परीक्षा में फिसड्डी, बनेंगे डाक्टर

मोहन भारद्वाज, हिसार उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षा में फेल होने या कम अंक लेने वाले बच्चों के भविष्य पर काले बादल छा जाते हैं। परंतु फिसड्डी बच्चों को डाक्टरी जैसे पाठ्यक्रम में प्रवेश दे दिया जाए तो इसे क्या कहा जाए। ऐसा ही कारनामा किया है प्रदेश के निजी डेंटल कालेजों ने। आरटीआइ से खुलासा हुआ कि 32 विद्यार्थियों को परीक्षा में फेल होने पर भी डेंटल सर्जन की डिग्री पाने का पुरस्कार मिला है। हिसार के अधिवक्ता अनुज गुप्ता ने स्टेट एडमिशन कमेटी से जनसूचना के अधिकार के तहत जवाब मांगकर मास्टर ऑफ डेंटल सर्जन के दाखिले में हुई हेराफेरी को उजागर किया है। रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस ने फरवरी-मार्च 2010 में मास्टर ऑफ डेंटल सर्जन (एमडीएस) के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया था। इसमें मात्र 13 परीक्षार्थी ही एमडीएस कोर्स के लिए पास हो पाए। इन नतीजों को मानने से इंकार करते हुए प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों ने अलग से एसोसिएशन गठित कर 23 मई को एक और प्रवेश परीक्षा आयोजित की। 57 सीटों के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में 96 विद्यार्थी शामिल हुए, जिनमें 12 विद्यार्थी ही निर्धारित अंक प्राप्त कर पाए। जिस पर चारों निजी कॉलेजों ने स्टेट एडमिशन कमेटी के सामने सीटें नहीं भरने पर हाय-तौबा मचाई जिस पर कमेटी ने पीजीआइएमएस द्वारा ली गई प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए इन कॉलेजों को अनुमति दे दी। इसके लिए 29 मई को काउंसलिंग का आयोजन किया गया। काउंसलिंग में शामिल होने के लिए प्रवेश परीक्षा में 50 फीसदी या इससे अधिक अंक हासिल करने वालों को पहुंचने के लिए कहा गया। बावजूद इसके दोनों प्रवेश परीक्षाओं को मिलाकर निर्धारित मापदंडों के अनुसार मात्र 25 सीटें ही भर पाई तथा 32 सीटें खाली रह गई। काउंसलिंग में पीजीआइएमएस की ओर से डेंटल कालेज रोहतक की प्रोफेसर डा. शशि बाला व असिस्टेंट प्रोफेसर डा. महेश गोयल पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित हुए। खुलासा हुआ कि कॉलेज द्वारा गठित की गई एसोसिएशन ने 29 मई को करनाल के एक होटल में स्टेट एडमिशन कमेटी व यूनिवर्सिटी के नियमों की अनदेखी कर पिछले दरवाजे से बगैर किसी को सूचित किए प्रवेश परीक्षा में फेल छात्रों को बीडीएस में मिले अंकों के आधार पर खाली 32 सीटों को भर लिया। प्रदेश में पीजी डेंटल कालेज के रूप में कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस फरीदाबाद, बीआरएस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिज डेंटल कॉलेज पंचकूला, डेंटल कॉलेज गुड़गांव व डीएवी डेंटल कॉलेज यमुनानगर शामिल थे। किसने क्या कहा: पीजीआइएमएस के रजिस्ट्रार ने 10 जून को लिखे पत्र क्रमांक नंबर-यूएचएसआर-आर एंड ए-10-1676-79 में कहा कि करनाल में आयोजित काउंसलिंग में यूनिवर्सिटी का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं था तथा न ही इसके लिए कॉलेजों को कोई अनुमति दी गई थी। उन्होंने सभी कॉलेजों की मान्यता रद करने के लिए डीसीआइ ने केंद्र सरकार से अनुशंसा करने की बात भी कही। भारतीय दंत परिषद तथा प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने भी द्वितीय काउंसलिंग के तहत 32 रिक्त सीटों को भरने की प्रक्रिया को गैरकानूनी बताया।

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