हिसार. शिक्षा विभाग की ओर से शनिवार को घोषित जेबीटी टीचरों की रेशनेलाइजेशन लिस्ट पर सवालिया निशान खड़े होने शुरू हो गए हैं। कई शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि रेशनेलाइजेशन को लेकर विभाग ने नियमों की अनदेखी की है। इसमें चहेते शिक्षकों का शहरी स्थानों पर तबादला किया गया है। सीनियर और जूनियर शिक्षकों के नियम की भी अनुपालना नहीं की गई। यहां तक की एक खंड के शिक्षकों को दूसरे खंड के स्कूल में ट्रांसफर कर दिया गया है।
30 छात्रों पर एक टीचर
शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत 30 छात्रों के लिए एक शिक्षक का होना जरूरी है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर सभी स्कूलों में छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों का रेशनेलाइजेशन करने का फैसला किया था। इसके तहत विभाग ने शनिवार को लिस्ट जारी कर 161 सरप्लस शिक्षकों को अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया है। हालांकि ये तबादले जिला स्तर पर भेजी गई लिस्ट के आधार पर किए गए थे, लेकिन इसमें अनियमितताएं देखने को मिली हैं।
कोर्ट जाएंगे
पेटवाड़ स्कूल के राजकीय प्राथमिक पाठशाला में 213 बच्चे हैं। इस स्कूल में आठ अध्यापक कार्यरत थे। नियमों के अनुसार इन बच्चों के लिए छह अध्यापक होने जरूरी थे, लेकिन रेशनेलाइजेशन के बाद चार जूनियर अध्यापकों को अन्य स्कूलों में समायोजित कर दिया गया। जबकि विभागीय नीति के तहत ऐसी स्थिति में सीनियर अध्यापकों को ही अन्य स्थान पर भेजा जा सकता है। शिक्षक जग महेंद्र ने तो विभाग के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की भी बात कही है।
अधिकारियों पर उठ रही है उंगलियां
सूत्रों के अनुसार रेशनेलाइजेशन में जिला स्तर
पर घालमेल हुआ है। हालांकि खंड स्तर पर विभागीय नियमों के आधार पर समायोजित किए जाने वाले अध्यापकों की लिस्ट तैयार की गई थी, लेकिन जिला स्तर पर इस लिस्ट में फेरबदल कर दिया गया। इसमें नियमों को ताक पर रख चहेते शिक्षकों को उनके मनपंसद सेंटर अलॉट कर दिए गए। उच्चाधिकारियों ने इसी लिस्ट के आधार पर शिक्षकों को समायोजित किया है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी आशा ग्रोवर का कहना है कि खंड स्तर पर भेजी गई लिस्ट के आधार पर ही रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई थी।
क्या हैं नियम
विभागीय नियमों के मुताबिक रेशनेलाइजेशन के तहत अगर किसी स्कूल से शिक्षक सरप्लस होते हैं तो उसे संबंधित खंड के ही अन्य स्कूल में समायोजित किया जा सकता है। वहीं ऐसी स्थिति में जूनियर की बजाय किसी सीनियर टीचर को ही अन्य स्थान पर भेजा जा सकता है। इसके अलावा अगर महिला शिक्षक को समायोजित किया भी जाता है तो उसे काउंसलिंग के आधार पर नजदीकी सेंटर दिया जाता है, लेकिन विभाग द्वारा किए गए रेशनेलाइजेशन में इस प्रकार के किसी नियम का पालन नहीं किया गया।
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सनसनीखेज खुलासाः दो मेडिकल कॉलेजों में 19 छात्र फर्जी
भोपाल. प्रदेश के ग्वालियर और सागर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे 57 संदिग्ध विद्यार्थियों में से 19 फर्जी हैं। यह खुलासा एमपी स्टेट फॉरेंसिक लैब सागर ने संचालनालय चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) को भेजी रिपोर्ट में किया है। साथ ही भोपाल, इंदौर, जबलपुर और रीवा मेडिकल कॉलेज के 57 विद्यार्थियों के फोटो की जांच की जा रही है।
लैब रिपोर्ट में बताया गया है कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में तीन और गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के 16 विद्यार्थियों के फोटो पीएमटी फार्म पर चस्पा फोटो से मेल नहीं खा रहे हैं।
