इनेलो सरकार में भर्ती हुए और कांग्रेस सरकार में बर्खास्त किए गए 43 एसआई को अदालत के आदेश पर भी तय समय में ज्वाइन नहीं कराने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को संज्ञान लगाते हुए सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने इन्हें 16 नवंबर तक ज्वाइन कराने का नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त को फैसला सुनाते हुए इन्हें एक महीने में वापस ज्वाइन कराने का फैसला सुनाया था। लेकिन प्रदेश सरकार ने अब तक किसी को भर्ती नहीं किया है। गौरतलब है कि चौटाला सरकार में पुलिस विभाग में 72 युवकों को सीधे एसआई भर्ती किया गया था। मगर 2005 में कांग्रेस सरकार ने इनमें से 59 युवकों को यह कहकर बर्खास्त कर दिया कि इनकी नियुक्ति चुनाव आचार संहिता के दौरान हुई थी। सरकार के इस रवैये पर 43 बर्खास्त एसआई ने 2007 में हाईकोर्ट में याचिका डाल दी। 2009 में हाईकोर्ट ने इन पुलिसकर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इन्हें बहाल करने के आदेश दिए थे। इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी साल 24 अगस्त को इन बर्खास्त पुलिसकर्मियों के हक में फैसला सुनाते हुए इन्हें एक महीने में दोबारा ज्वाइन कराने का आदेश दिया था।
मगर सरकार ने अदालत के फैसले के बावजूद ऐसा नहीं किया। इस कारण अदालत की अवमानना बताते हुए 18 अक्टूबर को फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत शर्मा की अदालत ने सोमवार को सरकार के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इन पुलिसकर्मियों को 16 नवंबर तक ज्वाइन कराए।
रोहतक के युवक ने लड़ा केस : सरकार के खिलाफ बहुचर्चित रहे इस केस की याचिका रोहतक के युवक संदीप हुड्डा ने दायर की थी। उनका भी इस भर्ती में चयन हुआ था। मगर बर्खास्त होने के बाद उन्होंने रोहतक में वकालत शुरू कर दी। इसके अलावा उन्होंने इस केस में गुडग़ांव के पुलिस कमिश्नर एसएस देसवाल को भी पार्टी बनाया था। उनका कहना है कि चौटाला सरकार में उनका चयन सही तरीके से किया था।
प्रदेश सरकार को कहा-बर्खास्त 43 एसआई को १६ नवंबर तक ज्वाइन करवाएं
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त को फैसला सुनाते हुए इन्हें एक महीने में वापस ज्वाइन कराने का फैसला सुनाया था। लेकिन प्रदेश सरकार ने अब तक किसी को भर्ती नहीं किया है। गौरतलब है कि चौटाला सरकार में पुलिस विभाग में 72 युवकों को सीधे एसआई भर्ती किया गया था। मगर 2005 में कांग्रेस सरकार ने इनमें से 59 युवकों को यह कहकर बर्खास्त कर दिया कि इनकी नियुक्ति चुनाव आचार संहिता के दौरान हुई थी। सरकार के इस रवैये पर 43 बर्खास्त एसआई ने 2007 में हाईकोर्ट में याचिका डाल दी। 2009 में हाईकोर्ट ने इन पुलिसकर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इन्हें बहाल करने के आदेश दिए थे। इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी साल 24 अगस्त को इन बर्खास्त पुलिसकर्मियों के हक में फैसला सुनाते हुए इन्हें एक महीने में दोबारा ज्वाइन कराने का आदेश दिया था।
मगर सरकार ने अदालत के फैसले के बावजूद ऐसा नहीं किया। इस कारण अदालत की अवमानना बताते हुए 18 अक्टूबर को फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत शर्मा की अदालत ने सोमवार को सरकार के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इन पुलिसकर्मियों को 16 नवंबर तक ज्वाइन कराए।
रोहतक के युवक ने लड़ा केस : सरकार के खिलाफ बहुचर्चित रहे इस केस की याचिका रोहतक के युवक संदीप हुड्डा ने दायर की थी। उनका भी इस भर्ती में चयन हुआ था। मगर बर्खास्त होने के बाद उन्होंने रोहतक में वकालत शुरू कर दी। इसके अलावा उन्होंने इस केस में गुडग़ांव के पुलिस कमिश्नर एसएस देसवाल को भी पार्टी बनाया था। उनका कहना है कि चौटाला सरकार में उनका चयन सही तरीके से किया था।
प्रदेश सरकार को कहा-बर्खास्त 43 एसआई को १६ नवंबर तक ज्वाइन करवाएं
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment