हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित पात्रता परीक्षा में आवेदकों से पूछे गए सवालों पर ही अब सवाल खड़े हो गए हैं। इस संदर्भ में आवेदकों ने आरोप लगाया है कि परीक्षा में विद्यार्थियों में जो सवाल पूछने के बाद उत्तर दिए गए असल में वे उत्तर थे ही नहीं। परीक्षा का परिणाम दो दिसंबर को घोषित किया जा चुका है। गांव मलिकपुर के अमरेश चन्द्र व नचौली के सुनील कुमार ने आरटीआई के तहत पूछा है कि परीक्षा में कैटेगरी वन की बुकलेट में कुछ प्रश्नों के विकल्प में प्रश्न के अनुसार कोई विकल्प नहीं था, जिसमें से एक सही विकल्प होना जरूरी है। उन्होंने बोर्ड अधिकारियों से कैटेगरी वन व कैटेगरी की बुकलेट की प्रति भेजने की मांग की है।
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रेलवे कर्मियों के बच्चे भी नौकरी कर सकेंगे। स्वैच्छिक रिटायरमेंट यानि वीआरएस (वालंटरी रिटायरमेंट स्कीम) का लाभ आने वाले दिनों में रेलवे के ग्रुप डी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चे भी हासिल कर सकेंगे। अब तक केवल फिजिकल टेस्ट को लेकर मुख्य आपत्ति थी, जिसे रेलवे यूनियन के कड़े विरोध के बाद रेल मंत्रालय को वापस लेना पड़ा। सप्ताह पहले ही फिजिकल टेस्ट नहीं कराने का फरमान रेल मुख्यालय से मिला है। अब भर्ती प्रक्रिया फिर से आरंभ हो जाएगी।
ढाई हजार बच्चों को फायदा
अकेले अम्बाला रेल मंडल में ही लगभग ढाई हजार से भी ज्यादा ग्रुप डी कर्मियों के बच्चों को इसका लाभ मिल सकेगा।
एक शर्त भी : इसका लाभ उन कर्मियों को मिलेगा जिनकी उम्र 50 से 57 वर्ष के बीच है। रेलवे में 20 वर्ष नौकरी भी अनिवार्य है। फरवरी में लिखित परीक्षा करवाने की तैयारी की जा रही है। रेलवे को भी फायदा होगा क्योंकि युवा वर्ग रेलवे में भर्ती हो सकेगा, जिससे कार्यक्षमता में इजाफा होगा। -रविंद्र कुमार, सीनियर डिविजनल पर्सनल ऑफिसर, अम्बाला
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पिता की जगह मिलेगी नौकरी, फिजिकल टेस्ट हटाया
अम्बाला . पिता या माता की जगह अबरेलवे कर्मियों के बच्चे भी नौकरी कर सकेंगे। स्वैच्छिक रिटायरमेंट यानि वीआरएस (वालंटरी रिटायरमेंट स्कीम) का लाभ आने वाले दिनों में रेलवे के ग्रुप डी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चे भी हासिल कर सकेंगे। अब तक केवल फिजिकल टेस्ट को लेकर मुख्य आपत्ति थी, जिसे रेलवे यूनियन के कड़े विरोध के बाद रेल मंत्रालय को वापस लेना पड़ा। सप्ताह पहले ही फिजिकल टेस्ट नहीं कराने का फरमान रेल मुख्यालय से मिला है। अब भर्ती प्रक्रिया फिर से आरंभ हो जाएगी।
ढाई हजार बच्चों को फायदा
अकेले अम्बाला रेल मंडल में ही लगभग ढाई हजार से भी ज्यादा ग्रुप डी कर्मियों के बच्चों को इसका लाभ मिल सकेगा।
एक शर्त भी : इसका लाभ उन कर्मियों को मिलेगा जिनकी उम्र 50 से 57 वर्ष के बीच है। रेलवे में 20 वर्ष नौकरी भी अनिवार्य है। फरवरी में लिखित परीक्षा करवाने की तैयारी की जा रही है। रेलवे को भी फायदा होगा क्योंकि युवा वर्ग रेलवे में भर्ती हो सकेगा, जिससे कार्यक्षमता में इजाफा होगा। -रविंद्र कुमार, सीनियर डिविजनल पर्सनल ऑफिसर, अम्बाला
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एसएमएस से मिलेंगे दवाओं के रेट
रोहतक. अगर मरीज को किसी भी बीमारी के लिए सस्ती दवा चाहिए तो उसे बस मोबाइल पर दवा का साल्ट टाइप कर निर्धारित नंबर पर भेजना होगा। कुछ क्षण में ही सारी कंपनियों की दवाओं की मूल्य सूची स्क्रीन पर नजर आएगी, जिससे उन्हें दुकान पर दवा खरीदते समय ठगी का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में जेनरिक दवाओं की सुलभ उपलब्धता के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल फार्माक्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी को सख्त निर्देश देते हुए पूरे देश में जल्द से जल्द एसएमएस सेवा शुरू करके सस्ती दवाओं की सूचना देने के निर्देश दिए हैं। वहीं अब ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में स्थित सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को ब्रांडेड के साथ जेनरिक दवाओं को भी लिखना अनिवार्य होगा।
गरीबों को सस्ते इलाज के लिए वर्ष 2000 में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान द्वारा शुरू की गई जेनरिक सेवा प्रचार के अभाव में न ही गांव और न शहरों में पनप सकी। डॉक्टरों के जरिए ब्रांडिंग करने के कारण उन्हें महंगे गिफ्ट देने से लागत निकालने का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है, जिसके कारण दवाएं निर्धारित मूल्य से पांच से दस गुना तक महंगी तक बेची जा रही हैं।
डॉक्टरों के अनुसार ब्रांडेड दवाएं गुणवत्ता में बेहतर होने के कारण अधिक प्रभावी एवं प्रचलित हैं। जबकि जेनरिक दवाओं के निर्माण में इतने मानक तय नहीं किए जाते हैं। गरीबों के लिए यह कदम सराहनीय है, किंतु कई दवाओं के जेनरिक ब्रांड मार्केट में नहीं हैं।
॥नेशनल फार्माक्यूटिकल प्राइसिंग एथॉरिटी पूरे देश में जल्द से जल्द एसएमएस सेवा के जरिए सस्ती दवाओं की सूचना शुरू करने की योजना है। इसे लागू होने पर अच्छे परिणाम सामने आएंगे। लोग जागरूक हो जाएंगे, जिसका फायदा ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को भी मिलेगा। -मनमोहन तनेजा, सीनियर ड्रग अफसर
ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में जेनरिक दवाओं की सुलभ उपलब्धता के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल फार्माक्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी को सख्त निर्देश देते हुए पूरे देश में जल्द से जल्द एसएमएस सेवा शुरू करके सस्ती दवाओं की सूचना देने के निर्देश दिए हैं। वहीं अब ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में स्थित सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को ब्रांडेड के साथ जेनरिक दवाओं को भी लिखना अनिवार्य होगा।
गरीबों को सस्ते इलाज के लिए वर्ष 2000 में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान द्वारा शुरू की गई जेनरिक सेवा प्रचार के अभाव में न ही गांव और न शहरों में पनप सकी। डॉक्टरों के जरिए ब्रांडिंग करने के कारण उन्हें महंगे गिफ्ट देने से लागत निकालने का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है, जिसके कारण दवाएं निर्धारित मूल्य से पांच से दस गुना तक महंगी तक बेची जा रही हैं।
डॉक्टरों के अनुसार ब्रांडेड दवाएं गुणवत्ता में बेहतर होने के कारण अधिक प्रभावी एवं प्रचलित हैं। जबकि जेनरिक दवाओं के निर्माण में इतने मानक तय नहीं किए जाते हैं। गरीबों के लिए यह कदम सराहनीय है, किंतु कई दवाओं के जेनरिक ब्रांड मार्केट में नहीं हैं।
॥नेशनल फार्माक्यूटिकल प्राइसिंग एथॉरिटी पूरे देश में जल्द से जल्द एसएमएस सेवा के जरिए सस्ती दवाओं की सूचना शुरू करने की योजना है। इसे लागू होने पर अच्छे परिणाम सामने आएंगे। लोग जागरूक हो जाएंगे, जिसका फायदा ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को भी मिलेगा। -मनमोहन तनेजा, सीनियर ड्रग अफसर
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