कॉलेज में दाखिला लेने वाले ये 19 विद्यार्थी वे हैं, जो पीएमटी परीक्षा 2009, 2010 में शामिल नहीं हुए थे। लैब की इस रिपोर्ट ने दोनों कॉलेजों के 18 विद्यार्थियों को राहत दी है, जिन्होंने पीएमटी और काउंसलिंग फार्म पर अलग-अलग वक्त के फोटो लगाए थे।
इसके चलते व्यावसायिक परीक्षा मंडल और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उन्हें संदिग्ध घोषित किया था। गौरतलब है बीते माह डीएमई ने बीकेएमसी के 21 एवं जीआरएमसी के 36 विद्यार्थियों फोटो, फिंगर प्रिंट और हस्ताक्षर जांच के लिए एमपी स्टेट फॉरेंसिक लैब भेजे थे। इन विद्यार्थियों के फोटो की जांच के बाद लैब वैज्ञानिकों ने दोनों कॉलेजों के 20 विद्यार्थियों को संदिग्ध की श्रेणी में रखा है।
इसकी वजह कॉलेज डीन द्वारा इन विद्यार्थियों के पासपोर्ट फोटो के स्थान पर साइड पोज फोटो भेजना है, जिसके चलते प्रारंभिक जांच में इन विद्यार्थियों के फोटो और पीएमटी परीक्षा फार्म पर लगे फोटो से मेल नहीं खा रहे हैं।
आरोपी छात्रों के एडमिशन रद्द करने की कार्रवाई से पहले सरकार ने उनके फोटो और फिंगर प्रिंट की जांच सेंट्रल फॉरेंसिक लैब हैदराबाद में कराने का फैसला लिया है।
मेडिकल कॉलेज - 6
संदिग्ध विद्यार्थी - 114
लैब में जांच हुई - 57
फर्जी निकले - 19
लैब ने संदिग्ध घोषित किया - 20
व्यापमं ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे 114 विद्यार्थियों को संदिग्ध बताया था, जिनकी जांच एफएसएल सागर में कराई जा रही हैं। अभी दो मेडिकल कॉलेजों के 57 विद्यार्थियों की फोटो जांचने के बाद 19 को फर्जी बताया गया है।
इस जांच रिपोर्ट पर सेकंड ओपीनियन लेने के लिए सभी के फोटो और फिंगर प्रिंट हैदराबाद भेजे जा रहे हैं। वहां से जांच रिपोर्ट आते ही फर्जी विद्यार्थियों के एडमिशन रद्द करने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
- डॉ. एससी तिवारी, संचालक, चिकित्सा शिक्षा
इसलिए कराई जांच
2009 में प्रदेश के बीकेएमसी में 21 छात्रों के फर्जी होने का खुलासा तत्कालीन डीन ने किया था। बाद में डीएमई ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की फोटोग्राफी करवाई और पीएमटी फॉर्म पर लगाई गई फोटो से मिलान किया गया। इस प्रक्रिया में 2009 व 2010 में छह मेडिकल कॉलेजों में 114 छात्र ऐसे निकले जिनके फोटो संदिग्ध पाए गए।
लैब रिपोर्ट में बताया गया है कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में तीन और गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के 16 विद्यार्थियों के फोटो पीएमटी फार्म पर चस्पा फोटो से मेल नहीं खा रहे हैं।
कॉलेज में दाखिला लेने वाले ये 19 विद्यार्थी वे हैं, जो पीएमटी परीक्षा 2009, 2010 में शामिल नहीं हुए थे। लैब की इस रिपोर्ट ने दोनों कॉलेजों के 18 विद्यार्थियों को राहत दी है, जिन्होंने पीएमटी और काउंसलिंग फार्म पर अलग-अलग वक्त के फोटो लगाए थे।
इसके चलते व्यावसायिक परीक्षा मंडल और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उन्हें संदिग्ध घोषित किया था। गौरतलब है बीते माह डीएमई ने बीकेएमसी के 21 एवं जीआरएमसी के 36 विद्यार्थियों फोटो, फिंगर प्रिंट और हस्ताक्षर जांच के लिए एमपी स्टेट फॉरेंसिक लैब भेजे थे। इन विद्यार्थियों के फोटो की जांच के बाद लैब वैज्ञानिकों ने दोनों कॉलेजों के 20 विद्यार्थियों को संदिग्ध की श्रेणी में रखा है।
इसकी वजह कॉलेज डीन द्वारा इन विद्यार्थियों के पासपोर्ट फोटो के स्थान पर साइड पोज फोटो भेजना है, जिसके चलते प्रारंभिक जांच में इन विद्यार्थियों के फोटो और पीएमटी परीक्षा फार्म पर लगे फोटो से मेल नहीं खा रहे हैं।
आरोपी छात्रों के एडमिशन रद्द करने की कार्रवाई से पहले सरकार ने उनके फोटो और फिंगर प्रिंट की जांच सेंट्रल फॉरेंसिक लैब हैदराबाद में कराने का फैसला लिया है।
मेडिकल कॉलेज - 6
संदिग्ध विद्यार्थी - 114
लैब में जांच हुई - 57
फर्जी निकले - 19
लैब ने संदिग्ध घोषित किया - 20
