शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों से आने वो प्रवासी श्रमिकों के पुनर्वास के लिए भी कदम उठाए हैं। फरीदाबाद और रेवाड़ी में 'रैन बसेरों' का निर्माण किया जा रहा है। लेबर चौकों पर श्रमिकों के लिए जन सुविधाओं सहित शैडों का निर्माण करने की योजना बनाई गई है। यमुनानगर, फरीदाबाद, हांसी और जुलाना (जींद) में ऐसे शेड बनाए जा रहे हैं।
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नेशनल ब्यूरोत्ननई दिल्ली हरियाणा के श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शिव चरण लाल शर्मा ने कहा है कि राज्य में 'घरेलू नौकरों' को अनुसूचित रोजगार की सूची में शामिल कर लिया गया है। साथ ही सफाई कर्मचारियों को भी अनुसूचित रोजगार की श्रेणी में शामिल करने और उन्हें न्यूनतम वेतन के साथ 500 रुपये अतिरिक्त देने का भी फैसला किया गया है। शर्मा ने यह बात मंगलवार को यहां विज्ञान भवन में आयोजित 44वें भारतीय श्रम सम्मेलन में कही। सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया। हरियाणा में श्रमिकों को सबसे अधिक वेतन शर्मा ने कहा कि हरियाणा औद्योगिक श्रमिकों को देश में सबसे अधिक वेतन देने वाले राज्यों में एक है। राज्य में एक अकुशल श्रमिक का वेतन पहली जुलाई, 2011 से 4644 रुपये मासिक निर्धारित किया गया है, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित न्यूनतम वेतन से अधिक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित न्यूनतम वेतन को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के समझौते संख्या 131 के अनुरूप सभी अनुसूचित रोजगारों को इनमें शामिल किया जा सके। इसी प्रकार वयस्कों, बच्चों एवं प्रशिक्षुओं के संबंध में अलग-अलग निर्धारित न्यूनतम वेतन के प्रावधान को हटा कर एकरूपता लाई जानी चाहिए तथा इसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। कुछ संस्थाओं द्वारा न्यूनतम वेतन न दिये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इस सिलसिले में जुर्माना राशि का जो भी प्रावधान किया जाए, वह श्रमिकों की संख्या के अनुसार निर्धारित हो और जुर्माना राशि कम से कम 5000 रुपए हो।
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शर्मा ने कहा कि हरियाणा औद्योगिक श्रमिकों को देश में सबसे अधिक वेतन देने वाले राज्यों में एक है। राज्य में एक अकुशल श्रमिक का वेतन पहली जुलाई, 2011 से 4644 रुपये मासिक निर्धारित किया गया है, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित न्यूनतम वेतन से अधिक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित न्यूनतम वेतन को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के समझौते संख्या 131 के अनुरूप सभी अनुसूचित रोजगारों को इनमें शामिल किया जा सके। इसी प्रकार वयस्कों, बच्चों एवं प्रशिक्षुओं के संबंध में अलग-अलग निर्धारित न्यूनतम वेतन के प्रावधान को हटा कर एकरूपता लाई जानी चाहिए तथा इसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। कुछ संस्थाओं द्वारा न्यूनतम वेतन न दिये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इस सिलसिले में जुर्माना राशि का जो भी प्रावधान किया जाए, वह श्रमिकों की संख्या के अनुसार निर्धारित हो और जुर्माना राशि कम से कम 5000 रुपए हो।
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