापक को निर्देश दिए कि सदाराम से जनवरी 1979 से लेकर अगस्त 1996 तक दी गई वेतन बढ़ोतरी की रिकवरी की जाए। जनसूचना अधिनियम लागू हुआ तो सदाराम को एक आस जगी। उन्होंने वर्ष 2010 में अपने केस के संबंध में जानकारी एकत्रित करनी शुरू की। आरटीआई के तहत विभाग ने माना कि सदाराम के अलावा अन्य किसी से भी एक जनवरी 1996 से लागू नये वेतनमान के बावजूद रिकवरी नहीं की गई। पत्र में जानकारी मिली की निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग ने रिकवरी को अनधिकृत माना है। अब सदाराम राशि लौटज्ञने के लिए अपील कर रहे हैं लेकिन विभाग राशि लोटाने को तैयार नहीं। उन्होंने बताया कि आरटीआई के तहत समय पर जानकारी न देने के लिए 25 हजार रुपये जुर्माना दिये जाने का नोटिस दिया जा चुका है, पर स्थिति जस की तस है। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि इस मामले में 22 जून 2011 को विभाग के निदेशक को पत्र भेज दिया गया था
-------------------------------------------------------------------------------------------------------
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि नव परिभाषित अंशदान पेंशन योजना के तहत अंशदान की गणना के लिए नॉन-प्रेक्टिसिंग भत्ते को वेतन का हिस्सा माना जाएगा। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बोर्डो या निगमों के ऐसे कर्मचारी जो राज्य सरकार के तहत अनुभाग अधिकारी (एसएएस) के रूप में कार्यभार संभालने का विकल्प लेते हैं, वे 4600 रुपये के ग्रेड पे के साथ पे बैंड-दो में 9300-34800 रुपये में वेतन लेने के पात्र होंगे। सरकारी कार्यालय में कार्यभार संभालने की तिथि से अनुभाग अधिकारी के 12090 जमा 4600 बराबर 16090 रुपये का आरंभिक वेतन प्राप्त करेंगे। यदि ऐसे कर्मचारी 4600 रुपये के ग्रेड पे के साथ 9300-34800 रुपये के पे बैंड-2 में 12090 जमा 4600 बराबर 16090 रुपये से अधिक वेतन प्राप्त कर रहे हैं, तो वित्त विभाग के परार्मश से नियमानुसार उनका वेतन सुरक्षित किया जा सकता है। यदि वरिष्ठ पदोन्नत अनुभाग अधिकारी का वेतन कम है तो वह वित्त विभाग के आदेश संख्या 1/83/2008-2 पीआर (एफडी) दिनंाक 16 दिसंबर 2010 के प्रावधानों के अनुसार ऐसे कनिष्ठ अधिकारी के बराबर वेतन के स्टैप-अप का पात्र होगा। बोर्डाे या निगमों के ऐसे कर्मचारियों की सरकारी सेवा में नई नियुक्ति माना जाएगा

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Education News Haryana topic wise detail.