जयपुर.पदोन्नति आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में हार चुकी सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट से सरकार को कुछ राहत नहीं मिले, इसे लेकर समता आंदोलन समिति की ओर से भी केविएट दायर की गई है।अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को सुबह 10.30 बजे
होगी।
इस मामले में विधिवेत्ताओं की राय लेने के बाद राज्य सरकार ने गुरुवार रात को ही कार्मिक विभाग के संयुक्त विधि परामर्शी गणपत सिंह गहलोत को दिल्ली भेज दिया गया था। सरकार की ओर से शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने और शीघ्र सुनवाई की अनुमति मांगी गई थी। शाम को सरकार ने एसएलपी दायर की। बताया जा रहा है कि इस याचिका में कुछ कमियां थीं, इसलिए शाम को विधि विभाग के कुछ अधिकारियों को दिल्ली भेजा गया है।
इस बारे में समता आंदोलन के वकील शोभित तिवाड़ी ने बताया कि वे सरकार की याचिका की प्रतिलिपि लेने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह प्रति शनिवार तक मिलने की उम्मीद है।
इधर फैसला लागू करने की भी तैयारी
सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने की स्थिति में सजा से बचने के लिए कार्मिक विभाग ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने की तैयारी कर ली है। सरकार की रणनीति यह है कि सोमवार को अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिलती है तो वहां का आदेश हाईकोर्ट में पेश कर देंगे। अन्यथा हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए शपथ-पत्र देकर कुछ समय की मोहलत मांगी जा सकती है। इस बीच कोर्ट के फैसले के अनुरूप वरिष्ठता सूचियां जारी करने और डीपीसी करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
शीर्ष कोर्ट ने सही ठहराया था हाईकोर्ट का आदेश
सरकार इससे पहले भी हाईकोर्ट के 5 फरवरी, 2010 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर, 2010 के अपने फैसले में हाईकोर्ट के 5 फरवरी के आदेश को सही ठहराया था। इस आदेश में हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से जारी की गई 28 दिसंबर, 2010 और 25 अप्रैल, 2008 की अधिसूचनाओं को असंवैधानिक ठहराया था। साथ ही सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को पुन: अर्जित वरिष्ठता का लाभ देने के निर्देश दिए थे। सरकार ने 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना में अनुसूचित जाति, जनजाति के लाभों को बरकरार रखा था।
क्या है मामला
पदोन्नति में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को आरक्षण दिए जाने को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रही सरकार गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में हार गई। हाईकोर्ट ने 5 फरवरी, 2010 के आदेश का पालन नहीं करने और 11 सितंबर, 2011 को जारी की गई अधिसूचना को अवमानना माना है।
कोर्ट ने सरकार को 3 दिन में 5 फरवरी, 2010 के आदेश का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने मुख्य सचिव एस. अहमद और प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज से आदेश का पालन नहीं करने का कारण भी जानना चाहा है। साथ ही यह भी कहा है कि वे 27 फरवरी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखें, कि क्यों न उनके खिलाफ इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
होगी।
इस मामले में विधिवेत्ताओं की राय लेने के बाद राज्य सरकार ने गुरुवार रात को ही कार्मिक विभाग के संयुक्त विधि परामर्शी गणपत सिंह गहलोत को दिल्ली भेज दिया गया था। सरकार की ओर से शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने और शीघ्र सुनवाई की अनुमति मांगी गई थी। शाम को सरकार ने एसएलपी दायर की। बताया जा रहा है कि इस याचिका में कुछ कमियां थीं, इसलिए शाम को विधि विभाग के कुछ अधिकारियों को दिल्ली भेजा गया है।
इस बारे में समता आंदोलन के वकील शोभित तिवाड़ी ने बताया कि वे सरकार की याचिका की प्रतिलिपि लेने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह प्रति शनिवार तक मिलने की उम्मीद है।
इधर फैसला लागू करने की भी तैयारी
सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने की स्थिति में सजा से बचने के लिए कार्मिक विभाग ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने की तैयारी कर ली है। सरकार की रणनीति यह है कि सोमवार को अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिलती है तो वहां का आदेश हाईकोर्ट में पेश कर देंगे। अन्यथा हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए शपथ-पत्र देकर कुछ समय की मोहलत मांगी जा सकती है। इस बीच कोर्ट के फैसले के अनुरूप वरिष्ठता सूचियां जारी करने और डीपीसी करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
शीर्ष कोर्ट ने सही ठहराया था हाईकोर्ट का आदेश
सरकार इससे पहले भी हाईकोर्ट के 5 फरवरी, 2010 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर, 2010 के अपने फैसले में हाईकोर्ट के 5 फरवरी के आदेश को सही ठहराया था। इस आदेश में हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से जारी की गई 28 दिसंबर, 2010 और 25 अप्रैल, 2008 की अधिसूचनाओं को असंवैधानिक ठहराया था। साथ ही सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को पुन: अर्जित वरिष्ठता का लाभ देने के निर्देश दिए थे। सरकार ने 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना में अनुसूचित जाति, जनजाति के लाभों को बरकरार रखा था।
क्या है मामला
पदोन्नति में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को आरक्षण दिए जाने को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रही सरकार गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में हार गई। हाईकोर्ट ने 5 फरवरी, 2010 के आदेश का पालन नहीं करने और 11 सितंबर, 2011 को जारी की गई अधिसूचना को अवमानना माना है।
कोर्ट ने सरकार को 3 दिन में 5 फरवरी, 2010 के आदेश का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने मुख्य सचिव एस. अहमद और प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज से आदेश का पालन नहीं करने का कारण भी जानना चाहा है। साथ ही यह भी कहा है कि वे 27 फरवरी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखें, कि क्यों न उनके खिलाफ इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई की जाए।