यूजीसी और एमएचआरडी के पीएचडी के नियम अलग
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र राष्ट्रीय महत्व के संस्थान कहे जाने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (निट) से पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को अपने ही देश में नौकरी मिल पाना मुश्किल हो सकता है। यूजीसी के नियमों के अनुसार प्रवेश परीक्षा और छह महीने के कोर्स वर्क के बिना पीएचडी मान्य नहीं होगी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा संचालित राष्ट्रीय संस्थानों में प्रवेश परीक्षा को तरजीह नहीं दी गई है और बिना प्रवेश परीक्षा के ही धड़ल्ले से पीएचडी में रजिस्ट्रेशन होते हैं। ऐसे में एमएचआरडी द्वारा संचालित निट में बिना प्रवेश परीक्षा के ही पीएचडी में रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। ऐसे में नुकसान केवल छात्रों का होना तय है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (निट) में पीएचडी में रजिस्ट्रेशन के लिए किसी प्रकार की प्रवेश परीक्षा की आवश्यकता नहीं है। प्रशासन के अनुसार ज्यादा उम्मीदवारों के होने के बाद ही प्रवेश परीक्षा ली जाती है। ऐसे में निट में आज भी पुराने तरीके से प्रोफेसरों पर ही निर्भर है कि वो किस को शोध कराना चाहते हैं और किस को नहीं। इसके लिए केवल विभागीय स्तर पर विभागीय शोध कमेटी का गठन किया गया है और अपने चहेतों को प्रवेश दे दिया जाता है। इसके लिए प्रवेश परीक्षा नहीं साक्षात्कार को माध्यम बनाया जाता है। निट के पीएचडी नियमों में वैसे तो प्रवेश परीक्षा को दिया गया है। जिसके कारण पिछले सालों में इक्का-दुक्का प्रवेश परीक्षाओं के अलावा निट में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा हुई ही नहीं। निट में कराई गई इस प्रकार की पीएचडी करने वाले विद्यार्थी को अगर अन्य विश्र्वविद्यालयों में नौकरी के लिए आवेदन करना पड़ा तो मुश्किल हो सकती है, क्योंकि यूजीसी के नियमों के अनुसार बिना कोर्स वर्क और प्रवेश परीक्षा के की गई पीएचडी धारक को नौकरी नहीं दी जा सकती है। जिनमें इस प्रकार के शोध को मान्य माना गया है। बाकि विश्र्वविद्यालयों में नौकरी के लिए ये आवेदन भी नहीं कर सकते। निट के पीआरओ डॉ. दीक्षित गर्ग का कहना है कि कई विभागों में पिछली बार प्रवेश परीक्षा कराई गई हंै, लेकिन सभी विभागों में अभी प्रवेश परीक्षा नहीं कराई जा रही है क्योंकि एमएचआरडी के नियमों में ऐसा नहीं है और यूजीसी के नियम निट पर लागू नहीं होते।
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गुजवि में पीएचडी प्रवेश परीक्षा संपन्न
हिसार, जागरण संवाददाता : गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय में शनिवार को पीएचडी प्रवेश परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। इस परीक्षा में लगभग 1100 विद्यार्थियों ने भाग लिया। परीक्षा के लिए विवि के परिसर में 16 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। एक परीक्षा केंद्र कोलकाता में बनाया गया था। कोलकाता केंद्र पर रसायन शास्त्र व जीव विज्ञान की परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा में किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए गुरु जम्भेश्वर विश्र्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. आरएस जागलान व प्रो. एमएस तुरान ने परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया। इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के 16 विभागों में 79 सीटों पर पीएचडी के दाखिले होने हैं। इसके लिए यह परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा सुबह के सत्र में 11 बजे से एक बजे तक तथा शाम के सत्र में दो बजे से चार बजे तक हुई।
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कंप्यूटर संचालक ने बनाई अश्लील सीडी
हिसार, जागरण संवाददाता : टाउन प्लाजा में एक कंप्यूटर संचालक ने सेंटर में कंप्यूटर कोर्स करने वाली एक युवती की अश्लील सीडी बनाकर बेचने का प्रयास किया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। मय्यड़ निवासी एक युवक हिसार के टाउन प्लाजा में कंप्यूटर सेंटर चलाता है। यहां आने वाली एक युवती को उसने अपने प्यार के झांसे में फंसाकर सेंटर में लगे गुप्त कैमरों से युवती की अश्लील सीडी बना ली। युवक सीडी बेचने की फिराक में था। इसी दौरान भनक लगने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
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पप्पू को गली-गली ढूंढ़कर लाएंगे गुरुजी
बृजेश द्विवेदी, कुरुक्षेत्र छोटू तुम कहां हो, स्कूल क्यों नहीं आ रहे हो? कुछ इसी तरह सरकारी स्कूल के अध्यापक व प्रबंध समिति के सदस्य शहर व गांव की गलियों में उन बच्चों का ढूंढते नजर आएंगे जो दाखिला लेने के बाद तीन माह व इससे ज्यादा समय से स्कूल नहीं आ रहे हैं। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद राजकीय विद्यालयों में दाखिले के लिहाज से छात्रों की संख्या बढ़ी है लेकिन उपस्थित में भारी गिरावट आई। कक्षाओं से लगभग 25 प्रतिशत छात्र गायब हैं। इससे शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ गई है। यह चिंता अध्यापकों के लिए आयोजित सतत् मूल्यांकन की ट्रेनिंग के दौरान भी देखी गई। लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे बच्चों को वापिस स्कूल कैसे लाएं इस बारे में भी अध्यापकों को ट्रेनिंग के दौरान दिशा निर्देश दिया जा रहा है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है। शिक्षा विभाग के दबाव में स्कूलों ने संख्या तो बढ़ा ली लेकिन छात्रों को कक्षाओं में नहीं रोक पाए। यदि स्कूलों की उपस्थिति रजिस्टर को चेक जिया जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। ऐसे छात्रों की एक बड़ी संख्या सामने आ सकती है। सतत् मूल्यांकन के लिए दी जा रही ट्रेनिंग के दौरान अध्यापकों ने ही अधिकारियों के सामने सवाल रखा। उनका कहना था कि वे उन बच्चों का किस आधार पर मूल्यांकन करें जो दाखिला लेने के बाद महीनों से स्कूल नहीं आ रहे हैं। क्योंकि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत इन बच्चों को स्कूल लाने के लिए उनके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। उनके अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सिर्फ प्रोत्साहित किया जा सकता है। ट्रेनिंग के दौरान अधिकारियों ने अध्यापकों को बताया कि जो बच्चे स्कूल से अनुपस्थित हैं उनके अभिभावकों से संपर्क किया जाए तथा बच्चे के स्कूल नहीं आने का कारण जाना जाए। इसके बाद स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की बैठक बुलाकर बच्चे को स्कूल लाने का रास्ता तलाशा जाए।
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