व्यापमं ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे 114 विद्यार्थियों को संदिग्ध बताया था, जिनकी जांच एफएसएल सागर में कराई जा रही हैं। अभी दो मेडिकल कॉलेजों के 57 विद्यार्थियों की फोटो जांचने के बाद 19 को फर्जी बताया गया है।
इस जांच रिपोर्ट पर सेकंड ओपीनियन लेने के लिए सभी के फोटो और फिंगर प्रिंट हैदराबाद भेजे जा रहे हैं। वहां से जांच रिपोर्ट आते ही फर्जी विद्यार्थियों के एडमिशन रद्द करने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
- डॉ. एससी तिवारी, संचालक, चिकित्सा शिक्षा
इसलिए कराई जांच
2009 में प्रदेश के बीकेएमसी में 21 छात्रों के फर्जी होने का खुलासा तत्कालीन डीन ने किया था। बाद में डीएमई ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की फोटोग्राफी करवाई और पीएमटी फॉर्म पर लगाई गई फोटो से मिलान किया गया। इस प्रक्रिया में 2009 व 2010 में छह मेडिकल कॉलेजों में 114 छात्र ऐसे निकले जिनके फोटो संदिग्ध पाए गए।
छह जिलों में शिक्षकों की भर्ती पर रोक
शिमला. शिक्षा विभाग में सीएंडवी शिक्षकों (कल्चरल एंड वोकेशनल) की बैच वाइज भर्ती प्रक्रिया में धांधली का मामला सामने आने के बाद शेष छह जिलों में ओवरएज शिक्षकों की भर्ती रोक दी गई है। अब यहां नियमानुसार ही भर्ती होगी। 45 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों को नौकरी नहीं दी जाएगी।
इस तरह हुई अनदेखी
भर्ती प्रक्रिया घोटाले में सरकारी स्तर से लेकर आधिकारिक स्तर पर नियमों की अवहेलना हुई है। पहले विभाग में डायरेक्टर से लेकर डिप्टी डायरेक्टर तक को यह पता नहीं चला कि भर्ती प्रक्रिया में 45 वर्ष से अधिक आयु के उम्मीदवार साक्षात्कार देने आए हैं। यदि उनकी आयु 45 वर्ष से अधिक है, तो उनका आवेदन इसी आधार पर रद्द हो सकता था। इसके बाद भी तैनाती देने का पता नहीं चला।
इन जिलों में नहीं हुई भर्ती
बैच वाइज भर्ती प्रक्रिया के तहत भाषा अध्यापक (एलटी) और शास्त्री के पदों की अब तक शिमला, सिरमौर, हमीरपुर, ऊना, किन्नौर और लाहौल-स्पीति में अभी भर्ती नहीं हुई है। अब तक कांगड़ा, बिलासपुर, सोलन, कुल्लू, चंबा और मंडी जिला में पूरी कर ली गई है, जहां पर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई है। इसके तहत करीब 60 ओवरएज शिक्षकों को भर्ती किया गया है।
क्या हैं नियम
भर्ती प्रक्रिया में 45 साल से ऊपर के शिक्षकों को नहीं रखा जाना था जबकि 60 से अधिक ओवरएज शिक्षक भर्ती कर दिए गए। अब 45 वर्ष की आयु सीमा तक ही शिक्षक भर्ती किए जाएंगे। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग सहित आरक्षित श्रेणी के लिए आयुसीमा में छूट दी जा सकती है।
इस तरह हुई अनदेखी
भर्ती प्रक्रिया घोटाले में सरकारी स्तर से लेकर आधिकारिक स्तर पर नियमों की अवहेलना हुई है। पहले विभाग में डायरेक्टर से लेकर डिप्टी डायरेक्टर तक को यह पता नहीं चला कि भर्ती प्रक्रिया में 45 वर्ष से अधिक आयु के उम्मीदवार साक्षात्कार देने आए हैं। यदि उनकी आयु 45 वर्ष से अधिक है, तो उनका आवेदन इसी आधार पर रद्द हो सकता था। इसके बाद भी तैनाती देने का पता नहीं चला।
इन जिलों में नहीं हुई भर्ती
बैच वाइज भर्ती प्रक्रिया के तहत भाषा अध्यापक (एलटी) और शास्त्री के पदों की अब तक शिमला, सिरमौर, हमीरपुर, ऊना, किन्नौर और लाहौल-स्पीति में अभी भर्ती नहीं हुई है। अब तक कांगड़ा, बिलासपुर, सोलन, कुल्लू, चंबा और मंडी जिला में पूरी कर ली गई है, जहां पर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई है। इसके तहत करीब 60 ओवरएज शिक्षकों को भर्ती किया गया है।
क्या हैं नियम
भर्ती प्रक्रिया में 45 साल से ऊपर के शिक्षकों को नहीं रखा जाना था जबकि 60 से अधिक ओवरएज शिक्षक भर्ती कर दिए गए। अब 45 वर्ष की आयु सीमा तक ही शिक्षक भर्ती किए जाएंगे। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग सहित आरक्षित श्रेणी के लिए आयुसीमा में छूट दी जा सकती है।
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